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भारत और पाकिस्तान के संबंधों के लिहाज से कड़वाहट भरा रहा साल 2020

By भाषा | Updated: December 23, 2020 17:05 IST

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(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, 23 दिसंबर भारत - पाकिस्तान संबंधों के लिहाज से साल 2020 काफी खराब रहा। इस साल को दोनों देशों के बीच समय-समय पर जुबानी जंग बढ़ने और राजनियकों को तलब करने जैसी घटनाओं के लिये याद रखा जाएगा।

पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद द्वारा 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के 44 जवानों की जान लिए जाने के बाद जवाब में भारत ने बालाकोट में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों में हवाई हमले किये, जिसके साथ ही दोनों देशों के संबंधों में खटास बढ़नी शुरू हो गई थी।

अगस्त, 2019 में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेने के बाद संबंधों में और अधिक कड़वाहट पैदा हो गई। इस फैसले से नाराज पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर कर इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया। पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी हवाई और जमीनी संपर्क खत्म कर दिये और व्यापार तथा रेल सेवाओं को निलंबित कर दिया।

नए साल 2020 में भी रिश्तों पर पड़ी बर्फ नहीं पिघली और पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर समय-समय पर वाकयुद्ध देखने को मिलता रहा। जून में भारत ने पाकिस्तान से नयी दिल्ली में स्थित उसके उच्चायोग से कर्मचारियों की संख्या कम करने के लिये कहा । साथ ही उसने इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग में भी कर्मचारियों की संख्या कम करने की घोषणा की।

भारत ने कहा कि उसने पाकिस्तानी अधिकारियों के ''जासूसी गतिविधियों'' में संलिप्त होने की घटनाओं और ''आतंकवादी संगठनों से निपटने के तरीकों'' को लेकर राजनयिक संबंधों के कमतर करने का फैसला किया।

बीते 12 महीनों के दौरान पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दे को उठाने और भारत को घेरने के कई नाकाम प्रयास कर चुका है। भारत भी स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बता चुका है कि अनुच्छेद 370 हटाना उसका आंतरिक मामला है। साथ ही उसने पाकिस्तान को सच्चाई स्वीकार करने और भारत-विरोधी दुष्प्रचार बंद करने को कहा है।

हालांकि पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघनों को तेज करके तनाव बढ़ाने पर तवज्जोह दी, जहां दोनों देशों की सेनाओं ने एक दूसरे को नियमित रूप से निशाना बनाया है, जिसमें कई जानें चली गईं।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने नियमित रूप से इस्लामाबाद में भारत के राजनयिकों को तलब करके और भारतीय सेना द्वारा कथित संघर्ष विराम उल्लंघन पर प्रेस में बयान देकर उसपर दबाव बढ़ाने के प्रयास किये।

पाकिस्तान ने भारत पर पेरिस में स्थित धनशोधन पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की बैठकों में होने वाली चर्चाओं का ''राजनीतिकरण'' करने का आरोप लगाया। एफएटीएफ ने फरवरी 2021 तक पाकिस्तान को 'ग्रे' सूची में रखने का फैसला किया क्योंकि वह भारत के लिये अति वांछित आतंकवादियों जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई करने समेत छह मुख्य दायित्वों को पूरा करने में नाकाम रहा था।

साल 2020 में सईद को आतंकवाद के वित्तपोषण के चार मामलों में कुल मिलाकर 21 साल के कारावास की सजा सुनाई गई। विशेषज्ञों ने इस कदम को पाकिस्तान द्वारा अपनी वैश्विक छवि सुधारने और एफएटीएफ की 'ग्रे' सूची से बाहर निकलने की कोशिश करार दिया।

इसके अलावा दोनों देश पाकिस्तान में कथित जासूसी के लिये मौत की सजा पाए कुलभूषण जाधव को किस प्रकार अपनी बात रखने का मौका दिया जाए, उस पर भी सहमति बनाने में नाकाम रहे। कुलभूषण को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई है जिसके खिलाफ उन्होंने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान इस मामले से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर जवाब देने में नाकाम रहा है।

हालांकि कोविड-19 महामारी और इसकी रोकथाम के लिये दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्यों के बीच संयुक्त प्रयासों से भारत-पाकिस्तान संबंधों में सुधार की उम्मीद जगी, लेकिन इसके बाद इस्लामाबाद ने सार्क की अधिकांश उच्चस्तरीय बैठकों का इस्तेमाल कश्मीर और अन्य द्विपक्षीय मुद्दे उठाने के लिये किया।

भारत ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई सार्क की बैठक में कश्मीर मुद्दा उठाने के लिये पाकिस्तान की निंदा की और कहा कि इस्लामाबद ने इस मौके का ''दुरुपयोग'' किया क्योंकि यह राजनीतिक नहीं बल्कि मानवीय मंच है।

पंजाब प्रांत के सरगोधा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर अशफाक अहमद के अनुसार इस्लामाबाद और नयी दिल्ली के बीच अविश्वास के चलते 2020 में द्विपक्षीय संबंध आगे नहीं बढ़ पाए।

उन्होंने कहा कि 2021 में भी दोनों देशों के बीच व्यापक सहयोग की उम्मीदें बहुत कम हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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