₹46 करोड़ की पेंटिंग को साधारण समझ महिला ने किचन में टांगा, जानें 13वीं सदी की ये पेंटिंग, क्यों है खास
By स्वाति सिंह | Published: September 25, 2019 01:30 PM2019-09-25T13:30:47+5:302019-09-25T13:33:28+5:30
पेंटिंग बनाने वाले चित्रकार का का 13वीं शताब्दी के मध्य में फ्लोरेंस में हुआ था और 14 वीं शताब्दी की शुरूआत में पीसा में उसका निधन हो गया। उसने अपने जीवन में कई ऐसी पेंटिंग बनाई है जिसे आज भी यूरोप के चर्चों और दीर्घाओं में लगाया गया है।
पेंटर चिमाबुए की ₹46 करोड़ तक की अनुमानित कीमत वाली 13वीं शताब्दी की पेंटिंग फ्रांस की राजधानी पेरिस के पास के एक शहर में एक महिला की रसोई में टंगी हुई थी।
महिला इस पेंटिंग को साधारण धार्मिक पेंटिंग समझकर मूल्यांकन कराने ले गई तब उसे इस बात का पता चला। एक नीलामकर्ता इस ऐतिहासिक कला की तस्वीर देखीं तब उसने उसका मूल्य बताया।
महिला ने इसे अपनी रसोई के हॉटप्लेट (चूल्हा) के ऊपर टांगा था। 'क्राइस्ट मॉकड' की शीर्षक से 10 x 8 की ये पेंटिंग में एक झांकी दिखाई गई है, इसमें जीजस अपने शिष्यों से घिरे हैं।
कला विशेषज्ञों का कहना है कि यह क्राइस्ट के जुनून और निष्पादन को दर्शाने वाली एक बड़े डिप्टीच का हिस्सा हो सकती है। जिसे सेनी डि पेपो (Cenni di Pepo) के नाम से भी जाना जाता है। इसके लगभग 1280 में बनाया गया था।
इसे न्यूयॉर्क के फ्रिक कलेक्शन और लंदन में नेशनल गैलरी में प्रदर्शित किया गया है। यह पेंटिंगअगले महीने पेरिस के एक्टन नीलामी घर में बिक्री के लिए जाएगी।
बता दें कि पेंटिंग बनाने वाले चित्रकार का का 13वीं शताब्दी के मध्य में फ्लोरेंस में हुआ था और 14 वीं शताब्दी की शुरुआत में पीसा में उसका निधन हो गया। उसने अपने जीवन में कई ऐसी पेंटिंग बनाई है जिसे आज भी यूरोप के चर्चों और दीर्घाओं में लगाया गया है।
नेशनल गैलरी ने कहा कि जिस चित्रकार ने यह पेंटिंग बनाई है उसे फ्लोरेंटाइन पेंटर भी कहा जाता था। वह प्रारंभिक इतालवी पुनर्जागरण के अग्रणी कलाकारों में से एक था।