नेपाल की ओली सरकार ने एक बार फिर छेड़ा नक्शा विवाद, अब सिक्कों व किताब में छापेगा विवादित मैप

By अनुराग आनंद | Published: September 17, 2020 02:45 PM2020-09-17T14:45:37+5:302020-09-17T14:45:37+5:30

मिल रही जानकारी के मुताबिक, सिक्कों पर विवादित नक्शे को अंकित करने के लिए केंद्रीय बैंक ने स्वीकृति दे दी है। 

Nepal's Oli government once again waged map controversy, now it will print disputed map in coins and books | नेपाल की ओली सरकार ने एक बार फिर छेड़ा नक्शा विवाद, अब सिक्कों व किताब में छापेगा विवादित मैप

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

Highlightsजून में नेपाल की संसद ने देश के नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी दे दी, जिसपर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया था। नेपाल ने नए मानचित्र में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा आदि को अपने देश का हिस्सा बताया है, जबकि भारत लंबे समय से इस क्षेत्र को अपना बताता रहा है।

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में सीमा पर जारी तनाव के बीच एक बार फिर से नेपाल की केपी ओली सरकार ने भारत के खिलाफ अहम फैसला लिया है। नेपाल की सरकार ने अब फैसला किया है कि वह अपने यहां स्कूलों में विवादित नक्शे को पाठ्यक्रम में शामिल करेगा। यही वजह है कि बीते  मंगलवार ने ओली सरकार ने इस नए नक्शे के किताबों में शामिल करने के लिए हरी झंडी दे दी है। 

काठमांडू पोस्ट की मानें तो नेपाल ने इसके अलावा, नेपाली लोगों में विवादित क्षेत्र को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए एक व दो रुपये के सिक्के में भी विवादित नक्शे को छापने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले से देखा जाए तो सीमा विवाद के मसले पर दोनों देशों के बीच फिर बातचीत के बाद हल निकलने की कम संभावना बचेगी। 

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ऐसे में रिपोर्ट की मानें तो काफी चालाकी से नेपाल ने यह फैसला लिया है। नेपाल जानता है कि ऐसा करने के बाद विवादित क्षेत्र को लेकर द्विपक्षीय वार्ता की संभावना कम होगी। ऐसे में नेपाल अपने लोगों को यह बताने की कोशिश में लगा है कि भारत ने लिपुलेख, लिंपियाधुरा व कालापानी आदि करीब 542 किमी नेपाल की जमीन पर कब्जा किया है। 

मिल रही जानकारी के मुताबिक, सिक्कों पर विवादित नक्शे को अंकित करने के लिए केंद्रीय बैंक ने स्वीकृति दे दी है। 

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भारतीय राजदूत -नेपाल के विदेश सचिव के बीच 17 अगस्त को हुई वार्ता

बता दें कि भारतीय राजदूत विजय मोहन क्वात्रा और नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी 17 अगस्त को द्विपक्षीय वार्ता हुई। नेपाल द्वारा मई में नया राजनीतिक मानचित्र जारी किये जाने से दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा होने के बाद यह पहली मुख्य वार्ता हुई। हालांकि, इस बैठक से कुछ खास निकल कर सामने नहीं आया। 

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि क्वात्रा और बैरागी के बीच समीक्षा प्रक्रिया के तहत होने वाली यह वार्ता भारत और नेपाल के दरम्यान होने वाले नियमित संवाद का हिस्सा है। 

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एक सूत्र ने बताया, ''दोनों देशों के बीच जारी द्विपक्षीय आर्थिक और विकासपरक परियोजनाओं की समीक्षा और समय-समय पर संवाद के लिये 2016 में समीक्षा प्रक्रिया की व्यवस्था की गई थी। ''

यहां जानें पूरा विवाद 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड के धारचुला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव पैदा हो गया। 

नेपाल ने इसका विरोध करते हुए दावा किया कि यह सड़क उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है। इसके कुछ समय बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को उसके क्षेत्र में दिखाया गया है।

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भारत इन इलाकों को अपना मानता है। जून में नेपाल की संसद ने देश के नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी दे दी, जिसपर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया था। 

Web Title: Nepal's Oli government once again waged map controversy, now it will print disputed map in coins and books

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