शर्मनाक: पाकिस्तान के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक की कब्र को 'नापाक' कहा जाता है, क्योंकि वो 'अहमदिया' थे
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 3, 2022 09:40 PM2022-09-03T21:40:14+5:302022-09-03T22:08:58+5:30
पाकिस्तान के मशहूर भौतिक वैज्ञानिक और पहले नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुल सलाम की कब्र को इसलिए सम्मान नहीं दिया जाता है क्योंकि वो अहमदिया मुसलमान थे।
इस्लामाबाद: दुनिया के किसी भी देश के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है, जब उस देश को प्रतिष्ठा दिलाने वाली शख्सियत को ही वो बेइज्जत करे। जी हां, ये वाकया भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का है, जहां के मशहूर भौतिक वैज्ञानिक अब्दुल सलाम को महज इस कारण सम्मान नहीं दिया जाता है क्योंकि वो अहमदिया मुसलमान थे।
पाकिस्तान के मानवाधिकार मंत्री रियाज हुसैन पीरजादा ने शुक्रवार को कहा कि मुल्क में अहमदिया अल्पसंख्यकों को लेकर जिस तरह के खौफनाक हालात है। उस वजह से मुल्क को पहला नोबेल पुरस्कार दिलाने वाले मशहूर भौतिक विज्ञानी अब्दुस सलाम का कोई नाम भी लेने की हिम्मत नहीं करता है।
देश में अहमदिया अल्पसंख्यों की दुर्दशा पर चिता जताते हुए मंत्री रियाज हुसैन ने मानवाधिकार के मसले पर नेशनल असेंबली की स्थायी समिति को ब्रीफ करते हुए यह टिप्पणी की। द फ्राइडे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मंत्री पीरजादा ने कहा कि मुल्क के लिए यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम अपने राष्ट्रीय नायकों की अनदेखी कर रहे हैं।
मालूम हो कि साल 1984 में पाकिस्तान के संविधान में अहमदिया विरोधी अध्यादेश पास किया गया था और उसके बाद से पाकिस्तान में अहमदियों की मुस्लिम मान्यता को खत्म कर दिया गया था। इस कारण मुल्क में अहमदियों के लिए इस्लाम बतौर मजहब प्रतिबंधित कर दिया। जबकि उसी मुल्क में अब्दुस सलाम सेंटर फॉर फिजिक्स भी है, जिसका नाम डॉक्टर अब्दुस सलाम के सम्मान में रखा गया था। जिन्होंने इलेक्ट्रोवेक एकीकरण सिद्धांत में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। जिसके कारण साल 1979 में उन्हें भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। इसके साथ ही डॉक्टर अब्दुस सलाम पाकिस्तान के पहले नागरिक थे, जिन्होंने नोबेल पुरस्कार जीता था।
हालांकि, द डिप्लोमैट की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में साल 1984 के बाद स्थितियां बेहद तेजी से बदली और पूरे मुल्क में अहमदियों के खिलाफ शुरू हुआ 'इस्लामोफोबिया' का उग्र प्रदर्शन आज भी जारी है। इसका मुख्य कारण है कि अहमदिया संप्रदाय जिस तरह से इस्लाम की व्याख्या करते हैं, वो पाकिस्तान में किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है।
साल 1926 में जन्मे डॉक्टर अब्दुस सलाम का इंतकाल साल 1996 में हुआ। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रबवाह में उनकी कब्र आज भी मौजूद है लेकिन कब्र पर अंग्रेजी में खुदे शिलालेख के साथ कट्टरपंथियों ने छेड़छाड़ की और कब्र पर खुदे "पहले मुस्लिम नोबेल पुरस्कार विजेता" से "मुस्लिम" शब्द को खुरच कर मिटा गया है।
पाकिस्तान के अहमदियाओं के अन्य मकबरों की तरह डॉक्टर अब्दुस सलाम की कब्र को भी कट्टरपंथियों ने नापाक कर दिया है। कब्र पर अब लिखा है "प्रोफेसर मुहम्मद अब्दुस सलाम 1979 में भौतिकी में अपने काम के लिए पहले ****** नोबेल पुरस्कार विजेता बने।"
मंत्री रियाज हुसैन पीरजादा ने अहमदिया के साथ-साथ पाकिस्तान में लापता लोगों के बारे में बोलते हुए कहा कि उनका मंत्रालय इस तरह की कई चुनौतियों से निपटने का लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन हम इन परिस्थितियों के लिए किसी को भी जवाबदेह ठहराने की स्थिति में नहीं है।