आर्टिकल 370: अमेरिकी सांसदों ने भारतीय राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला को लिखा पत्र, कश्मीर में की विदेशी पत्रकारों और सांसदों की पहुंच की मांग

By भाषा | Updated: October 26, 2019 13:55 IST2019-10-26T13:52:00+5:302019-10-26T13:55:16+5:30

इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह कैसे बहाल की जाएंगी?’’ जन सुरक्षा अधिनियम या अन्य कानून के तहत पांच अगस्त से हिरासत में लिए लोगों के बारे में सवाल किया गया और श्रृंगला से जितना संभव हो जवाब देते समय उतना विशिष्ट होने को भी कहा गया।

US lawmakers write a letter to Indian Ambassador Harsh Vardhan Shringla, seeking access to foreign journalists and MPs in Kashmir | आर्टिकल 370: अमेरिकी सांसदों ने भारतीय राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला को लिखा पत्र, कश्मीर में की विदेशी पत्रकारों और सांसदों की पहुंच की मांग

आर्टिकल 370: अमेरिकी सांसदों ने भारतीय राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला को लिखा पत्र, कश्मीर में की विदेशी पत्रकारों और सांसदों की पहुंच की मांग

Highlights24 अक्टूबर को लिखे इस पत्र के कहा गया इसमें श्रृंगला द्वारा 16 अक्टूबर को कश्मीर की स्थिति पर दी जानकारी को लेकर सवाल हैं।सांसदों ने कहा, ‘‘ बैठक के दौरान जो चर्चा की गई, हमारे कई पक्षों ने स्थिति की उस जानकारी से अलग छवि पेश की है, जो हमसे साझा की गई थी।

अमेरिका के छह सांसदों ने अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला को एक पत्र लिख कर कश्मीर में विदेशी पत्रकारों और सांसदों की पहुंच की मांग की और दावा किया कि भारत द्वारा पेश की जा रही घाटी की तस्वीर उनके पक्ष द्वारा दी जानकारी से अलग है। अमेरिका के कश्मीर में राजनीतिक और आर्थिक स्थिति सामान्य करने के लिए ‘‘खाका’’ तैयार करने और राजनीतिक बंदियों को तत्काल रिहा करने की मांग करने के बाद सांसदों ने श्रृंगला ने यह पत्र लिखा।

सांसदों ने पत्र में कहा, ‘‘हम पूरी पारदर्शिता में विश्वास करते हैं और इसे पत्रकारों और कांग्रेस के सदस्यों को क्षेत्र में पहुंच प्रदान करके ही हासिल किया जा सकता है। हम स्वतंत्र मीडिया के हित में और संचार बढा़ने के मद्देनजर भारत को जम्मू-कश्मीर को देश-विदेश के पत्रकारों और अन्य अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों के लिए खोलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।’’ सांसद डेविड सिसिलिन, डीना टाइटस, क्रिसी हौलाहन, एंडी लेविन, जेम्स मैकगोवर्न और सूसन वाइल्ड ने यह पत्र लिखा है।

24 अक्टूबर को लिखे इस पत्र के कहा गया इसमें श्रृंगला द्वारा 16 अक्टूबर को कश्मीर की स्थिति पर दी जानकारी को लेकर सवाल हैं। सांसदों ने कहा, ‘‘ बैठक के दौरान जो चर्चा की गई, हमारे कई पक्षों ने स्थिति की उस जानकारी से अलग छवि पेश की है, जो हमसे साझा की गई थी। उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 हटाए जाने के साथ ही इंटरनेट और दूरसंचार सेवाओं की पहुंच, स्थानीय नेताओं तथा कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और कर्फ्यू लगाने पर भी चिंता जाहिर की है।’’

भारत सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म कर दिए थे और दो नए केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बनाने का एलान किया था। इस घोषणा के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में कई सुरक्षा प्रतिबंध लगे हैं। दक्षिण एशिया में मानवाधिकार की स्थिति पर हुई चर्चा के दो दिन बाद सांसदों ने श्रृंगला से छह सवाल किए। उन्होंने पूछा, ‘‘ क्या जम्मू-कश्मीर में सभी (100 प्रतिशत) लैंडलाइन सेवाएं बाहल हो गई हैं या अभी कुछ बाकी हैं? ‘प्रीपेड’ सहित सभी मोबाइल फोन सेवाएं कब बहाल की जाएंगी?

इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह कैसे बहाल की जाएंगी?’’ जन सुरक्षा अधिनियम या अन्य कानून के तहत पांच अगस्त से हिरासत में लिए लोगों के बारे में सवाल किया गया और श्रृंगला से जितना संभव हो जवाब देते समय उतना विशिष्ट होने को भी कहा गया। उन्होंने पूछा, ‘‘ उनमें से कितने नाबालिग हैं? जन सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों के लिए मानक न्यायिक प्रक्रिया क्या है?’’

सांसदों ने श्रृंगला से सवाल किया, ‘‘ जम्मू-कश्मीर में लागू कर्फ्यू की क्या स्थिति है? सरकार की लोगों को बिना किसी रोक-टोक आवाजाही की अनुमति देने पर क्या योजना है? हम इसकी उम्मीद कब कर सकते हैं?’’ उन्होंने भारतीय राजदूत से यह भी पूछा कि अभी तक जम्मू-कश्मीर में विदेशी पत्रकारों को जाने की अनुमति क्यों नहीं है।

उन्हें क्षेत्र में जाने की अनुमति कब दी जाएगी? सांसदों ने पूछा, ‘‘ क्या भारत सरकार अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों या अन्य विदेशी अधिकारियों के वहां आने का स्वागत करेगी, जो जम्मू-कश्मीर का दौरा करना चाहते हैं?’’ 

Web Title: US lawmakers write a letter to Indian Ambassador Harsh Vardhan Shringla, seeking access to foreign journalists and MPs in Kashmir

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