पशुओं के डकार पर किसानों को देना होगा टैक्स, इस देश में हो रही इसकी शुरुआत; जानिए क्या है वजह
By विनीत कुमार | Published: June 10, 2022 11:10 AM2022-06-10T11:10:22+5:302022-06-10T11:15:08+5:30
न्यूजीलैंड में पशुओं की डकार पर अब किसानों को टैक्स चुकाना पड़ सकता है। इसकी शुरुआत 2025 से होने की संभावना है। ग्रीनहाउस गैसों की समस्या निपटने के लिए न्यूजीलैंड ऐसा कदम उठाने जा रहा है।
क्राइस्टचर्च: पशुओं की डकार पर अब किसानों को टैक्स चुकाना होगा। इसकी शुरुआत न्यूजीलैंड से हो सकती है। न्यूजीलैंड देश में ग्रीनहाउस गैसों की समस्या निपटने के लिए ऐसा कदम उठाने जा रहा है। दरअसल न्यूजीलैंड में ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े स्रोत में गाय और भेड़ के डकार भी शामिल हैं।
रिसर्च के अनुसार मवेशियों के डकार से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। अगर न्यूजीलैंड ऐसा कर लगाता है तो वह ऐसा करने वाला पहला देश बन जाएगा। न्यूजीलैंड की आबादी 50 लाख है, लेकिन यहां लगभग एक करोड़ मवेशी और 2.6 करोड़ भेड़ें हैं।
न्यूजीलैंड में लगभग आधा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन मुख्य रूप से मीथेन के रूप में खेती के कामों से निकलकर आता है। इससे पहले ग्लोबल हिटिंग को धीमा करने के सरकार के प्रयासों के तहत कृषि उत्सर्जन को उत्सर्जन ट्रेडिंग योजना से बाहर रखा गया था। इस कदम को लेकर सरकार की खूब आलोचना हो रही थी।
रिसर्च के मुताबिक मीथेन वातावरण में अपनी मौजूदगी के पहले 20 वर्षों के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड से 80 गुना अधिक वार्मिंग पावर है। इसलिए इसका प्रतिकूल प्रभाव वातावरण पर ज्यादा गहरा पड़ता है। ऐसे में मीथेन के उत्सर्जन में कमी से ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने में ज्यादा तेजी से मदद मिल सकती है।
जानवरों के डकार और पशु खान से मीथेन का ज्यादा उत्सर्जन
न्यूजीलैंड में कुल मीथेन उत्सर्जन का 85% से अधिक हिस्सा दो कृषि स्रोतों से आता है। इसमें एक है- जानवरों का पेट और दूसरा पशु खाद। इसमें जानवरों के पेट से कुल 97% मीथेन का उत्सर्जन होता है।
गायों में अधिकांश (95%) मीथेन सांस या अन्य तरीकों से मुंह के जरिए बाहर निकलता है। सरकार और कृषि प्रतिनिधियों द्वारा तैयार किए गए मसौदा के तहत किसानों को जानवरों से हुए उत्सर्जन के लिए 2025 से टैक्स देना होगा।
इस प्रस्ताव में उन किसानों के लिए प्रोत्साहन राशि भी शामिल हैं जो पशुओं को खिलाने के तौर-तरीकों या बेहतर खाने (feed additives) से उत्सर्जन में कमी करते हैं। इस कर योजना से प्राप्त होने वाले राजस्व को किसानों से जुड़े अनुसंधान, विकास और सलाहकार सेवाओं में निवेश किया जाएगा।