बदल रहा है पृथ्वी के महासागरों का रंग, हरे होते जा रहे हैं समंदर, विज्ञान पत्रिका 'नेचर' के अध्ययन में खुलासा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 24, 2023 05:53 PM2023-07-24T17:53:30+5:302023-07-24T17:56:52+5:30

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, महासागरों के रंग में बदलाव से संकेत मिलता है कि सतही महासागर के भीतर पारिस्थितिकी तंत्र भी बदल रहा होगा, चूंकि महासागर का रंग उसके पानी में मौजूद जीवों और सामग्रियों का ही प्रतिबिंब है।

Revealed in the study of science journal 'Nature' Earth's oceans are changing color | बदल रहा है पृथ्वी के महासागरों का रंग, हरे होते जा रहे हैं समंदर, विज्ञान पत्रिका 'नेचर' के अध्ययन में खुलासा

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsपृथ्वी के महासागरों का रंग काफी हद तक बदल गया है - अध्ययनवैज्ञानिक पत्रिका 'नेचर' में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में खुलासायह मनुष्य की आंखों के लिए बेहद सूक्ष्म परिवर्तन है

नयी दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले दो दशकों में पृथ्वी के महासागरों का रंग काफी हद तक बदल गया है। यह बात एक अध्ययन में कही गई। ब्रिटेन की प्रमुख वैज्ञानिक पत्रिका 'नेचर' में हाल ही में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 20 वर्षों में महासागरों के रंग में परिवर्तन का पता चला है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस परिवर्तन को केवल प्राकृतिक, वर्ष-दर-वर्ष परिवर्तनशीलता द्वारा नहीं समझाया जा सकता।

विशेषज्ञों के मुताबिक, महासागरों का यह रंग परिवर्तन दुनिया के महासागरों के 56 प्रतिशत हिस्से में घटित हुआ है और यह मनुष्य की आंखों के लिए बेहद सूक्ष्म परिवर्तन है। अमेरिका के प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), ब्रिटेन के राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान केंद्र और अन्य संस्थानों के विशेषज्ञों की टीम ने अपने अध्ययन में पाया कि भूमध्य रेखा के पास के उष्णकटिबंधीय महासागर क्षेत्र, विशेष रूप से, समय के साथ हरे हो गए हैं।

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, महासागरों के रंग में बदलाव से संकेत मिलता है कि सतही महासागर के भीतर पारिस्थितिकी तंत्र भी बदल रहा होगा, चूंकि महासागर का रंग उसके पानी में मौजूद जीवों और सामग्रियों का ही प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि यह निश्चित नहीं है कि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र वास्तव में कैसे बदल रहे हैं, हालांकि, मानव-निर्मित जलवायु परिवर्तन संभवतः इसका प्रमुख कारण है।

एमआईटी में वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक स्टेफनी डुटकिविज ने कहा, ‘मैं ऐसे नमूने देख रही हूं, जो मुझे वर्षों से बता रहे हैं कि समुद्र के रंग में ये बदलाव होने वाले हैं। वास्तव में ऐसा होते देखना आश्चर्यजनक नहीं, बल्कि भयावह है। और ये बदलाव हमारी जलवायु में मानव-निर्मित परिवर्तनों के अनुरूप हैं।’ समुद्र का रंग उसकी ऊपरी परतों के भीतर मौजूद हर चीज का ही एक प्रतिबिंब है। आम तौर पर, गहरे नीले पानी में बहुत कम जीवन होता है, जबकि हरा पानी पारिस्थितिकी तंत्र और मुख्य रूप से फाइटोप्लांकटन की मौजूदगी का संकेत देता है।

फाइटोप्लांकटन, पौधे जैसे सूक्ष्म जीव होते हैं जो ऊपरी समुद्र में प्रचुर मात्रा में होते हैं और जिनमें हरा वर्णक क्लोरोफिल होता है। अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने एक्वा उपग्रह पर मौजूद ‘मॉडरेट रेजोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडियोमीटर’ द्वारा लिए गए समुद्र के रंग के माप का विश्लेषण किया, जो 21 वर्षों से समुद्र के रंग की निगरानी कर रहा है।

(इनपुट - एजेंसी, भाषा)

Web Title: Revealed in the study of science journal 'Nature' Earth's oceans are changing color

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