चीन से निपटने के लिए साझी तैयारी, 10 दिवसीय मालाबार नौसैनिक अभ्यास के लिए ऑस्ट्रेलिया में जुटेंगे 'क्वाड' देशों के युद्धपोत और विमान
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 7, 2023 07:31 PM2023-08-07T19:31:30+5:302023-08-07T19:33:01+5:30
मालाबार नौसैनिक अभ्यास 11 से 21 अगस्त तक चलेगा। भारत ने मालाबार युद्धाभ्यास के लिए गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक आईएनएस कोलकाता, मल्टी-मिशन फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री और एक पी-8आई लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान को भेजा है।
नई दिल्ली: 'क्वाड' के सदस्य देश भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इस सप्ताह सिडनी में मालाबार नौसैनिक अभ्यास शुरू करने के लिए तैयार हैं। समुद्र में किया जाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा नौसैनिक युद्धाभ्यास 11 से 21 अगस्त तक चलेगा। भारत ने मालाबार युद्धाभ्यास के लिए गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक आईएनएस कोलकाता, मल्टी-मिशन फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री और एक पी-8आई लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान को भेजा है।
इस युद्धाभ्यास उद्देश्य चीन के लगातार आक्रामक कदमों के बीच सैन्य अंतर-क्षमता को और मजबूत करना है। चीन के पास इस समय दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। वह प्रशांत महासागर, हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में लगातार अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। दक्षिण चीन सागर में तो चीन अक्सर दादागिरी भी दिखाता है। चीन की महात्वाकांक्षा को देखते हुए ही भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया अपने साझा हितों की रक्षा के लिए एक साथ आए थे।
10 दिवसीय नौसैनिक अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब लोकतांत्रिक ताइवान के खिलाफ चीन की विस्तारवादी बयानबाजी और बाहुबल को लेकर एक बार फिर तनाव बढ़ रहा है। भारत को भी अपनी भूमि सीमा पर आक्रामक चीन का सामना करना पड़ रहा है। पूर्वी लद्दाख में सैन्य टकराव अब चौथे वर्ष में पहुंच गया है। हालांकि 'क्वाड' देशों ने पहले ही ये साफ कर दिया है कि इंडो-पैसिफिक में किसी भी 'जबरदस्ती' को रोकने के लिए चारो देश प्रतिबद्ध हैं।
मालाबार नौसैनिक अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया विध्वंसक एचएमएएस ब्रिस्बेन और बे-क्लास लैंडिंग जहाज एचएमएएस चौल्स को तैनात कर रहा है। अमेरिका और जापान ने अभ्यास के लिए एक-एक युद्धपोत भेजा है। जापान को छोड़कर अन्य तीन देश अभ्यास के लिए विमान भी तैनात करेंगे।
बता दें कि वार्षिक मालाबार अभ्यास 1992 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय प्रयास के रूप में शुरू हुआ था। अब इसमें जापान और ऑस्ट्रेलिया नियमित भागीदार के रूप में शामिल हैं। हालाँकि इस साल का अभ्यास जो पहली बार ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया जा रहा है। युद्धपोतों की संख्या के मामले में इस बार का अभ्यास अपेक्षाकृत छोटा है। इस बार तकनीक आधारित अभ्यास पर ज्यादा जोर दिया गया है।