उदित सिंघल: कांच की बोतल से बनाई बालू, संयुक्त राष्ट्र ने बनाया यंग लीडर

By भाषा | Updated: September 20, 2020 11:53 IST2020-09-20T11:53:32+5:302020-09-20T11:53:32+5:30

संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनियाभर में पर्यावरण संरक्षण और सतत् विकास के क्षेत्र में योगदान देने वाले 17 ‘यंग लीडर्स’ का चयन किया है, जिनमें भारत के उदित सिंघल को भी शामिल किया गया है, जो कांच की बेकार बोतलों से बालू बनाते हैं।

United Nations names Indian teenager Udit Singhal to 2020 Class of Young Leaders for SDGs | उदित सिंघल: कांच की बोतल से बनाई बालू, संयुक्त राष्ट्र ने बनाया यंग लीडर

फाइल फोटो।

Highlights‘ग्लास2सैंड’ के अभियान ‘ड्रिंक रिस्पोंसिबली, डिस्पोज रिस्पोंसिबली’ की शुरुआत अक्टूबर 2019 में भारत में हंगरी के राजदूत के हाथों हुई। हजारों बोतलों से बालू बना चुके उदित बताते हैं कि उन्होंने ‘ग्लास2सैंड’ को एक अभियान बना दिया है।

नई दिल्लीः घर में कांच की खाली बोलतों को अकसर कचरे के डिब्बे में फेंक दिया जाता है या फिर कबाड़ी के हवाले कर दिया जाता है, लेकिन अगर कोई इन बोतलों को पीसकर कांच को बालू की तरह इस्तेमाल करने की बात करे तो पहली बार में विश्वास करना मुश्किल होगा। हालांकि यह हकीकत है और दिल्ली के 18 वर्षीय उदित सिंघल ने एक छोटी सी मशीन से इस कारनामे को अंजाम दिया है तथा इसके लिए उन्हें वैश्विक सराहना मिल रही है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनियाभर में पर्यावरण संरक्षण और सतत् विकास के क्षेत्र में योगदान देने वाले 17 ‘यंग लीडर्स’ का चयन किया है, जिनमें भारत के उदित सिंघल को भी शामिल किया गया है, जो कांच की बेकार बोतलों से बालू बनाते हैं। इसे किसी भी तरह के निर्माण कार्य में सामान्य बालू की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है और उदित का दावा है कि यह प्राकृतिक बालू से बेहतर गुणवत्ता का होता है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव कार्यालय में युवाओं से संबंधित विभाग के प्रतिनिधि ने एक बयान में कहा कि उदित के कांच की खाली बोतलों से बालू बनाने के इस प्रयोग से एक गंभीर समस्या से छुटकारा मिलेगा। इससे कांच की खाली बोतलों का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा, जिन्हें कचरे के ढेर में फेंक तो दिया जाता है, लेकिन वहां वे सदियों तक नष्ट नहीं होतीं।

उदित का कहना है कि उन्हें अपने घर और उसके आसपास कांच की खाली बोतलें देखकर कोफ्त होती थी। वह हमेशा उनके सही निपटारे के उपाय सोचा करते थे। उन्हें पता चला कि कांच की खाली बोतलों के कचरे की गंभीर होती समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। इन खाली बोतलों का कोई उपयोग न होने, इन्हें रखने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता और वजन के कारण इन्हें लाने -ले जाने पर आने वाले भारी खर्च के कारण इन्हें कचरे में फेंकना ही सबसे आसान उपाय माना जाता था।

उन्होंने बताया कि कांच की बोतलों के सही निपटारे के उपाय तलाशने के दौरान उन्हें पता चला कि न्यूजीलैंड की एक कंपनी ऐसी मशीन बनाती है, जो कांच की बोतल को पीसकर बालू जैसा बना देती है और उन्होंने अपनी ‘ग्लास2सैंड’ परियोजना के साथ न्यूजीलैंड सरकार से संपर्क किया।

उदित की परियोजना न्यूजीलैंड सरकार को बेहद पंसद आई और भारत में न्यूजीलैंड की उच्चायुक्त जोआना कैंपकर्स ने उन्हें इस मशीन के आयात के लिए अनुदान दिया। हजारों बोतलों से बालू बना चुके उदित बताते हैं कि उन्होंने ‘ग्लास2सैंड’ को एक अभियान बना दिया है और सोशल मीडिया पर इसके बारे में जानकारी मिलने के बाद बहुत से लोग स्वेच्छा से उनके लिए बोतलें जमा करते हैं और उन तक पहुंचाते हैं।

‘ग्लास2सैंड’ के अभियान ‘ड्रिंक रिस्पोंसिबली, डिस्पोज रिस्पोंसिबली’ की शुरुआत अक्टूबर 2019 में भारत में हंगरी के राजदूत के हाथों हुई। अभी इस बात को एक बरस भी नहीं गुजरा और उदित ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर देश का मान बढ़ाया, जब संयुक्त राष्ट्र जैसी प्रतिष्ठित वैश्विक संस्था ने उदित के प्रयासों को सराहा और उन्हें सतत विकास में अहम भूमिका निभाने वाले 17 ‘यंग लीडर्स’ का हिस्सा बनाकर उनकी परियोजना का सम्मान किया।

Web Title: United Nations names Indian teenager Udit Singhal to 2020 Class of Young Leaders for SDGs

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे