Pakistan Elections 2024: किसे मिलेगा कांटों भरा ताज, पाकिस्तान में कौन-कौन हैं प्रधानमंत्री पद का दावेदार, जानिए यहां
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 8, 2024 08:19 AM2024-02-08T08:19:26+5:302024-02-08T08:25:23+5:30
पाकिस्तान में गुरुवार को राष्ट्रीय चुनाव हो रहे हैं क्योंकि देश 2022 में पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के सत्ता से बाहर होने के बाद देश आर्थिक संकट और राजनीतिक अनिश्चितता से जूझ रहा है।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में गुरुवार को राष्ट्रीय चुनाव हो रहे हैं क्योंकि देश 2022 में पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के सत्ता से बाहर होने के बाद देश आर्थिक संकट और राजनीतिक अनिश्चितता से जूझ रहा है। 241 मिलियन की जनसंख्या वाला यह देश बीते लगभग एक दशक से ज्यादा समय से आर्थिक तंगी, गरीबी और बेकारी, बेरोजगारी जैसे मुद्दों से जूझ रहा है।
भारत को सदैव अपना पारंपरिक दुश्मन मानने वाला यह देश हर समय भारत में अस्थीरता फैलाने की कोशिश करता रहा है। पाकिस्तान सीमा से सटे भारतीय सीमा पर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वाले मुल्क पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगभग-लगभग चौपट हो चुकी है। ऐसे में पाकिस्तान की आवाम को इस आम चुनाव से बेहद उम्मीदें हैं कि चुनाव बाद बनने वाली नई सरकार देश में स्थिरता लाए और देश जिन गंभीर चुनौतियों को झेल रहा है, राजनीतिक अगुवाई उन्हें दूर करे।
यहां हम पाकिस्तान के उन नेताओं के बारे में बात कर रहे हैं, जो चुनाव के बाद पाकिस्तान की बागडोर अपने हाथ में संभाल सकते हैं। चुनाव बाद जिन लोगों का नाम प्रधानमंत्री की रेस में शामिल है, आइये उन राजनीतिक हस्तियों के बारे में समझते हैं कुछ तथ्यों के जरिये-
पाकिस्तान की सियासत को समझने वालों का मानना है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ एक बार फिर से पीएम रेस में सबसे आगे चल रहे हैं क्योंकि उन्होंने सेना के साथ चल रहा उनका लंबा विवाद अब खत्म हो गया है।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) पार्टी के प्रमुख नवाज शरीफ 74 साल की उम्र में एक बार फिर से सियासत की मैदान में सक्रिय हैं। तीन बार के प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ पिछले साल के अंत में लंदन में चार साल निर्वासन काटने के बाद वतन वापस लौटे हैं।। शरीफ ने अपना आखिरी चुनाव जेल की कोठरी से लड़ा था।
पाकिस्तान की कोर्ट ने उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में सजा सुनाई थी, हालांकि शरीफ लगातार अपने उपर लगे आरोपों से इनकार करते रहे हैं। सजा पाने के बाद शरीफ लगातार केस लड़ते रहे और अखिरकार वहां की सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ पर लगे आजीवन राजनीतिक प्रतिबंध के पूर्व के फैसले को पलट दिया था।
आम चुनाव को लेकर नवाज की पार्टी पीएमएल-एन का कहना है कि वो नवाज शरीफ की अगुवाई में मुल्क को आर्थिक बदहाली से निकालने का प्रयास करेगी और बढ़ती मुद्रास्फीति पर लगाम लगाकर आवाम को महंगाई से राहत दी जाएगी। इसलिए पार्टी ने नवाज शरीफ को चौथी बार प्रधानमंत्री बनाने का लक्ष्य रखा है।
हालांकि अगर इस आम चुनाव में पीएमएल-एन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है और गठबंधन बनाना पड़ता है तो शरीफ के स्वास्थ्य पर निर्भर करेगा कि वो गठबंधन सरकार के मुखिया बने या नहीं।
मरियम नवाज शरीफ-
पीएमएल-एन चीफ और आम चुनाव में पाीएम पद के सबसे बड़े दावेदार नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज पार्टी में बेहद प्रभावशाली भूमिका निभाती है और यही कारण है कि पीएमएल-एन में मरियम नवाज को नवाज शरीफ का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता है।
मरियम इस समय पीएमएल-एन में वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पद पर हैं। 50 साल की मरियम को भी भ्रष्टाचार के आरोप में 2018 के चुनाव से कुछ समय उनके पिता नवाज शरीफ के साथ जेल में डाल दिया गया था। हालांकि बाद में कोर्ट से बरी हो गई थीं।
मरियम नवाज ने सरकार में पहले कोई पद नहीं संभाला है, लेकिन उन्होंने अपने पिता शरीफ के निर्वासन के दौरान कई रैलियों का नेतृत्व किया है और हाल के हफ्तों में पीएमएल-एन के चुनावी अभियान में पिता शरीफ के पक्ष में जमकर प्रचार किया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर चुनाव बाद गठबंधन की स्थिति बनती है तो नवाज शरीफ खुद पीएम न बनकर मरियम नवाज का नाम आगे बढ़ा सकते हैं।
शहबाज शरीफ-
नवाज शरीफ के छोटे भाई, जो 2022 में इमरान खान के सत्ता से बाहर होने के बाद 16 महीने तक गठबंधन सरकार के मुखिया रहे हैं। शहबाज शरीफ ने राष्ट्रीय चुनावों की तैयारी के लिए अगस्त में बनी कार्यवाहक सरकार में प्रधानमंत्री पद का कार्यभार नहीं संभाला।
72 वर्षीय शहबाज़ शरीफ प्रधानमंत्री बनने से पहले पाकिस्तान के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। शरीफ ने पिछले साल पाकिस्तान को आर्थिक संकट से बचान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ एक और बेलआउट पैकेज के लिए हुए समझौते में अहम भूमिका निभाई थी।
शहबाज़ पाकिस्तान में अपने बड़े भाई नवाज शरीफ के साथ क्या भूमिका निभाएंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जाता है कि वह नवाज़ की तुलना में पाकिस्तानी सेना के अधिक करीब हैं और लंबे समय से नवाज और सेना के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा चुके हैं। इस नाते पीएमएल-एन उन्हें पाकिस्तान के सबसे अहम गद्दी पर बैठा सकती है।
इमरान खान-
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान इन दिनों जेल में है और उनकी पार्टी यह आम चुनाव जेल से मिल रहे उनके दिशा-निर्देश में लड़ रही है। पूर्व प्रधानमंत्री बीते अगस्त से ही जेल की कोठरी में हैं। उन पर भ्रष्टाचार और आपराधिक आरोपों के कारण राजनीति में भाग लेने पर कई वर्षों का प्रतिबंध लगा हुआ है।
माना जाता है कि पूर्व क्रिकेट इमरान खान ने सेना के साथ मिलकर गलत काम करने से इनकार कर दिया और सेना के शक्तिशाली जनरलों को दोषी ठहराया है। जिसके बाद से उनके और सेना के रिश्ते खराब हो गये। साल 2022 में उनकी सरकार के खिलाफ विपक्ष के लाये अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सेना के साथ उनकी अनबन बढ़ गई और परिणाम यह हुआ कि इमरान खान को प्रधानमंत्री पद की गद्दी छोड़नी पड़ी। हालांकि इमरान के सत्ता गंवाने के मामले में सेना ने साफ कहा कि उनका राजनीति में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं था।
तमाम तरह के प्रतिबंधों के बावजूद इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी इस आम चुनाव में सोशल मीडिया और गुप्त प्रचार के जरिये अपना चुनाव अभियान चलाने की कोशिश कर रही है। चुनाव आयोग की सख्ती के कारण इमरान ने पार्टी के सदस्य निर्दलीय रूप में लड़ रहे हैं, जिसके कारण उनका प्रसिद्ध चुनावी चिन्ह 'क्रिकेट का बल्ला' भी छीन गया है।
चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि 71 वर्षीय इमरान खान की लोकप्रियता अभी भी आवाम के बीच बनी हुई हैं। इसलिए उनकी पार्टी से जुड़े उम्मीदवार वोटों को अपनी ओर खिंच सकते हैंलेकिन सरकार बनाने के लिए आवश्यक संख्या इमरान जुटा सकें। इसमें भारी संदेह है। फिलहार इमरान खान के वकीलों का कहना है कि वह उनकी सबसे लंबी 14 साल की जेल की सजा के खिलाफ अपील कर रहे हैं।
बिलावल भुट्टो जरदारी-
बिलावल भुट्टो जरदारी, जो पिछले साल के अंत में कार्यवाहक सरकार के सत्ता संभालने तक देश के विदेश मंत्री थे, पूर्व प्रधान मंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे हैं। बेनजीर भुट्टो की 2007 में चुनावी अभियान के दौरान हत्या कर दी गई थी। बिलावल भुट्टो के पिता आसिफ अली जरदारी 2008 से 2013 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे।
35 वर्षीय बिलावल भुट्टो बेहद जबरदस्त तरीके से अपना चुनावी अभियान चला रहे हैं, जो पूरे देश में दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि वह देश की विशाल युवा आबादी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संबोधित कर रहे हैं, जिसने उनके दक्षिणी सिंध प्रांत में तबाही मचाई है।
हालांकि चुनावी विश्लेषकों को उनकी पूरी तरह से जीत की उम्मीद नहीं है, लेकिन उनकी पार्टी किंग-मेकर की भूमिका निभा सकती है क्योंकि देश की संसद में किसी भी पार्टी के बहुमत सीटें जीतने का अनुमान नहीं है।