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पाकिस्तान: थमता नजर नहीं आ रहा सियासी भूचाल, पक्ष विपक्ष के बीच संसद से सड़क तक का तीखा संघर्ष जारी है

By रंगनाथ सिंह | Updated: July 23, 2022 16:41 IST

पाकिस्तान की राजनीति में भारी उथलपुथल चल रही है। पीटीआई नेता इमरान खान के हाथ से पहले केंद्र की सत्ता चली गयी और उपचुनाव में भारी जीत हासिल करने के बावजूद कल पंजाब सूबे की सत्ता उनके हाथ में आते-आते रह गयी। इमरान खान संसद से सड़क इसके खिलाफ मुखर हैं।

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ठळक मुद्देपाकिस्तान के पंजाब प्रांत में शुक्रवार को राज्य के नए मुख्यमंत्री के लिए शक्ति परीक्षण हुआ।विधानसभा उपाध्यक्ष दोस्त मोहम्मद के विवादित फैसले की वजह से मौजूदा सीएम हमजा शाहबाज शरीफ को बहुमत मिल गया। दोस्त मोहम्मद ने पीएमएलक्यू के 10 विधायकों का वो अवैध करार दे दिया।इस फैसले के खिलाफ इलाही और पीटीआी सुप्रीम कोर्ट गए हैं जिसपर आज सुनवाई हो रही है।

कल पाकिस्तानी पंजाब के सीएम पद के लिए सदन में मतदान दौरान जो हुआ उसके बाद एक बार फिर यह साफ हो गया कि राजनेता किसी के स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होते। भले ही आपस में खून का रिश्ता हो। शुक्रवार को पाकिस्तान के पंजाब विधानसभा के घटनाक्रम के बाद मुल्क में राजनीतिक अस्थिरता कम होने के बजाय बढ़ गयी है। एक तरफ ऐसे हंगामाखेज राजनीतिक हालात दूसरी तरफ तालिबान खैबर पख्तूनख्वा में दबाव बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान सेना के अफसरों ने शुक्रवार को तहरीके-तालिबान पाकिस्तान के साथ 'शांति वार्ता' शुरू करने का निर्णय लिया।

पंजाब विधानसभा में शक्ति परीक्षण से पहले इमरान खान ने धमकी वाले लहजे में कहा था कि अगर अवाम की बात नहीं सुनी जाएगी तो मुल्क में  श्रीलंका जैसे हालत हो जाएँगे। पीएम की गद्दी छिन जाने के बाद भी इमरान ने एक बातचीत में पाकिस्तान के तीन टुकड़ों में बँट जाने की आशंका जता दी थी। पाकिस्तान का भविष्य क्या होगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन कल तक जो हुआ उसपर एक मुख्तसर नजर डालते हैं। 

पाकिस्तान के सूबा पंजाब की विधानसभा में कुल 371 सीटें हैं। सूबा पंजाब में सरकार बनाने के लिए 172 विधायकों का समर्थन चाहिए। साल 2018 में जब पंजाब विधानसभा के चुनाव हुए तो इमरान खान की तहरीके इंसाफ पाकिस्तान (पीटीआई) सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आयी। चुनाव के बाद कई विजयी निर्दलीय उम्मीदवार पीटीआई में शामिल हो गये और अगस्त 2018 में पीटीआई की सरकार बन गयी। पीटीआई के मुख्यमंत्री उम्मीदवार अहमद खान बुजदर को सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान कुल 186 वोट मिले और विपक्षी उम्मीदवार पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) नेता हमजा शाहबाज शरीफ को कुल 159 वोट मिले। हमजा पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के बेटे और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भतीजे हैं।

पंजाब की सरकार कभी इसी पार कभी उस पार

अहमद खान पीटीआई में शामिल होने से पहले पीएमएलएन में थे। उन्होंने देश के सबसे बड़े सूबे पंजाब का विभाजन करके एक नया सूबा बनाने के लिए कई अन्य विधायकों-सांसदों के साथ मिलकर आन्दोलन किया और इसी मुद्दे पर पुरानी पार्टी छोड़कर नई पार्टी बना ली। इमरान खान ने उनकी माँग का समर्थन किया। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में अहमद बुजदर पीटीआई के टिकट पर चुनाव लड़कर सदन पहुँचे। पीटीआई प्रमुख इमरान खान ने जब उन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया तो लोग हैरान रह गये थे क्योंकि उनका राननीतिक कद उसके लायक नहीं माना जाता था।  

अप्रैल 2022 को अहमद बुजदर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि पीटीआई के अन्दर उनके खिलाफ अन्दर खाने बगावत हो चुकी थी।  पीएमएलएन उम्मीदवार हमजा शरीफ ने सदन में विश्वात मत हासिल कर लिया और सूबा पंजाब के नए मुख्यमंत्री बन गये। शक्तिपरीक्षण के दौरान पीटीआई के 24 विधायकों ने हमजा शरीफ के पक्ष में वोट दिया था। अपने विधायकों की बगावत के खिलाफ इमरान खान सुप्रीम कोर्ट गये।

सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी संविधान के हवाले से फैसला दिया कि पार्टी अध्यक्ष द्वारा दिए गए निर्देश के खिलाफ काम करने के कारण पीटीआई के बागी विधायकों की सदस्यता अवैध हो गयी है। इसके बाद पंजाब की 20 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव तय हुए। उपचुनाव के पहले बहुमत के लिए हमजा शरीफ को 11 विधायक चाहिए थे और पीटीआई को 13 विधायक। उपचुनाव में पीटीआई के 15 विधायक जीते और पीएमएलएन के चार। इस तरह पीएमएल गठबंधन की सरकार अल्पमत में आ गयी।

पंजाब उपचुनाव के बाद तूफान थमने के बजाय तेज हो गया

पंजाब उपचुनाव के बाद जब शुक्रवार को शक्तिपरीक्षण होना तय हुआ। सत्ताधारी गठबंधन ने मौजूदा मुख्यमंत्री हमजा शरीफ को सीएम उम्मीदवार बनाया और इमरान खान ने सदन में सबसे बड़ा दल होते हुए भी पीएमएलक्यू के परवेज इलाही को सीएम पद का उम्मीदवार बनाया। सीएम उम्मीदवार बनाए जाते समय इलाही पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष थे। हमजा बहुमत के लिए 186 वोट चाहिए होते हैं। इमरान खान के पास 178 विधायक हो चुके थे। उनके सहयोगी PMLQ के पास 10 विधायक थे। इमरान खान ने PMLQ नेता और विधानसभा अध्यक्ष परवेज इलाही को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। इमरान ने सोचा होगा कि जब PMLQ का उम्मीदवार होगा तो उनके 10 विधायकों को उनकी तरफ आना मजबूरी हो जाएगी। 

दूसरी तरफ पीएमएलक्यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी शुजात हुसैन ने इमरान खान द्वारा घोषित मुख्यमंत्री उम्मीदवार को समर्थन देने से इनकार कर दिया। चौधरी शुजात हुसैन और परवेज इलाही न केवल एक पार्टी के सदस्य हैं बल्कि आपस में चचेरे भाई हैं। काफी नाटक के बाद शुक्रवार शाम तीन घण्टे की देरी से सदन की कार्यवाही शुरू हुई। चूँकि अध्यक्ष खुद सीएम उम्मीदवार बन चुके थे तो सदन में शक्तिपरीक्षण सम्पन्न कराने का जिम्मा उपाध्यक्ष और पीटीआई नेता दोस्त मोहम्मद मजारी पर आ गया। जब से पंजाब में शक्ति परीक्षण की तारीख मुकर्रर हुई थी तब से यह माना जा रहा था कि आसिफ अली जरदारी पीएमएलक्यू के नेताओं से हमजा शरीफ को समर्थन देने के लिए सम्पर्क में हैं। इमरान खान के समर्थकों ने नेताओं के घर के बाहर और सोशलमीडिया पर जरदारी को इसके लिए निशाने पर लिया। 

शुक्रवार को जब मतदान हो रहा था, इसी बीच खबर आयी कि पीएमएलक्यू प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन ने विधानसभा को पत्र लिखकर इमरान खान द्वारा समर्थित उम्मीदवार को वोट न देने की बात कही है। हमजा शरीफ को 179 वोट मिले और परवेजह इलाही को 186 वोट जिसमें 10 वोट पीएमएलक्यू के विधायकों के थे। शुजात हुसैन के पत्र के आधार पर उपाध्यक्ष दोस्त मजारी ने पीएमएलक्यू के 10 विधायकों का मत अवैध करार दिया जिसकी वजह से अंतिम परिणामस्वरूप परवेज इलाही के कुल 176 वोट वैध घोषित किए गए और हमजा शरीफ के 179 वोट। उपाध्यक्ष ने हमजा शरीफ को विजयी घोषित कर दिया। हमजा शरीफ ने शनिवार को फिर से सीएम पद की शपथ भी ले ली। विश्वासमत में हमजा के विजयी घोषित होने के बाद बिलावल भुट्टो ने ट्वीट किया, 'एक जरदारी सब पर भारी!'

सुप्रीम कोर्ट, पाक सेना और तालिबान से शान्ति वार्ता 

शुक्रवार आधी रात को ही पीएमएलक्यू और पीटीआई सुप्रीम कोर्ट पहुँचे और दोस्त मोहम्मद के फैसल को चुनौती दी। वहीं दोस्त मोहम्मद ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पीटीआई के 24 विधायकों का वोट अवैध देने के फैसले को ही अपने ताजा फैसले का आधार बताया है। पीएमएलक्यू और पीटीआई के समर्थकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी के संसदीय दल के नेता के फैसले को विधायकों पर बाध्य माना था न कि पार्टी अध्यक्ष के आदेश को। पीएमएलएन के समर्थकों का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष के फैसले के बाद संसदीय दल के नेता के फैसला अपने आप निष्प्रभावी हो जाती है क्योंकि पार्टी अध्यक्ष ही दलगत मामलों में आखिरी निर्णय लेता है।    

 शुक्रवार रात ही इमरान खान ने अदालत का दरवाजा खटखटाने के साथ ही अपने समर्थकों, खास तौर पर नौजवानों से विरोध स्वरूप सड़क पर उतरने की अपील की। इमरान खान की पार्टी पीटीआई द्वारा शासित खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर में उनके समर्थक पाकिस्तानी सेना के कमांडर के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन करने लगे। सोशलमीडिया पर पीटीआई समर्थक बाजवा पर देश बेचने का आरोप लगाने लगे। कमर जावेद बाजवा इस समय पाकिस्तानी सेना के प्रमुख हैं। 

एक अन्य घटनाक्रम में पंजाब के नए मुख्यमंत्री के लिए मतदान से ठीक पहले सूबे के पुलिस प्रमुख राव सरदार अली खान का तबादला कर दिया गया और उनकी जगह फैसल शाहकार को नया पुलिस प्रमुख नियुक्त किया गया। पंजाब सरकार ने केंद्र की शाहबाज शरीफ सरकार से अशान्ति की सम्भावनाव वाले शहरों में पाकिस्तानी रेंजर तैनात करने का अनुरोध किया है। खबर लिखे जाने तक पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने परवेज इलाही की याचिका पर सुनवाई के लिए दोस्त मोहम्मद को अदालत में तलब किया है। हमजा शरीफ सीएम पद की शपथ ले चुके हैं। पाकिस्तानी सेना तहरीके तालिबान पाकिस्तान के साथ 'शान्ति वार्ता' की तैयार शुरू कर चुकी है। इमरान खान के समर्थक सड़क पर हैं। आगे क्या होगा, इसका जवाब केवल वक्त के पास है।

 

टॅग्स :पाकिस्तानइमरान खानमरियम नवाज
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