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म्यांमार: भ्रष्टाचार के मामले में मिली पांच साल की सजा के खिलाफ आंग सान सू द्वारा कोर्ट से की गई अपील हुई खारिज

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: May 4, 2022 22:37 IST

म्यांमार की सेंट्रल सुप्रीम कोर्ट ने आंग सान सू को 600,000 डॉलर नकद और सोने की छड़ों की रिश्वत लेने के कथित मामले में मिली पांच साल की सजा को बरकरार रखा है और उनकी अपील को खारिज कर दिया है।

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ठळक मुद्देम्यांमार की सैन्य शासन ने बीते साल फरवरी में तख्तापलट के बाद से सू ची को हिरासत में लिया थाबीते हफ्ते कोर्ट ने सू को 600,000 डॉलर नकद और सोने की छड़ रिश्वत में लेने के आरोप में सजा सुनाई थीसेना द्वारा आंग सान सू पर लगाये गये आरोपों में उन्हें 150 साल से अधिक की सजा हो सकती है

यांगून: म्यांमार की सेंट्रल सुप्रीम कोर्ट ने नोबेल पुरस्कार विजेता और सेना द्वारा सत्ता से बेदखल की गई नेता आंग सान सू को बीते सप्ताह अदालत द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में सुनाई गई पांच साल की सजा को बरकरार रखा है और इस मामले में उनकी अपील को खारिज कर दिया है।

इस मामले में जुंटा प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी एएफपी को बुधवार को बताया कि म्यांमार की सैन्य शासन ने बीते साल फरवरी में तख्तापलट के बाद से सू ची को सैन्य हिरासत में लिया था। उन पर सेना द्वारा लगाये गये आरोपों में 150 साल से अधिक की सजा हो सकती है।

कोर्ट ने बीते सप्ताह आंग सान सू को 600,000 डॉलर नकद और सोने की छड़ों की रिश्वत लेने के कथित मामले में दोषी ठहराया था और उन्हें पांच साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसके जवाब में सू के वकील के सभी आरोपों को बेबुनियाद और झूठा बताया था।

इस मामले में जानकारी देते हुए जुंटा के प्रवक्ता जॉ मिन टुन ने बताया, "म्यांमार की सेंट्रल सुप्रीम कोर्ट ने सू की सजा के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया है।

खबरों के मुताबिक भ्रष्टाचार की सजा पाने से पहले ही एक अन्य कोर्ट ने 76 साल की सू को सेना के खिलाफ उकसाने, कोविड -19 नियमों को तोड़ने और दूरसंचार कानून तोड़ने के लिए छह साल जेल की सजा सुनाई थी। जानकारी के अनुसार सू को सेना द्वारा निर्मित राजधानी नायपीडॉ में किसी अज्ञात स्थान पर नजरबंद रखा जाएगा, जबकि वह अन्य आरोपों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ती रहेंगी।

आंग सान सू  सेना के आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का कथित रूप से उल्लंघन करने, भ्रष्टाचार और चुनावी धोखाधड़ी सहित कई मामलों में मुकदमों का सामना कर रही हैं।

म्यांमार पर काम करने वाले एक स्वतंत्र विश्लेषक डेविड मैथिसन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि सू की अपील को खारिज किया जाना एक ट्रायल शो की तरह है। उन्होंने कहा, "यह कोर्ट का खेल है और इसे मानसिक क्रूरता कहना सबसे सही है।"

मालूम हो कि पिछले जुंटा शासन के तहत सू ने म्यांमार के सबसे बड़े शहर यांगून में अपने परिवार के साथ एक झील के किनारे स्थित हवेली में नजरबंदी काटी थी। लेकिन मौजूदा समय में वो म्यांमार की राजधानी में किसी अज्ञात स्थान पर रखी गई हैं। बाहरी दुनिया के दुनिया के नाम पर वो केवल अपने वकीलों के संपर्क में हैं।

जुंटा ने मुकदमे के दौरान सू से मिलने के विदेशी राजनयिकों के अनुरोध को ठुकरा दिया था। बीते साल हुए सैन्य तख्तापलट ने म्यांमार में व्यापक विरोध और अशांति पैदा की थी, जिसे सेना ने बड़ी ही बर्बरता के साथ कुचल दिया था। 

सेना के दमन में करीब 1,800 से अधिक नागरिक मारे गए हैं, जबकि 13,000 से अधिक को सेना ने अपनी हिरसत में लिया था। आंग सान सू बीते तीन दशकों से म्यांमार में लोकतांत्रिक की उम्मीद मानी जाती हैं। 

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