प्रत्यक्षदर्शियों का दावा- रॉयटर्स के दो पत्रकारों को म्यांमार जेल से किया गया रिहा, 500 दिन रहना पड़ा जेल में

By पल्लवी कुमारी | Published: May 7, 2019 08:50 AM2019-05-07T08:50:05+5:302019-05-07T08:50:05+5:30

म्यांमार मीडिया के रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक बंदियों की मदद करने वाले एक एनजीओ ने हालिया रिपोर्ट में कहा था कि म्यांमार देश ने माफी कार्यक्रम के तहत अप्रैल में 9500 से ज्यादा कैदियों को रिहा करने की प्रक्रिया शुरू की लेकिन इसमें रॉयटर्स के पत्रकार वा लोन और क्याव सो ओ का नाम नहीं था।

Reuters 2 reporters jailed in Myanmar freed from prison: witnesses | प्रत्यक्षदर्शियों का दावा- रॉयटर्स के दो पत्रकारों को म्यांमार जेल से किया गया रिहा, 500 दिन रहना पड़ा जेल में

तस्वीर- रॉयटर्स

Highlightsरॉयटर्स ने दावा किया था कि दोनों पत्रकारों ने कोई अपराध नहीं किया था और अपनी रिहाई के लिए बुलाया था। सितंबर 2017 में गिरफ्तारी के पहले रॉयटर्स के दोनों पत्रकारों ने रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ सेना के अत्याचार के खिलाफ रिपोर्टिंग की थी।

रॉयटर्स ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से दावा करते हुए कहा है कि मंगलवार (7 मई 2019) को म्यांमार के यंगून के बाहरी इलाके में एक जेल से बाहर आते हुए रॉयटर्स के दो पत्रकार वा लोन (33) और क्याव सो ओ (29) को देखा गया है। वा लोन और क्याव सो ओ ने म्यांमार के जेल में 500 दिन बिताए हैं। रॉयटर्स के दो पत्रकार वा लोन और क्याव सो ओ को सरकारी गोपनीयता कानून को तोड़ने के तहत म्यांमार में सात साल की सजा सुनाई गई थी। इस खबर की पुष्टि फिलहाल अभी म्यांमार सरकार ने नहीं की है।

म्यांमार मीडिया के रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक बंदियों की मदद करने वाले एक एनजीओ ने हालिया रिपोर्ट में कहा था कि म्यांमार देश ने माफी कार्यक्रम के तहत अप्रैल 2019 में 9500 से ज्यादा कैदियों को रिहा करने की प्रक्रिया शुरू की लेकिन इसमें रॉयटर्स के पत्रकार वा लोन और क्याव सो ओ का नाम शामिल नहीं था।

दोनों पत्रकारों वा लोन और क्याव सो ओ सितंबर 2017 में दोषी ठहराया गया था और सात साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। म्यांमार के राष्ट्रपति विन मिंट ने अप्रैल में जानकारी देते हुए कहा थि बौद्ध नव वर्ष त्यौहार तिंगयान के दौरान मानवीय आधार पर माफी दी गयी है। जिसके तहत 16 विदेशी कैदियों को माफी देने और वापस भेजने की संभावना है। लेकिन इसमें रॉयटर्स के दोनों पत्रकारों का नाम नहीं था। 

रॉयटर्स ने दावा किया था कि दोनों पत्रकारों ने कोई अपराध नहीं किया था और अपनी रिहाई के लिए बुलाया था। सितंबर 2017 में गिरफ्तारी के पहले रॉयटर्स के दोनों पत्रकारों ने रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ सेना के अत्याचार के खिलाफ रिपोर्टिंग की थी। वा लोन और क्याव सो ओ अगस्त 2017 में शुरू हुए एक सेना के हमले के दौरान पश्चिमी म्यांमार के रखाइन प्रांत में सुरक्षा बलों और बौद्ध नागरिकों द्वारा 10 रोहिंग्या मुस्लिम पुरुषों और लड़कों की हत्या की जांच पर काम कर रहे थे। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, ऑपरेशन ने बांग्लादेश में भाग जाने वाले 730,000 से अधिक रोहिंग्या थे। 

Web Title: Reuters 2 reporters jailed in Myanmar freed from prison: witnesses

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