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दूरस्थ क्षेत्रों में छेड़े जाने वाले युद्ध पर उठते सवाल

By भाषा | Updated: November 24, 2021 13:52 IST

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(लॉरेन गोल्ड, जोले डेमर्स, यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी एवं नोरा स्टेल, रेडबाउंड यूनिवर्सिटी)

यूट्रेक्ट/नाइमेजन, 24 नवंबर (द कन्वरसेशन) अमेरिकी सेना पर आरोप लग रहे हैं कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन बलों के युद्ध में आम नागरिकों के मारे जाने के मामलों को वह छिपा रही रही है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसने पश्चिम एशिया में अमेरिका एवं गठबंधन बलों के हस्तक्षेप के इस सबसे अधिक चिंताजनक पहलू की ओर ध्यान आकर्षित किया।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने 12 नवंबर 2021 को खुलासा किया कि 2019 में सीरिया के शहर बाघज में एफ-15 के हवाई हमले में 70 से अधिक लोग मारे गए थे। तब कानूनी अधिकारियों ने इस घटना को संभावित युद्ध अपराध बताते हुए जांच का अनुरोध किया था। लेकिन इस बारे में जांच कभी हुई ही नहीं। बल्कि हमले संबंधी जानकारी दबा दी गई, असहज प्रश्नों को टाल दिया गया, रिपोर्टें हटा दी गईं या गोपनीय श्रेणी में डाल दी गईं। इस विषय को उठाने वाले रक्षा विश्लेषक जीन टाटे को बर्खास्त कर दिया गया।

टाटे जब मीडिया के सामने आए तब पेंटागन को यह स्वीकार करना पड़ा कि उक्त हमले में 80 लोग मारे गए थे। हालांकि इस बारे में कोई स्वीकारोक्ति नहीं हुई कि मरने वाले आम नागरिक थे या नहीं या इस घटना को युद्ध अपराध माना जाना चाहिए या नहीं। पेंटागन ने कहा कि मारे गए लोग आम नागरिक थे या नहीं यह पता लगाना असंभव हैं क्योंकि कई बार आईएस में महिलाएं और बच्चे भी हथियारबंद होते हैं।

बाघज हवाईहमला इस तरह की इकलौती घटना नहीं था। इराक के हाविजा शहर में 2015 में आईएस के हथियारों के कारखाने पर हॉलैंड नीत बलों के हवाई हमले में 70 से अधिक आम नागरिक मारे गए थे। इस बारे में गहराई से पड़ताल करने पर पता चला कि आम नागरिकों की मौत, इससे इनकार और इसे छिपाने के प्रयासों में कुछ नया नहीं है। हॉलैंड के नेताओं ने पहले तो आम नागरिकों के मारे जाने संबंधी कोई भी जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया, उसके बाद सुरक्षा संबंधी अभियान के नाम पर मृतकों की संख्या छिपाने का प्रयास किया।

पत्रकारों के दबाव के बावजूद अधिकारियों ने दावा किया कि यह कोई नहीं बता सकता कि मारे गए लोग आम नागरिक थे या आईएस के लड़ाके।

आईएस के खिलाफ दूर दराज के क्षेत्रों में छेड़ी गई लड़ाई में आम नागरिकों की मौत से इनकार करना और उनकी असैन्य पहचान पर सवाल उठाना एक व्यवस्थित तरीका है।

निगरानी एजेंसी एयरवार्स का अनुमान है कि 35,000 हवाई हमलों में अनुमानित 8,150 से 13,174 लोग मारे गए। ये हवाई हमले 2014 में युद्ध शुरू होने के बाद से किए गए।

आईएस के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व वाला गठबंधन युद्ध इस बात का एक अच्छा उदाहरण है कि कैसे उन्नत सेनाएं दूरस्थ युद्ध की ओर रुख कर रही हैं। इसमें ड्रोन और हवाई हमले होते हैं, विशेष अभियान दल होते हैं जो स्थानीय बलों को वास्तविक लड़ाई के लिए प्रशिक्षित करते हैं। इन ‘बिना जोखिम वाले युद्ध’’ में पश्चिमी लोकतांत्रिक देशों के नेताओं की दिलचस्पी बढ़ रही है क्योंकि इसमें सार्वजनिक आलोचना का कोई खतरा नहीं होता और चुनाव पर भी इसका असर नहीं पड़ता।

दूरस्थ युद्ध के बारे में लोगों को बताया जाता है कि मिसाइल ने कितना सटीक हमला किया और आम नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचे इस बात का कितना खयाल रखा गया। ऐसी बातों से उन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है।

जब भी किसी हमले में आम नागरिकों को नुकसान पहुंचने की स्थिति बनती है तो पश्चिमी देशों की सरकारें ऐसी बातों को छिपा जाती हैं और इन्हें दबाए रखने के पूरे-पूरे प्रयास करती हैं।

निगरानी संगठन, पत्रकार, अकादमिक क्षेत्र के लोग और सेना के व्हिसलब्लोअर इन घटनाओं को सामने लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और दूरस्थ क्षेत्रों में मरने वालों और पीड़ा झेल रहे लोगों के बारे में जानकारी सामने लाते हैं। अब समय आ गया है कि पश्चिमी देशों के लोग और उनकी सरकारें इस ओर ध्यान दें और इस तरह कि हिंसा पर सवाल उठाएं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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