भारत-रूस संबंधः पीएम मोदी -पुतिन मिले, एक-दूसरे को गले लगाया और हाथ मिलाया और पोत पर सवार होकर समुंद्र देखने निकले
By भाषा | Updated: September 4, 2019 13:38 IST2019-09-04T13:38:13+5:302019-09-04T13:38:13+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के पूर्वी सुदूर क्षेत्र की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री मोदी के यार्ड के दौरे के समय पुतिन भी उनके साथ थे। ज्वेज्दा यार्ड जाने से पहले दोनों नेताओं ने एक दूसरे को गले लगाया और हाथ मिलाया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने ज्वेज्दा पोत निर्माण परिसर का दौरा किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बुधवार को ज्वेज्दा पोत निर्माण परिसर का दौरा किया और उसके प्रबंधकों एवं अन्य कर्मियों से बातचीत की।
दो दिवसीय यात्रा पर रूस पहुंचे मोदी रूस के राष्ट्रपति के साथ शिखर वार्ता करेंगे और ‘पूर्वी आर्थिक मंच’ में शामिल होंगे। मोदी रूस के पूर्वी सुदूर क्षेत्र की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री मोदी के यार्ड के दौरे के समय पुतिन भी उनके साथ थे। ज्वेज्दा यार्ड जाने से पहले दोनों नेताओं ने एक दूसरे को गले लगाया और हाथ मिलाया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘भारत-रूस के संबंधों की तेज बयार चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने ज्वेज्दा पोत निर्माण परिसर जाते समय एक पोत पर एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताया।’’ मोदी ने संयंत्र के प्रबंधकों और अन्य कर्मियों से भी बातचीत की।
#WATCH: PM Modi & Russian President Vladimir Putin on board a ship on their way to Zvezda ship-building complex, Vladivostok. In a special gesture, President Putin decided to accompany PM Modi. Both leaders discussed ways to deepen cooperation in ship building. (Earlier visuals) pic.twitter.com/M3SiqKCXby
— ANI (@ANI) September 4, 2019
कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने ज्वेज्दा पोत निर्माण परिसर का दौरा किया। पोत निर्माण जैसे सहयोग के नए क्षेत्र भारत एवं रूस के मजबूत आर्थिक संबंधों को विविधता प्रदान करने के अवसर मुहैया कराते हैं।’’
‘तास’ संवाद समिति ने पुतिन के सहयोगी यूरी उशाकोव के हवाले से बताया कि भविष्य में इस यार्ड पर निर्मित पोतों का ‘‘प्रयोग भारत समेत वैश्विक बाजार में रूसी तेल और द्रवित प्राकृतिक गैस पहुंचाने में किया जाएगा’’। रूसी संवाद समिति के अनुसार रोसनेफ्ट, रोसनेफ्टगाज और गजप्रॉमबैंक का संघ ‘फार ईस्टर्न शिपबिल्डिंग एंड शिप रिपेयर सेंटर’ में ज्वेज्दा पोत यार्ड का निर्माण कर रहा है। यार्ड के दौरे के बाद दोनों नेता पूर्वी आर्थिक मंच के इतर 20वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर वार्ता करेंगे।
Russia: Prime Minister Narendra Modi and Russian President Vladimir Putin at Zvezda ship-building complex, Vladivostok. pic.twitter.com/j128uqqNw0
— ANI (@ANI) September 4, 2019
रूस एशियाई देशों के साथ साझेदारी मजबूत करने के लिए 2015 से इसकी मेजबानी कर रहा है। कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘यह निजी तालमेल मजबूत साझेदारी को रेखांकित करता है। राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्लादिवोस्तोक में उनकी 30वीं बैठक के लिए स्वागत किया।
भारत और रूस के संबंध दोनों राजधानियों के रिश्तों तक ही सीमित नहीं है और वे अब नए मोर्चों पर विकसित हो रहे हैं।’’ शिखर वार्ता में दोनों नेताओं के बीच खाड़ी क्षेत्र में अफगान शांति वार्ता एवं स्थिति समेत कई अहम क्षेत्रीय मामलों पर चर्चा होने की उम्मीद है। दोनों पक्षों के बीच अन्वेषण एवं दोहन और खरीदारी के संदर्भ में तेल एवं गैस क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं के संबंध में 2019 से 2024 के लिए पांच वर्षीय रूपरेखा बनाए जाने की उम्मीद है।
Russia: Prime Minister Narendra Modi and Russian President Vladimir Putin hug and shake hands before their departure for Zvezda ship-building complex, Vladivostok. (Earlier visuals) pic.twitter.com/Qdx6EpuMYa
— ANI (@ANI) September 4, 2019
इस समय, भारत ऊर्जा संबंधी अपनी आवश्यकताओं के लिए खाड़ी क्षेत्र पर काफी निर्भर करता है। विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि भारत रूस को हाइड्रोकार्बन के एक प्रमुख स्रोत के रूप में देख रहा है ताकि खाड़ी क्षेत्र पर उसकी पूर्ण निर्भरता समाप्त हो सके। दोनों नेता शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय संगठनों में सहयोग बढ़ाने के तरीके तलाशने पर भी विचार कर सकते हैं। इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी का रूस की तीसरी द्विपक्षीय यात्रा पर व्लादिवोस्तोक हवाईअड्डा पहुंचने पर गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
#WATCH Russia: Prime Minister Narendra Modi and Russian President Vladimir Putin hug and shake hands before their departure for Zvezda ship-building complex, Vladivostok. (Earlier visuals) https://t.co/swHrcvPkVQpic.twitter.com/U1187W5vxs
— ANI (@ANI) September 4, 2019
उन्हें हवाईअड्डे पर गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया। रूस रवाना होने से पहले मोदी ने कहा था कि वह पुतिन के साथ परस्पर हितों के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने अपनी दो दिवसीय यात्रा पर रवाना होने से पहले नयी दिल्ली में एक बयान में कहा था, ‘‘मैं अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों तथा आपसी हितों से संबंधित क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के सभी आयामों पर चर्चा को लेकर आशान्वित हूं।’’
#WATCH Russia: Prime Minister Narendra Modi and Russian President Vladimir Putin hug and shake hands before their departure for Zvezda ship-building complex, Vladivostok. (Earlier visuals) pic.twitter.com/9DDJyvBknL
— ANI (@ANI) September 4, 2019
मोदी ने कहा था, ‘‘मैं पूर्वी आर्थिक मंच की बैठक में हिस्सा लेने वाले वैश्विक नेताओं के साथ मुलाकात तथा इसमें हिस्सा लेने वाले भारतीय उद्योगों एवं कारोबारी प्रतिनिधियों से चर्चा को लेकर भी उत्सुक हूं।’’ उन्होंने कहा था कि यह मंच रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में कारोबार एवं निवेश अवसरों के विकास पर जोर देने तथा इस क्षेत्र में भारत और रूस के बीच साझा लाभ के लिये सहयोग बढ़ाने का व्यापक अवसर प्रदान करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने यात्रा से पहले ‘तास’ को दिये एक साक्षात्कार में कहा था कि उनके और पुतिन के बीच ‘‘विशेष तालमेल’’ है।
Vladivostok: Prime Minister Narendra Modi and Russian President Vladimir Putin arrive at Zvezda ship-building complex. #Russiapic.twitter.com/3cnczUKGbR
— ANI (@ANI) September 4, 2019
उन्होंने कहा कि वह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण चाहते हैं ताकि दोनों देश अन्य देशों को सस्ती दरों पर निर्यात करने के लिए सैन्य उपकरण बना सकें। मोदी ने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त हूं कि यह यात्रा नये रास्ते पर ले जाएगी, नयी ऊर्जा देगी और हमारे देशों के बीच संबंधों को नयी गति प्रदान करेगी।’’ तास की एक खबर में कहा गया है कि पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) से इतर होने वाली 20 वीं रूस-भारत शिखर बैठक के दायरे में दोनों देश करीब 15 दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले हैं, जिनमें कुछ दस्तावेज सैन्य-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों से संबंधित भी होंगे।