त्योहरी यात्रा, टीकों की कमी ने बांग्लादेश के लिए महामारी का जोखिम बढ़ाया
By भाषा | Published: May 13, 2021 08:09 PM2021-05-13T20:09:51+5:302021-05-13T20:09:51+5:30
ढाका, 13 मई ईद उल फितर का त्योहार मनाने के लिए हजारों लोग बांग्लादेश की राजधानी ढाका से बृहस्पतिवार को अपने-अपने गांवों के लिए रवाना हो गए। हालांकि, सरकार ने चेतावनी जारी कर रखी थी कि लोगों के इस तरह एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से देश में महामारी के मामलों में तीव्र वृद्धि हो सकती है।
देश में रविवार तक लागू लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए ढाका के निकास बिन्दुओं पर लोगों की भीड़ नजर आई।
लंबी दूरी की यात्री बसों और ट्रेनों को निलंबित किए जाने तथा सड़कों पर पुलिस द्वारा अवरोधक लगाए जाने के बावजूद लोग नहीं रुके और वे ट्रकों के पीछे लटककर, या फिर छोटे वाहनों के माध्यम से या फिर नौकाओं के जरिए नदियों को पार कर बड़ी संख्या में अपने-अपने गांवों के लिए रवाना हो गए। बुधवार से जारी इस तरह के हालात में भगदड़ की घटनाओं में कम से कम पांच लोगों की मौत हो चुकी है।
बांग्लादेश के महामारी विज्ञान संस्थान के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ने कहा, ‘‘इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे यहां वायरस का कौन सा स्वरूप है, लेकिन मुद्दा यह है कि लोग मास्क पहनते हैं या नहीं अथवा भीड़भाड़ से बचते हैं या नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘छुट्टी (ईद) की भीड़ की वजह से वायरस के फैलने का जोखिम है।’’
देश ने बृहस्पतिवार से शुरू हुईं छुट्टियों की वजह से टीके की दूसरी खुराक देने का काम तीन दिन के लिए स्थगित कर दिया, लेकिन इसे टीकों की कमी की वजह से भी यह काम रोकना पड़ सकता है।
बांग्लादेश में टीकों की कमी का संकट तब शुरू हुआ जब भारत ने अपने यहां महामारी की दूसरी लहर की वजह से सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित एस्ट्रोजेनेका के टीके के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।
हालांकि चीन से कोविड रोधी टीके मिलने से देश को कुछ राहत जरूर मिल सकती है।
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