दिल्ली दंगों पर पुलिस ने काल्पनिक कहानियां लिखीं, आरोपपत्र में लगाया ‘तड़का’ : उमर खालिद

By भाषा | Updated: October 12, 2021 21:26 IST2021-10-12T21:26:21+5:302021-10-12T21:26:21+5:30

Police wrote fictional stories on Delhi riots, imposed 'tadka' in chargesheet: Umar Khalid | दिल्ली दंगों पर पुलिस ने काल्पनिक कहानियां लिखीं, आरोपपत्र में लगाया ‘तड़का’ : उमर खालिद

दिल्ली दंगों पर पुलिस ने काल्पनिक कहानियां लिखीं, आरोपपत्र में लगाया ‘तड़का’ : उमर खालिद

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर दिल्ली दंगों की साजिश के आरोपी जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने मंगलवार को यहां अदालत को बताया कि जांच अधिकारी ने आरोप-पत्र में काल्पनिक कहानियां लिखीं और दलील दी कि क्या चक्का जाम का आयोजन आतंकवाद निरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम (यूएपीए) लगाने का आधार देता है।

खालिद समेत कुछ अन्य लोगों पर फरवरी 2020 में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में सख्त यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है और उन पर दंगों का “मुख्य साजिशकर्ता” होने का आरोप है। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष दंगों की साजिश के मामले में उमर की जमानत याचिका पर जिरह करते हुए उसके वकील ने मामले में दायर पूरक आरोप-पत्र का हवाला दिया कि पुलिस इस मामले में सभी आरोपियों को ‘एक ही लाठी से हांकना’ चाहती है और उसमें ‘तड़का’ लगा रही है।

दिल्ली पुलिस ने पहले कहा था कि उमर खालिद की जमानत याचिका में कोई दम नहीं है और यह मामले में दायर आरोपपत्र का हवाला देकर अदालत के समक्ष उसके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला प्रदर्शित करेगी।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पायस ने हालांकि अदालत से कहा, “मैं माननीय न्यायधीश दिखाऊंगा कि कैसे यूएपीए नहीं बनता है या आरोप असंभव हैं।”

उन्होंने आरोप पत्र में आरोपियों के खिलाफ लगाए गए तीन आरोपों का जिक्र करते हुए जोर देकर कहा कि वे पुलिस की उर्वर कल्पना थे और उनमें कोई एकरूपता नहीं थी।

उन्होंने कहा कि आरोप-पत्र में पुलिस द्वारा लगाया गया पहला आरोप यह था कि जेएनयू के छात्र शरजील इमाम ने चार दिसंबर, 2019 को उमर खालिद के निर्देश पर मुस्लिम छात्रों का एक व्हाट्सऐप समूह बनाया था।

इससे इनकार करते हुए उन्होंने कहा, “मुस्लिम छात्रों का व्हाट्सऐप समूह बनाना, क्या यह एक आतंक है? यह कहने का कोई गवाह नहीं है कि इसका गठन उमर (खालिद) के कहने पर हुआ था। मुझे चार्जशीट में आरोपित करना बेहद आसान है, जो महज एक अनुमान है।”

वकील ने आगे कहा कि इमाम और उमर खालिद के बीच संवाद नहीं था और बाद में व्हाट्सएप ग्रुप में भी कोई संदेश साझा नहीं किया गया था।

करीब एक घंटे तक चली जिरह के दौरान वकील ने जोर देकर कहा, “महज (व्हाट्सऐप) समूह में होना जुर्म नहीं है।”

पायस ने कहा, “आप (अभियोजन) हर आरोपी को एक ही रंग से रंगना चाहते हैं, जिससे जब आप आरोप पत्र में देखें तो लगे जैसे कि यह एक साजिश थी। आप इसे कहां से लाते हैं? यह आपके दिमाग की उपज है। इसका आधा भाग उर्वर कल्पना है। इनमें से कोई भी किसी भी बयान से समर्थित नहीं है।”

इसके अलावा उन्होंने उमर पर लगे दूसरे आरोप से भी इनकार किया कि उसने सात दिसंबर 2019 को जंतर मंतर पर ‘युनाइटेड अगेंस्ट हेट’ (यूएएच) द्वारा आयोजित एक प्रदर्शन में भाषण दिया था। अभियोजन के मुताबिक उसने स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव से भी इमाम को मिलवाया था।

आरोप-पत्र का हवाला देते हुए वकील ने कहा, “पुलिस ने कहा कि इमाम के सीनियर और ‘मेंटर’ उमर खालिद ने उसे योगेंद्र यादव से मिलवाया। सीनियर, मेंटर- यह तड़का उनके द्वारा लगाया गया। यह बेहद खतरनाक चीज है।”

उन्होंने यह भी कहा कि कथित तौर पर उमर खालिद द्वारा दिया गया भाषण पुलिस द्वारा पेश किया गया था और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इसने किसी को उकसाया।

वकील ने कहा, “अधिकारी कहानी सुनाना चाहता था लेकिन वह भूल गया कि वह कहानीकार नहीं है, उसे कानून से निपटना है। आरोप-पत्र में हर दावे का एक आधार होना चाहिए लेकिन इसका कोई आधार नहीं है। वे मुझे एक ही रंग से रंगना चाहते हैं लेकिन इसके लिए उनके पास सामग्री नहीं है।”

उन्होंने कहा कि उमर के खिलाफ तीसरा आरोप है कि उसने आठ दिसंबर 2019 को एक “गोपनीय बैठक” में कथित तौर पर हिस्सा लिया जिसमें चक्का जाम के आयोजन पर चर्चा की गई।

उन्होंने कहा, “क्या चक्का जाम एक अपराध है, क्या यह यूएपीए को आकर्षित करता है? क्या यह कहना कि हमारे प्रदर्शन में चक्का जाम किया जाएगा अपने आप आपराधिक साजिश हो जाता है? यह कहां कहा गया है कि यह एक अपराध है? हर खबर में इस बैठक का जिक्र था, जिसमें इसे बड़ी साजिश के तौर पर दिखाया गया।”

वकील ने अभियोजन पक्ष के तीन गवाहों के बयान पढ़े और दावा किया कि उनमें से किसी ने भी इसे गुप्त बैठक के रूप में वर्णित नहीं किया।

पायस ने दावा किया कि तीनों ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए और इसे विलंब के बाद दर्ज किया गया।

अदालत अब जमानत याचिका पर दो नवंबर को सुनवाई करेगी।

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Web Title: Police wrote fictional stories on Delhi riots, imposed 'tadka' in chargesheet: Umar Khalid

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