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पीएम नरेंद्र मोदी ने युगांडा की संसद को किया सम्बोधित, महात्मा गांधी को किया याद

By भाषा | Updated: July 25, 2018 18:53 IST

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी के शांतिपूर्ण विरोध ने नेल्सन मंडेला , डेसमंड टूटू , अल्बर्ट लुथुली , जूलियस निरेरे और क्वामे क्रुमाह जैसे नेताओं को प्रेरित किया। 

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कम्पाला , 25 जुलाई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज घोषणा की कि युगांडा में एक पवित्र स्थल पर भारत एक गांधी धरोहर केंद्र का निर्माण करेगा जहां महान नेता के जीवन के वैश्विक और शाश्वत मूल्यों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए उनकी अस्थियों का एक हिस्सा विसर्जित किया गया था। 

युगांडा की संसद को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि गांधी अपने जीवन तथा इससे परे एक तरह से अफ्रीका तथा अफ्रीकियों से जुड़े थे और भारत का स्वयं का स्वतंत्रता संग्राम भी अफ्रीका से करीब से जुड़ा रहा। 

मोदी ने कहा , ‘‘जैसा कि हम महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मनाने जा रहे हैं तो ऐसे में उनके मिशन को आकार देने में हमें अफ्रीका की भूमिका , जिसने यहां तक कि अफ्रीका को स्वतंत्रता और न्याय तथा उनके जीवन के वैश्विक एवं शाश्वत मूल्यों के प्रति प्रेरित किया , की याद दिलाने के लिए एक केंद्र के निर्माण से बेहतर कोई और श्रद्धांजलि नहीं हो सकती। ’’ 

प्रधानमंत्री ने कहा , ‘‘कम्पाला से 85 किलोमीटर दूर जिन्जा स्थित पवित्र स्थल पर जहां गांधी जी की प्रतिमा लगी है , हम गांधी धरोहर केंद्र बनाएंगे।’’ 

युगांडा की संसद को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के लिए गांधी अफ्रीका में उनके द्वारा बिताए गए 21 साल और उनके नेतृत्व में लड़े गए पहले असहयोग आंदोलन से कहीं ज्यादा हैं। 

उन्होंने कहा , ‘‘ भारत के लिए , स्वतंत्रता आंदोलन या इसे हासिल करने के लिए शांति माध्यमों के नैतिक सिद्धांत , केवल भारत की सीमाओं या भारतीयों के भविष्य तक ही सीमित नहीं हैं। ये स्वतंत्रता , गरिमा , समानता और प्रत्येक मानव के लिए अवसरों की एक वैश्विक इच्छा को दर्शाते हैं। अफ्रीका से ज्यादा यह और कहीं दृष्टिगोचर नहीं होता। ’’ 

मोदी ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता से 20 साल पहले भारतीय नेताओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को दुनियाभर में , खासकर अफ्रीका में औपनिवेशक शासन के खिलाफ लड़ाई के रूप में जोड़ा था। उन्होंने कहा कि जब भारत स्वतंत्रता की दहलीज पर था तो तब अफ्रीका का प्रारब्ध भी इसके दिलोदिमाग में था। 

प्रधानमंत्री ने कहा , ‘‘ महात्मा गांधी का दृढ़ता के साथ यह मानना था कि जब तक अफ्रीका गुलाम है तब तक भारत की स्वतंत्रता अधूरी है। ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ हम अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ मजबूती से खड़े हुए। हमने पूर्व रोडेशिया , जिसे जिम्बाब्वे , गिनी बिसाऊ , अंगोला और नामीबिया के रूप में जाना जाता है , में अग्रणी एवं साहसिक दृष्टिकोण अपनाया। ’’ 

मोदी ने कहा कि गांधी के शांतिपूर्ण विरोध ने नेल्सन मंडेला , डेसमंड टूटू , अल्बर्ट लुथुली , जूलियस निरेरे और क्वामे क्रुमाह जैसे नेताओं को प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने कहा , ‘‘ इतिहास भारत और अफ्रीका के प्राचीन ज्ञान की सफलता तथा शांतिपूर्ण विरोध की सतत दृढ़ता का साक्षी है। ’’ 

उन्होंने कहा कि अफ्रीका के स्वतंत्रता आंदोलनों को भारत के सैद्धांतिक समर्थन का प्रभाव अक्सर हमारे देशों के व्यापार पर पड़ा , लेकिन अफ्रीका की आजादी से अधिक कोई और चीज महत्वपूर्ण नहीं थी। 

मोदी कल शाम अपने दो दविसीय दौरे पर युगांडा पहुंचे और फिर तीन देशों की अपनी यात्रा के अंतिम चरण के तहत आज दक्षिण अफ्रीका रवाना हो गए। 

टॅग्स :नरेंद्र मोदी
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