चीन ने लागया दिमाग, भारत में बेतहाशा बढ़ सकते हैं पेट्रोल के दाम, अमेरिका की भी हालत खराब
By भारती द्विवेदी | Published: July 22, 2018 05:37 PM2018-07-22T17:37:34+5:302018-07-22T17:37:34+5:30
इससे दोनों देश के शक्ति प्रदर्शन का खामियाजा भारत को भुगतना पड़ेगा। चीन करेंसी वार के बाद 5000 अरब डॉलर के ग्लोबल फॉरेन एक्सचेंज पर पड़ेगा।
नई दिल्ली, 22 जुलाई: पिछले कुछ दिनों से दुनिया के दो सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका और चीन में ट्रेड वार चल रहा है। पहले अमेरिका ने चीन के खिलाफ कदम उठाते हुए चीन के 200 अरब डॉलर के प्रोडक्ट पर 10 फीसदी का शुल्क लगाया था। जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में चीनी ने भी अमेरिकी निर्यात पर शुल्क लगा दिया है। लेकिन अब चीन एक बड़ी ही चतुराई भरा कदम उठाया है, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति करेंसी वार कह रहे हैं। लेकिन चिंता की बात वह नहीं है। चिंता की बात भारत के लिए ये है कि चीन के इस कदम से भारत में पेट्रोल की कीमतों में उछाल आ सकता है।
असल में, दोनों देशों के बीच चल रहे ट्रेड वार को आगे ले जाते हुए अब चीन ने अपनी करेंसी युआन को डॉलर के मुकाबले कम कर दिया है। जिससे अब ये ट्रेड वार 'करेंसी वार' में बदल गई है। इसके मायने यह हैं कि चीन ने युआन को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक फीसदी से ज्यादा कम कर दियाा है। इसके बाद युआन एक साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। साथ ही युआन के और नीचे जाने की संभावना जताई जा रही है। इसका मतलब यह होता है कि चीन की करेंसी की तुलना में अमेरिकी डॉलर की कीमत पहले से ज्यादा हो जाएगी। इससे चीन को यह फायदा होगा कि उसका निर्यात बढ़ जाएगा। क्योंकि दाम कम होने पर लोग उसके यहां से ज्यादा वस्तुएं खरीदने लगेंगे। दूसरी ओर अमेरिका के डॉलर की कीमत ज्यादा होने के चलते दूसरे देश वहां से आयात करने से कतराएंगे। डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस ओर ध्यान खींचा है। चीन जानबूझकर अपनी करेंसी कमजोर कर रहा है।
....The United States should not be penalized because we are doing so well. Tightening now hurts all that we have done. The U.S. should be allowed to recapture what was lost due to illegal currency manipulation and BAD Trade Deals. Debt coming due & we are raising rates - Really?
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) July 20, 2018
इससे दोनों देश के शक्ति प्रदर्शन का खामियाजा भारत को भुगतना पड़ेगा। चीन करेंसी वार के बाद 5000 अरब डॉलर के ग्लोबल फॉरेन एक्सचेंज पर पड़ेगा। इसके बाद पेट्रोल-डीजल समेत कई अन्य वस्तुएं मंहगी हो जाएंगी। डॉलर का और शक्तिशाली होने के बाद डेवलपिंग कंट्री को ज्यादा आयात शुल्क भरना होगा। पेट्रोलियम पर भी आयात शुल्क बढ़ेगा। ऐसा होने के बाद पहले से ही पेट्रोल-डीजल की मार झेल रही भारत की जनता और ज्यादा मंहगाई झेलने को मजबूर होगी।
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