नेपाल के प्रधानमंत्री ओली प्रतिनिधि सभा में विश्वासमत हार गए: राष्ट्रपति

By भाषा | Published: May 10, 2021 11:32 PM2021-05-10T23:32:41+5:302021-05-10T23:32:41+5:30

Nepal's Prime Minister Oli lost confidence in House of Representatives: President | नेपाल के प्रधानमंत्री ओली प्रतिनिधि सभा में विश्वासमत हार गए: राष्ट्रपति

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली प्रतिनिधि सभा में विश्वासमत हार गए: राष्ट्रपति

(शिरीष बी प्रधान)

काठमांडू, 10 मई नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली सोमवार को प्रतिनिधि सभा में विश्वासमत हार गए। इससे नेपाल में ऐसे समय एक राजनीतिक संकट गहरा गया जब देश में कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।

राजनीतिक संकट का सामना कर रहे 69 वर्षीय ओली के लिए इसे एक और झटका माना जा रहा है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) नीत पुष्पकमल दहल गुट द्वारा सरकार से कुछ दिन पहले समर्थन वापस लिए जाने के बाद ओली विश्वासमत हार गए।

राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी के निर्देश पर संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के आहूत विशेष सत्र में प्रधानमंत्री ओली की ओर से पेश विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में केवल 93 मत मिले जबकि 124 सदस्यों ने इसके खिलाफ मत दिया।

प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष अग्नि सपकोटा ने नतीजों की घोषणा करते हुए बताया कि विश्वास प्रस्ताव के दौरान पर कुल 232 सदस्यों ने मतदान किया जिनमें से 15 सदस्य तटस्थ रहे।

ओली को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में विश्वासमत जीतने के लिए 136 मतों की जरूरत थी क्योंकि चार सदस्य इस समय निलंबित हैं।

सदन की कार्यवाही को स्थगित करने से पहले सपकोटा ने घोषणा की, ‘‘प्रस्ताव के पक्ष में पड़े मत मौजूदा प्रतिनिधि सभा के सदस्यों के हिसाब से बहुमत तक नहीं पहुंचे हैं। मैं घोषणा करता हूं कि प्रधानमंत्री द्वारा पेश प्रस्ताव जिसमें उन्होंने विश्वास हासिल करने की इच्छा व्यक्त की है, खारिज हो गया है।’’

नेपाली संविधान के अनुच्छेद-100 (3) के प्रावधान के तहत प्रधानमंत्री ओली स्वत: ही पद से अवमुक्त हो गए हैं।

ओली के विश्वास मत हारने और कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनने के कुछ घंटे बाद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने राजनीतिक दलों से अगले तीन दिनों के भीतर बहुमत की सरकार बनाने का आह्वान किया।

राष्ट्रपति के कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति ने बृहस्पतिवार तक संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार बहुमत से सरकार बनाने के लिए दलों का आह्वान करने का फैसला किया है। प्रावधान के अनुसार दो या दो से अधिक पार्टियां बहुमत की सरकार बना सकती हैं।

ओली के प्रतिद्वंद्वी माधव नेपाल-झाला नाथ खनसल गुट के 28 समर्थक सदस्य विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे।

मुख्य विपक्षी नेपाली कांग्रेस और नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवोदी केंद्र) के क्रमश: 61 और 49 सदस्यों ने ओली के खिलाफ मतदान किया।

जनता समाजवादी पार्टी जिसके सदन में कुल 32 सदस्य है, बंटी हुई दिखी। महंता-ठाकुर नीत गुट मतदान के दौरान तटस्थ रहा जबकि उपेंद्र यादव नीत गुट ने ओली के खिलाफ मतदान किया।

प्रचंड की पार्टी द्वारा पिछले हफ्ते समर्थन वापस लेने के बाद ओली सरकार अल्पमत में आ गई थी।

नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रकाश मान ने कहा कि विश्वास प्रस्ताव हारने के बाद प्रधानमंत्री स्वत: पद से हट गए हैं और अब संवैधानिक प्रक्रिया के तहत नयी सरकार बनेगी।

सीपीएन माओवादी के वरिष्ठ नेता गणेश शाह ने कहा कि ओली को तुरंत अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए और वैकल्पिक सरकार के गठन के लिए रास्ता साफ करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सीपीएन-माओवादी, नेपाली कांग्रेस और ओली के खिलाफ मत देने वाली पार्टियों के साथ यथाशीघ्र गठबंधन सरकार बनाने के लिए हाथ मिलाएगी।

नेपाल में राजनीति संकट पिछले साल 20 दिसंबर को तब शुरू हुआ जब राष्ट्रपति भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर संसद को भंग करके 30 अप्रैल और 10 मई को नए सिरे से चुनाव कराने का निर्देश दिया।

ओली ने यह अनुशंसा सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में सत्ता को लेकर चल रही खींचतान के बीच की थी।

ओली द्वारा संसद भंग करने के फैसले के बाद प्रतिद्वंद्वी प्रचंड के नेतृत्व वाली पार्टी के बड़े धड़े ने प्रदर्शन किया था।

इस साल फरवरी में उच्चतम न्यायालय ने भंग प्रतिनिधि सभा को बहाल किया जो मध्यावधि चुनाव की तैयारी कर रहे ओली के लिए झटका था।

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