म्यामां की नेता सू ची लड़ेंगी आम चुनाव, NLT पार्टी ने की घोषणा, नवंबर में होने हैं इलेक्शन
By भाषा | Published: July 21, 2020 09:08 PM2020-07-21T21:08:05+5:302020-07-21T21:08:05+5:30
संविधान ने सशस्त्र बलों को संसद के निचले और उच्च सदन में एक चौथाई सीटें देकर इसमें कोई बदलाव करने के खिलाफ वीटो शक्तियां दे दी। संघीय चुनाव आयोग ने इस महीने की शुरूआत में घोषणा की थी कि आठ नवंबर को राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और प्रांतीय चुनाव कराये जाएंगे।
नेपीता: म्यामां की नेता आंग सान सू ची नवंबर में होने वाला आम चुनाव लड़ेंगी। उनकी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलटी) के प्रवक्ता ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पार्टी प्रवक्ता जाउ मयिंत माउंग ने पार्टी की केंद्रीय कार्यकारणी समिति की बैठक के बाद ऐलान किया कि सू ची और राष्ट्रपति विन मयिंत आठ नवंबर को होने वाले चुनाव में उम्मीदवार होंगे। उन्होंने बताया कि सू ची इस बारे में बृहस्पतिवार को अपनी योजनाओं का विवरण देंगी। संविधान के एक प्रावधान का हवाला देते हुए सू ची को राष्ट्रपति बनने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।
यह प्रावधान एक पूर्ववर्ती सैन्य सरकार के तहत लगाया गया था। उनकी पार्टी ने स्टेट काउंसलर का पद सृजित कर उन्हें कार्यकारी शक्तियां दी थी। उनके पास विदेश मंत्री का भी पद है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेजा सू ची ने 2015 में हुए पिछले आमचुनाव में अपनी पार्टी को शानदार जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। उनकी इस जीत से देश में पांच दशकों से चला रहा सैन्य शासन समाप्त हो गया था और लोकतंत्र के लिये उनका 25 साल का अहिंसक आंदोलन भी संपन्न हो गया।
हालांकि, पश्चिमी प्रांत रखीन में मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यकों पर सैन्य कार्रवाई खत्म करने में उनकी नाकामी की दुनिया भर में उनके प्रशंसकों ने निंदा की। लगभग साढे सात लाख रोहिंग्या पड़ोसी देश बांग्लादेश पलायन कर गये और हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने म्यामां के खिलाफ नरसंहार का मुकदमा चलाने की याचिका स्वीकार की। संविधान के तहत सेना के निरंतर प्रभाव ने बड़े सुधारों को लागू करने की उनकी सरकार की क्षमताओं को सीमित कर दिया।
संविधान ने सशस्त्र बलों को संसद के निचले और उच्च सदन में एक चौथाई सीटें देकर इसमें कोई बदलाव करने के खिलाफ वीटो शक्तियां दे दी। संघीय चुनाव आयोग ने इस महीने की शुरूआत में घोषणा की थी कि आठ नवंबर को राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और प्रांतीय चुनाव कराये जाएंगे। सू ची ने 2015 में जो गठबंधन किये थे उसके इस साल के चुनाव में बने रहने की संभावना कम है।