रक्त से उपचार : कोविड कोन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी ने पहले जगाई उम्मीद, अब नजर आ रही नाकाफी

By भाषा | Updated: October 8, 2021 12:09 IST2021-10-08T12:09:45+5:302021-10-08T12:09:45+5:30

Treatment with blood: Kovid convalescent plasma therapy first raised hope, now it seems insufficient | रक्त से उपचार : कोविड कोन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी ने पहले जगाई उम्मीद, अब नजर आ रही नाकाफी

रक्त से उपचार : कोविड कोन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी ने पहले जगाई उम्मीद, अब नजर आ रही नाकाफी

(एंड्र्यू मैकलेचलन, यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी)

सिडनी, आठ अक्टूबर (द कन्वरसेशन) महामारी की शुरुआत में, वैज्ञानिकों ने सोचा कि “कोन्वलेसेंट प्लाज्मा” कोविड-19 के इलाज का एक तरीका हो सकता है।

रोगियों को कोविड महामारी से उबर चुके लोगों का प्लाज्मा देने के पीछे यह विचार था कि एंटीबॉडी युक्त सम्मिश्रण की यह पद्धति उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण से लड़ने में मदद करेगी। यह इबोला सहित अन्य संक्रामक रोगों के लिए सफलता के विभिन्न स्तरों के साथ आजमाई गई रणनीति है।

लेकिन इस सप्ताह प्रकाशित एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन सहित लगातार सामने आ रहे साक्ष्यों से पता चलता है कि कोन्वलेसेंट प्लाज्मा कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार लोगों के जीवन को बचाने में मददगार नहीं है। अनुसंधानकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि चिकित्सा "निरर्थक" थी।

कोन्वलेसेंट प्लाज्मा क्या है?

कोन्वलेसेंट प्लाज्मा रक्त का एक उत्पाद है जिसमें संक्रामक रोगाणुओं (जैसे कोविड-19 फैलाने वाला कोरोना वायरस) के खिलाफ एंटीबॉडी होते हैं। यह उन लोगों के रक्त से मिलता है जो संक्रामक बीमारी से उबर चुके हैं।

वैज्ञानिक विभिन्न रक्त घटकों को अलग करने के लिए एफेरेसिस नामक एक प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। लाल और सफेद कोशिकाओं और प्लेटलेट्स को हटा दिया जाता है जिससे सिर्फ प्लाज्मा बचता है जो एंटीबॉडी से भरपूर होता है।

कोन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी (या सीरम थेरेपी) की कहानी 1890 के दशक में शुरू होती है जब चिकित्सक एमिल वॉन बेहरिंग ने डिप्थीरिया का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से घोड़ों को संक्रमित कर दिया। एक बार जब घोड़े ठीक हो गए, तो बेहरिंग ने मनुष्यों में इस बीमारी का इलाज करने के लिए उनका एंटीबॉडी युक्त रक्त एकत्र किया। इसके कारण उन्हें 1901 में शरीर विज्ञान या चिकित्सा में प्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कोविड के इलाज के लिए कोन्वलेसेंट प्लाज्मा का उपयोग क्यों किया गया ?

एक सदी से भी अधिक समय से संक्रामक रोगों के इलाज के लिए कोन्वलेसेंट प्लाज्मा का उपयोग किया जाता रहा है। इनमें शामिल हैं: स्कार्लेट ज्वर, निमोनिया, टेटनस, डिप्थीरिया, कण्ठमाला और चिकनपॉक्स।

हाल ही में, सार्स (गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम), एमईआरएस (मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम) और इबोला के उपचार के रूप में कोन्वलेसेंट प्लाज्मा की जांच की गई।

वैश्विक महामारी की शुरुआत में, अनुसंधानकर्ताओं को उम्मीद थी कि कोन्वलेसेंट प्लाज्मा का कोविड-19 के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

प्रारंभिक अध्ययन और कुछ क्लिनिकल परीक्षण आशाजनक थे। इसके कारण कोविड-19 के रोगियों के लिए कोन्वलेसेंट प्लाज्मा का व्यापक उपयोग हुआ।

इस साल मई तक कोविड-19 वाले लोगों में कोन्वलेसेंट प्लाज्मा संबंधी 100 से अधिक क्लीनिकल परीक्षण किए गए; इनमें से लगभग एक-तिहाई अध्ययन समाप्त हो गए थे या जल्दी बंद कर दिए गए थे।

इस साल की शुरुआत में, यूनाइटेड किंगडम के ऐतिहासिक ‘रिकवरी’ परीक्षण के परिणाम बताए गए थे। इसमें कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती 10,000 से अधिक लोगों में कोन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी (सामान्य सहायक देखभाल की तुलना में) की जांच की।

इसमें पाया गया कि उपचार ने मृत्यु के जोखिम को कम नहीं किया (दोनों समूहों में 24 प्रतिशत), ठीक होने वाले रोगियों की संख्या (दोनों समूहों में अस्पताल से 66 फीसदी रोगियों को छुट्टी दे दी गई) में या जिनकी स्थिति खराब हो गई (दोनों समूह में 29 प्रतिशत को सांस लेने में सहायता के लिए यांत्रिक वेंटिलेशन की आवश्यकता थी) कोई अंतर देखने को नहीं मिला था।

इसलिए अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों के संबंध में, अनुसंधानकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि कोन्वलेसेंट प्लाज्मा ने कोई लाभ नहीं दिया।

एक कोक्रेन समीक्षा, जिसे इस वर्ष मई में अद्यतन किया गया था और जिसमें सभी उपलब्ध परीक्षणों का मूल्यांकन किया गया था, ने इन परिणामों की पुष्टि की।

कोविड-19 उपचार के लिए आगे क्या?

कोविड-19 को रोकने के लिए जहां टीकाकरण प्रमुख रणनीति है, वहीं अब कोविड-19 को बिगड़ने से रोकने के लिए कुछ उभरते और आशाजनक उपचारों पर ध्यान दिया जा रहा है।

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Web Title: Treatment with blood: Kovid convalescent plasma therapy first raised hope, now it seems insufficient

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