नोबेल पुरस्कार: रसायन विज्ञान में योगदान के लिए दो अमेरिकी, एक ब्रिटिश वैज्ञानिक को मिला पुरस्कार
By भाषा | Published: October 3, 2018 06:20 PM2018-10-03T18:20:10+5:302018-10-03T18:30:10+5:30
नोबेल समिति फिजिक्स और मेडीसीन के लिए पहले ही नोबेल पुरस्कारों की घोषणा कर चुकी है। नोबेल पुरस्कार को विज्ञान का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है।
स्टॉकहोम, तीन अक्टूबर (एएफपी) अमेरिकी वैज्ञानिकों फ्रांसेस अर्नोल्ड और जार्ज स्मिथ तथा ब्रिटिश अनुसंधानकर्ता ग्रेगरी विंटर ने बुधवार को रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार जीता।
चयन मंडल ने कहा कि क्रमविकास के सिद्धांतों का उपयोग कर जैव ईंधन से ले कर औषधि तक, हर चीज बनाने में इस्तेमाल होने वाले एंजाइम का विकास करने के सिलसिले में तीनों वैज्ञानिकों को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया।
अर्नोल्ड रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल जीतने वाली पांचवीं महिला हैं। उन्होंने पुरस्कार राशि 90 लाख स्वीडिश क्रोनोर (करीब 10.1 लाख डॉलर या 870,000 यूरो) की आधी रकम जीत ली। शेष आधी रकम स्मिथ और विंटर के बीच बंटेगी।
स्वीडिश रॉयल एकेडमी ऑफ साइंस ने कहा रसायन विज्ञान के क्षेत्र में 2018 का नोबेल पुरस्कार क्रम विकास के इस्तेमाल को लेकर है जिससे मानवता को बड़ा फायदा पहुंचाने का लक्ष्य है।
तीनों वैज्ञानिकों ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रोटीन के इस्तेमाल के लिए क्रम विकास के उसी सिद्धांत का इस्तेमाल किया जिसके जरिए आनुवंशिक बदलाव और चयन किया जाता है।
'फेज डिस्प्ले' का अनूठा तरीका
एकेडमी की नोबेल कैमेस्ट्री कमेटी के प्रमुख क्लेस गुस्तफसन ने संवाददाताओं से कहा कि 2018 के नोबेल विजेताओं ने डार्विन के सिद्धांत को परखनली में उतारा। उन्होंने आन्विक स्तर पर क्रमविकास की प्रक्रियाओं की समझ का उपयोग किया और अपनी प्रयोगशाला में उसे मूर्त रूप दिया।
उन्होंने कहा कि इसके तहत क्रम विकास की गति हजारों गुणा तेज की गई और इसे नयी प्रोटीन के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया गया।
अर्नोल्ड कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी में प्रोफेसर हैं। उनके कार्यों ने जीवाश्म ईंधन जैसे जहरीले रसायनों की समस्या से निपटना भी मुमकिन किया है।
वांछित गुणों के साथ नये प्रोटीनों के निर्माण की उनकी पद्धति का इस्तेमाल गन्ना को जैव ईंधन जैसे नवीकरणीय संसाधनों में बदलने और पर्यावरण अनुकूल रसायनिक पदार्थ बनाने में किया गया। इस तरह कम तापमान में कपड़ा धोने और बरतन धोने के डिटरजेंट जैसे रोजमर्रा के उत्पादों को बेहतर बनाया गया।
कैंसर के इलाज में फायदा
चयन मंडल ने कहा कि यूनिवर्सिटी ऑफ मिसूरी के स्मिथ और कैंब्रिज में एमआरसी लेबोरेटरी ऑफ मॉलीक्यूलर बॉयोलॉजी के विंटर (67) ने ‘फेज डिसप्ले’ नामक अनूठा तरीका विकसित किया। इसके जरिए बैक्टीरिया को संक्रमित करने वाले वायरस- बैक्टेरियोफेज का इस्तेमाल नये प्रोटीन के इस्तेमाल हो सकता है ।
उनके अध्ययन से अर्थराइटिस, सोराइसिस और आंत की सूजन जैसी बीमारी के लिए औषधि के साथ ही विषाक्त पदार्थों की काट के लिए एंटी बॉडीज (प्रतिरोधक) तथा कैंसर के इलाज में भी फायदा होगा।