तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों की लड़ाईः UN ने कहा- नागरिकों की मौत के मामले बढ़े, अप्रैल में 208 लोगों की मौत
By भाषा | Updated: May 20, 2020 15:09 IST2020-05-20T15:09:49+5:302020-05-20T15:09:49+5:30
तालिबान और अफगान में शांति समझौता हुआ था। लेकिन तालिबान पर उसका असर नहीं है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इस कारण वहां आम नागरिक की मौत हो रही है।

तालिबान ने प्रसूति अस्पताल के हमले में शामिल होने से इनकार किया है, जिसमें 24 लोगों की मौत हो गई थी। (file photo)
काबुलः संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में हिंसा को तुरंत कम करने का आह्वान किया और कहा कि तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों की लड़ाई में नागरिकों की मौत के मामले बढ़ रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र मिशन ने एक बयान में इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह द्वारा दावा किए गए घातक हमलों को लेकर चिंता व्यक्त की। राजधानी के एक प्रसूति अस्पताल में पिछले सप्ताह हुए एक भयानक हमले की जिम्मेदारी किसी भी समूह द्वारा नहीं ली गयी है, लेकिन अमेरिका ने कहा कि यह अफगानिस्तान के आईएस संबद्ध समूह ने किया है, जो देश के अल्पसंख्यक शियाओं को निशाना बनाते हुए उन पर हमले करते रहते हैं। इन समूहों ने पहले भी कई बार हमले किए हैं।
तालिबान ने प्रसूति अस्पताल के हमले में शामिल होने से इनकार किया है, जिसमें 24 लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में दो शिशु और कई माताएं शामिल थी। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में अप्रैल में 208 नागरिकों की हत्या के लिए तालिबान को दोषी ठहराया गया, जबकि अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई में अप्रैल में 172 नागरिक मारे या घायल हो गए थे।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुहाएद ने एक ट्वीट करके संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों पर असहमति जताई और इन मौतों के लिए ‘‘अमेरिका द्वारा किये गये अंधाधुंध हवाई हमलों और आंतरिक ताकतों’’ को जिम्मेदार ठहराया। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि देबोरा लियोन्स ने कहा, ‘‘सभी पक्ष एक शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध हैं, सभी अफगानी नागरिकों के जीवन की रक्षा करनी चाहिए और युद्ध की समाप्ति तक लोगों की उम्मीद को खतरे में नहीं डालना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए अफगान शांति वार्ता जल्द से जल्द शुरू करने की जरूरत है।’’
गुतारिस ने अफगान राष्ट्रपति गनी और अब्दुल्ला के बीच समझौते की सराहना की
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला के बीच हुए समझौते पर खुशी जताते हुए कहा कि यह एक ऐसा कदम है जिससे देश के लंबे समय से चल रही अशांति को समाप्त कर शांति समझौते के लिए प्रयास किए जा सकते हैं।
समझौते के अनुसार अशरफ गनी राष्ट्रपति बने रहेंगे जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला की टीम की मंत्रिमंडल में आधी हिस्सेदारी होगी। अब्दुल्ला कार्यकारी प्राधिकरण के साथ राष्ट्रीय सुलह समझौता उच्च परिषद (एचसीएनआर) के प्रमुख होंगे। समझौते के अनुसार तालिबान के साथ होने वाली शांति वार्ता एचसीएनआर के तहत अब्दुल्ला के नेतृत्व में होगी।
अब्दुल्ला ने गनी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में मुख्य कार्यकारी के रूप में सेवा दी थी। महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि गुतारेस को उम्मीद है कि गनी और अब्दुल्ला के बीच हुए इस समझौते से व्यापक शांति समझौते की दिशा में प्रयास किया जा सकता है। साथ ही साथ कोविड-19 की रोकथाम और अन्य चुनौतियों का समाधान कर नागरिकों के विकास पर ध्यान दिया जा सकता है।