पीओके के तालिबानीकरण में जुटा पाकिस्तान, छात्राओं और महिला शिक्षकों के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य
By शिवेंद्र कुमार राय | Published: March 21, 2023 05:23 PM2023-03-21T17:23:52+5:302023-03-21T17:25:51+5:30
पीओके में रहने वाले लोगों को उनकी इच्छा के विरुद्ध इस क्षेत्र को पाकिस्तान में शामिल करने के उद्देश्य से इस्लामाबाद द्वारा बनाए गए नियमों को मानने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पीओके में छात्राओं और महिला शिक्षकों के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य करने से जुड़ा आदेश 6 मार्च को पाकिस्तान शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया था।
नई दिल्ली: पाकिस्तान अपने अवैध कब्जे वाले कश्मीर में लोगों पर तालिबानी तौर-तरीके थोपने में लगा है। न्यूज एजेंसी एएनएई ने एशियन लाइट की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में अब छात्राओं और महिला शिक्षकों के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है। पीओके में रहने वाले लोगों के लिए 2023 की जनगणना में पाकिस्तानी नागरिक के रूप में पंजीकरण कराना भी आवश्यक बनाया गया है।
एशियन लाइट की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी है कि पीओके में रहने वाले लोगों को उनकी इच्छा के विरुद्ध इस क्षेत्र को पाकिस्तान में शामिल करने के उद्देश्य से इस्लामाबाद द्वारा बनाए गए नियमों को मानने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पीओके में छात्राओं और महिला शिक्षकों के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य करने से जुड़ा आदेश 6 मार्च को पाकिस्तान शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया था। यह आदेश खास तौर से उन स्कूलों के लिए है जहां लड़के और लड़कियां साथ पढ़ते हैं।
2023 की जनगणना के में पीओके के लोगों को खुद को पाकिस्तानी नागरिक के रूप में पंजीकृत करने के लिए मजबूर करने से जुड़ा आदेश इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछली जनगणना के दस्तावेजों में पीओके के लोगों को गिलगित बाल्टिस्तान के निवासी के रूप में दिखाया गया था।
पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र डॉन के अनुसार पाक सरकार का ये आदेश पीओके के दस जिलों के सभी महिला छात्रों और शिक्षकों पर लागू होता है। आधिकारिक आंकड़ो के अनुसार पीओके में लड़कों में 92 प्रतिशत और लड़कियों में 90 प्रतिशत साक्षरता है। साक्षरता दर के हिसाब से गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र इसमें सबसे ऊपर है।
एशियन लाइट की रिपोर्ट के अनुसार पूर्व पाक पीएम इमरान खान ने साल 2021 के अक्टूबर महीने में 'रहमतुल लिल आलमीन अथॉरिटी' की स्थापना की थी। इसका काम पाकिस्तान में युवाओं के चरित्र का निर्माण करने के लिए पैगंबर की जीवनी और हदीस पर शोध करना है। पीओके में तालिबानीकरण की ओर एक और कदम इसी अथॉरिटी के काम का विस्तार माना जा रहा है।