भारत-रूस संबंधों पर बोला अमेरिका- एक झटके में खत्म नहीं किया जा सकता रिश्ता, ये बिजली का स्विच दबाने जैसा नहीं
By शिवेंद्र राय | Published: August 18, 2022 12:59 PM2022-08-18T12:59:49+5:302022-08-18T13:01:26+5:30
भारत और रूस के संबंधों पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि भारत को रूस और अमेरिका में से किसी एक को नहीं चुनना है। दोनो देशों के संबंध बेहद पुराने हैं जिसे एक झटके में समाप्त नहीं किया जा सकता है।
वाशिंगटन: भारत और रूस के संबंधों पर एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए अमेरिका ने कहा है कि वह किसी भी देश की विदेश नीति पर टिप्पणी नहीं कर सकता है। यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से ही अतरराष्ट्रीय कूटनीति का माहौल भी गर्म है। भारत और रूस के संबंधों, खासकर दोनों देशों के बीच होने वाले सुरक्षा समझौतों और हथियारों के सौदों पर अमेरिका से बार-बार सवाल पूछे जाते हैं। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मीडिया से की जाने वाली नियमित बातचीत में भारत-रूस संबंधों पर अमेरिका के रुख पर विस्तार से बात की।
Not flipping a light switch: US on historic ties between India, Russia
— ANI Digital (@ani_digital) August 18, 2022
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नेड प्राइस ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध बहुत पुराने हैं। ये एक झटके में खत्म नहीं किया जा सकता। रूस से अलग अपनी विदेश नीति को नई दिशा देना एक दीर्घकालिक प्रस्ताव होगा। ये बिजली का स्विच दबाने जैसा नहीं है।
US @StateDeptSpox on India increasing oil imports from Russia
— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) August 18, 2022
"this is not flipping a light switch... relationships that, as is the case with India, extend back decades, it is going to be a long-term proposition to reorient foreign policy away from Russia" https://t.co/mbBzViszO8pic.twitter.com/yrityDYz2v
मीडिया से बातचीत के दौरान नेस प्राइड से यह भी पूछा गयी कि भारत रूस के साथ सैन्य अभ्यास भी कर रहा है तो उन्होंने जवाब दिया, "विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कई बार ये संदेश दिया है कि ऐसा नहीं है कि देशों को अमेरिका और रूस में किसी एक को चुनना है। दुनिया के सभी देश अपने फैसले खुद लेंगे और वे फैसले उनके हितों और मूल्यों के आधार पर होंगे। जिन देशों के साथ रूस का सुरक्षा समझौता है या हथियार खरीद समझौता है, वो देश अचानक रूस से अलग अपनी विदेश नीति नहीं बना सकते।"
बता दें कि यूक्रेन पर रूसी हमले की भारत ने कभी भी आलोचना नहीं की न ही संयुक्त राष्ट्र में रूस में खिलाफ होने वाले किसी भी मतदान में हिस्सा लिया। भारत रूस से कच्चे तेल की खरीदारी भी लगातार कर रहा है। हाल ही में यूक्रेनी विदेश मंत्री ने कहा था कि रूस की ओर से भारत को मिल रहे कच्चे तेल के हर बैरल में यूक्रेनी ख़ून का एक अच्छा हिस्सा है। रूसी तेल की खरीद पर भारतीय विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत में लोगों की आमदनी इतनी नहीं है कि वे ऊंचे दामों पर पेट्रोल-डीजल खरीद पाएं। ऐसे में ये उनका नैतिक दायित्व है कि वे अपने लोगों को सबसे अच्छा सौदा दिलवाएं।
अमेरिका भी भारत का एक प्रमुख सुरक्षा सहयोगी है और मौजूदा हालात में रूस और अमेरिका दोनो से अपने संबंधों को बेहतर रखना भारतीय कूटनीति की सबसे बड़ी परीक्षा है।