नेपाल में संसद भंग करने के खिलाफ राजनीतिक एवं कानूनी कार्रवाई का सहारा लेगा विपक्ष

By भाषा | Updated: May 22, 2021 18:19 IST2021-05-22T18:19:42+5:302021-05-22T18:19:42+5:30

Opposition will resort to political and legal action against dissolution of parliament in Nepal | नेपाल में संसद भंग करने के खिलाफ राजनीतिक एवं कानूनी कार्रवाई का सहारा लेगा विपक्ष

नेपाल में संसद भंग करने के खिलाफ राजनीतिक एवं कानूनी कार्रवाई का सहारा लेगा विपक्ष

काठमांडू 22 मई नेपाल में विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने शनिवार को संसद भंग करने के राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के फैसले को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक करार देते हुए उसके खिलाफ राजनीतिक एवं कानूनी कार्रवाई का सहारा लेने की घोषणा की।

विपक्ष ने राष्ट्रपति भंडारी और प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली पर लाभ के लिए संविधान का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया।

इससे पहले राष्ट्रपति भंडारी ने संसद की 275 सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा को भंग करने के साथ ही 12 तथा 19 नवंबर को देश में मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ओली और विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार शेर बहादुर देउबा दोनों ही सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं। भंडारी की इस घोषणा से पहले ओली ने आधी रात को मंत्रिमंडल की आपात बैठक के बाद प्रतिनिधि सभा को भंग करने की सिफारिश की थी।

विपक्षी गठबंधन ने इस राजनीतिक संकट पर बुलाई गई बैठक के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा कि विपक्ष वर्षों के राजनीतिक संघर्ष के बाद नेपाली नागरिकों को प्राप्त हुए संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने को लेकर पूरी तरह एकजुट और प्रतिबद्ध है।

दैनिक समाचार पत्र हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक विपक्षी गठबंधन ने सभी राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से ओली-भंडारी के कथित तानाशाही रवैये की निंदा करने और उसके खिलाफ एकजुट होने की अपील की है।

विपक्षी गठबंधन की ओर से जारी किए गए वक्तव्य पर नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा, सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड', सीपीएन-यूएमएल के नेता माधव कुमार नेपाल, जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल के अध्यक्ष उपेंद्र यादव और राष्ट्रीय जनमोर्चा के उपाध्यक्ष दुर्गा पौडेल ने हस्ताक्षर किए।

विपक्षी गठबंधन राष्ट्रपति के संसद भंग करने के फैसले के खिलाफ रविवार को उच्चतम न्यायालय जाने की रणनीति तैयार कर रहा है।

समाचार वेबसाइट माइरिपब्लिका डॉट काम की रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल कांग्रेस (एनसी) ने संसद भंग किए जाने के फैसले पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रपति भंडारी और प्रधानमंत्री ओली ने असंवैधानिक कार्य किया है।

ओली ने 10 मई को दोबारा प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद घोषणा की थी कि वह संसद में विश्वासमत हासिल नहीं करना चाहते। इसके बाद राष्ट्रपति भंडारी ने संविधान के अनुच्छेद 76(5) का प्रयोग करते हुए अन्य नेताओं को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। इसके लिए उन्होंने 24 घंटे का समय दिया था।

इसके बाद एनसी के अध्यक्ष देउबा ने 149 सांसदों के समर्थन वाला पत्र सौंपकर प्रधानमंत्री पद के लिए दावा किया था।

एनसी ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘इसके बावजूद राष्ट्रपति भंडारी ने देउबा के सरकार बनाने के दावे को खारिज करते हुए ओली को ही प्रधानमंत्री पद पर बने रहने में मदद की। यह कदम न केवल असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है, बल्कि यह अनैतिक भी है।’’

देउबा ने राष्ट्रपति के इस फैसले के खिलाफ सभी राजनीतिक दलों से एकजुट होने का आग्रह करते हुए कहा कि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सभी लोकतांत्रिक ताकतों को मिलकर आगे आना चाहिए और इसके खिलाफ राजनीतिक तथा कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।

सत्ताधारी दल सीपीएन-यूएमएल ने भी शनिवार को अपनी स्थायी समिति की बैठक बुलाई है जिसमें मध्यावधि चुनाव के अलावा कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। यूएमएल के कार्यालय सचिव शेर बहादुर तमांग के मुताबिक यह बैठक प्रधानमंत्री आवास पर होगी। बैठक में मौजूदा राजनीतिक संकट और पार्टी के भीतर पैदा हुए मतभेदों पर भी प्रमुखता के साथ विचार-विमर्श होगा।

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Web Title: Opposition will resort to political and legal action against dissolution of parliament in Nepal

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