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अमेरिका में मास्क को लेकर बहस अदालत कक्षों तक पहुंची

By भाषा | Updated: August 28, 2021 20:09 IST

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वाशिंगटन, 28 अगस्त (एपी) कोरोना वायरस महामारी के बाद फिर से खुले स्कूलों में छात्रों को मास्क पहनकर आना चाहिए या नहीं, इस पर जारी बहस अब अदालतों तक पहुंच चुकी है। देश के कम से कम 14 राज्यों में स्कूलों में मास्क लगाए जाने अथवा इसके विरोध में याचिकाएं दाखिल की गयी हैं। कुछ स्कूल के प्रशासकों को बच्चों को सुरक्षित करने के लिए राज्य के नेताओं के खिलाफ भी कानूनी लड़ाई के लिए उतरना पड़ा है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि राज्यों के पास स्थानीय स्तर पर संक्रमण को रोकने के लिए कानून लागू करने की शक्ति हैं। अमेरिका में मास्क को लेकर जारी विरोध और हिंसा के कारण यह बहस अब अदालतों तक पहुंच चुकी है। पब्लिक स्कूलों में मास्क को लेकर अलग-अलग नियम हैं। कुछ राज्यों में इसे जरूरी बनाया गया है तो कुछ में इस पर पाबंदी है। जबकि, कुछ ऐसे भी राज्य हैं जिसने इसकी जिम्मेदारी संबंधित जिलों पर छोड़ दिया है। फ्लोरिडा, टेक्सास और एरिजोना में कई स्कूलों में मास्क पहनने को जरूरी बनाने की लड़ाई अदालतों में पहुंच चुकी है और गवर्नर भी इस मामले में कूद पड़े हैं। इसी तरह उटाह, लोवा और साउथ कैरोलीना में भी याचिकाएं दाखिल की गयी हैं। मिसूरी, इलिनोइस, मिशिगन, केंटुकी और मोंटाना में भी मास्क को जरूरी बनाए जाने को लेकर अदालतों में मुकदमा शुरू हो गया है। मास्क पर जारी बहस के बीच सबसे ज्यादा चिंतित बच्चों के अभिभावक हैं। अदालतों में भी अलग अलग निर्णय आए हैं। अरकंसास और अरिजोना में मास्क लगाने के समर्थकों को जीत मिली वहीं टेक्सास सुप्रीम कोर्ट ने मास्क लगाने के निर्णय पर रोक लगा दी जबकि फ्लोरिडा के एक न्यायाधीश ने नियम को मंजूरी दे दी। संघीय रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र स्कूलों में मास्क पहनने की सिफारिश की है। देश में 12 वर्ष या इससे कम उम्र के बच्चे अभी कोविड-19 रोधी टीका लेने के पात्र नहीं है। रिपब्लिकन नेता मास्क पहने जाने के फैसले का विरोध करते हुए कह रहे हैं कि वयस्कों की तुलना में बच्चों को संक्रमण का कम खतरा है और उनके लिए दिनभर इसे पहने रहना ठीक नहीं होगा तथा अभिभावकों को फैसला करना चाहिए क्या वे अपने बच्चों को मास्क पहनाना चाहते हैं। बहरहाल, लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस से रोकथाम में मास्क एक महत्वपूर्ण कवच है और इससे बच्चों को कोई खतरा नहीं है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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