Ukraine-Russia Crisis: अमेरिका-फ्रांस और जर्मनी की सेनाएं यूक्रेन सेना के साथ सड़कों पर रूस का कर रहीं हैं मुकाबला
By शीलेष शर्मा | Published: February 27, 2022 04:39 PM2022-02-27T16:39:42+5:302022-02-27T16:41:42+5:30
फ्रांस, अमेरिका, जर्मनी सहित कुछ अन्य देशों की फौजें यूक्रेन की सड़कों पर उतर कर रूसी सेना का मुकाबला कर रही हैं। साथ ही यूक्रेन के नागरिकों ने भी हथियार उठा लिए हैं।
नई दिल्ली:यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे घमासान में फ्रांस, अमेरिका, जर्मनी सहित कुछ अन्य देशों की फौजें यूक्रेन की सड़कों पर उतर कर रूसी सेना का मुकाबला कर रही हैं। साथ ही यूक्रेन के नागरिकों ने भी हथियार उठा लिए हैं और वे बड़े पैमाने पर रूसी सैनिकों का खात्मा कर रहे हैं। ये दावा पिछले चालीस बरसों से यूक्रेन में रह रहे एक भारतीय, पंकज वीर ने लोकमत से ख़ास बातचीत में किया है।
पंकज वीर कहने को तो यूक्रेन में व्यवसाय कर रहे हैं लेकिन सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार पंकज का सीधा सम्बन्ध यूक्रेन के खुफिया तंत्र से है। हालाँकि खुले तौर पर पंकज खुलासा नहीं करते और अपनी पहचान को गुप्त रखना चाहते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि फ्रांस और जर्मनी से बड़े पैमाने पर हथियार , गोला बारूद और सेना के दूसरे जरूरी साजोसामान भी यूक्रेन को उपलब्ध करा दिए गए है, जिससे यूक्रेन युद्ध के मैदान में मुस्तैदी से डटा हुआ है।
भारतीय मूल के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के रहने वाले पंकज वीर ने यह भी दावा किया कि रूस अभी तक यूक्रेन के किसी शहर पर कब्जा नहीं कर सका है। साथ ही जर्मनी, अमेरिका और फ्रांस से मिल रही सैन्य सहायता की मदद से रूसी टैंकों और मिसाइलों को नष्ट किया जा रहा है।
पंकज वीर के अनुसार रूसी सेना अब ठिकानों पर बमबारी के साथ साथ रिहायशी इलाकों के मकानों में घुस रही है जहां हथियारों से लैस यूक्रेन के नागरिक रूसी सेना से लोहा ले रहे हैं। पंकज वीर ने एक और खुलासा किया कि रूसी सैनिक यूक्रेन में अंदर घुसने से डर रहे हैं लेकिन उनके ऊपर बैठे अधिकारी उनको आदेश दे रहे हैं कि वे जबरन अंदर घुसें अथवा रूसी सेना ही उनको मौत के घाट उतार देगी। जिस डर के कारण रूसी सेना कीव, सूमी, मरियापोल , डोनेस्स्क और ओडेसा में अंदर की तरफ कूच कर रहे हैं और भारी बमबारी के बीच उनके निशाने पर रिहायशी इलाके बने हुए हैं।
भारतीय छात्रों को लेकर पंकज ने बताया कि वे चालीसों मील पैदल चल कर पोलैंड, बुडापेस्ट की ओर रवाना हो रहे हैं ताकि वहां से सुरक्षित निकल सकें , लेकिन भारतीय दूतावास इन छात्रों की अपेक्षित मदद नहीं कर पा रहा है। ताज़ा हालातों में भारतीय दूतावास के हाथ बंधे हुए हैं। नतीजा वे बड़े पैमाने पर लगभग 16000 छात्रों की भारत वापसी के लिए सीमा पार करने में मदद नहीं कर सकें हैं।
यह भी खबर है कि न्यूनतम से नीचे तापमान में पिछले तीस पैंतीस घंटों से भारतीय छात्र यूक्रेन और पोलैंड की सीमा पर पड़े हुए हैं लेकिन उनको सीमा पार करने की इजाज़त नहीं मिल रही है। जहाँ तक भारतीय छात्रों की सुरक्षा का प्रश्न हैं, कोई भारतीय छात्र इस युद्ध का शिकार नहीं हुआ है और सभी छात्रों को बंकर और तैखानों में रुका दिया गया है। जहाँ स्वयं सेवी संस्थाएं रोज़मर्रा की चीज़ों को उपलब्ध करा रही है जिसमें दवाइयां, खाने पीने का सामान, पान जैसी चीज़े शामिल हैं।
यूक्रेन में खाने पीने के सामान पर राशनिंग कर दी गयी है, हालाँकि बाजार खुल रहे हैं। दवाइयां और खाने पीने का सामान भी मिल रहा है लेकिन एक सीमित मात्रा में। मसलन एक परिवार को एक दिन में केवल एक ब्रैड खरीदने का अधिकार दिया गया है।