चीनी खतरे से निपटने के लिए ताइवान खरीदेगा 400 एंटी शिप हार्पून मिसाइलें, ड्रैगन के युद्धपोतों को डूबोने की तैयारी
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: April 18, 2023 05:06 PM2023-04-18T17:06:05+5:302023-04-18T17:07:42+5:30
ताइवान अमेरिका से जमीन से दागी जाने वाली पोत रोधी हार्पून मिसाइलें खरीदने वाला है। ऐसा पहली बार होगा जब ताइवान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में सक्षम जमीन आधारित हार्पून मिसाइल मिलने जा रही है।
नई दिल्ली: चीन की बढ़ती आक्रामकता और उसकी तरफ से किए जाने वाले किसी भी संभावित हमले से निपटने के लिए ताइवान भी तैयारियों में जुट गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार ताइवान अमेरिका से जमीन से दागी जाने वाली पोत रोधी हार्पून मिसाइलें खरीदने वाला है। जानकारी के अनुसार ताइवान 400 हारपून मिसाइलों के सौदे के अंतिम रूप देने की तैयारी में है। इसके लिए ताइवान की संसद ने साल 2022 में ही मंजूरी दे दी थी।
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अमेरिकी रक्षा विभाग ने हाल ही में बोइंग के साथ 1.7 बिलियन डॉलर के अनुबंध की घोषणा की थी। हालांकि आधिकारिक रूप से अब तक ये नहीं बताया गया है कि खरीदार कौन है। खरीदार के रूप में ताइवान का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। ताइवान एक स्व-शासित द्वीप है जिस पर चीन अपने हिस्से के रूप में दावा करता है। अमेरिका और ताइवान के बीच अगर हार्पून मिसाइलों का सौदा हुआ तो चीन-अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने की संभावना है। ऐसा पहली बार होगा जब ताइवान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में सक्षम जमीन आधारित हार्पून मिसाइल मिलने जा रही है। इससे पहले ताइवान ने अमेरिका से युद्धपोत के जरिए दागे जाने वाली हार्पून मिसाइलें खरीदी थीं।
अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रवक्ता सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन मीनर्स ने यह बताने से इनकार किया है कि क्या ताइवान हार्पून मिसाइलों का प्राप्तकर्ता होगा या नहीं। हालांकि उन्होंने ये जरूर कहा कि हम ताइवान को समय पर रक्षा उपकरण प्रदान करने के लिए उद्योग के साथ काम करना जारी रखेंगे।
बता दें कि बीते 8 से 10 अप्रैल के बीच चीन ने ताइवानी सीमाओं के आसपास आक्रामक सैन्य अभ्यास किया था। हाल ही में ताइवान के राष्ट्रपति साई इंग वेन के संयुक्त राज्य अमेरिका की थी जिससे चीन भड़का हुआ है। 71 लड़ाकू विमान और 9 युद्धपोतों के साथ चीन ने ताइवान पर वास्तविक हमले का अभ्यास किया था। चीन ने अपना सैन्य अभ्यास ये ध्यान में रखकर किया कि अगर ताइवान पर कब्जे की अंतिम लड़ाई छेड़ी गई तो इसे कैसे संचालित करना है। चीन के इन कदमों से ताइवान में भय है और वह अब अपनी रक्षा के लिए जरूरी हथियार जुटाने की कोशिश में लगा है।