म्यांमा के हमले से मानवीय त्रासदी का खतरा : संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ
By भाषा | Published: June 10, 2021 04:42 PM2021-06-10T16:42:12+5:302021-06-10T16:42:12+5:30
बैंकॉक, 10 जून (एपी) म्यांमा के सबसे छोटे प्रांत की करीब एक चौथाई आबादी को फरवरी में सत्ता पर काबिज जुंटा से जारी संघर्ष की वजह से अपने घरों को छोड़कर विस्थापित होना पड़ा है और हजारों लोगों की मौत के साथ इसके मानवीय त्रासदी में बदलने का खतरा है। संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ ने बुधवार को यह आशंका जताई।
म्यांमा में मानवाधिकार के हालात की जानकारी देने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त विशेष प्रतिवेदक टॉम एंड्रियूज ने बुधवार को जुंटा शासन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की अपील की ताकि वह उन संसाधनों से वंचित हो सके जिनकी मदद से वह ‘‘ म्यांमा के लोगों पर इस प्रकार के क्रूर हमले निरंतर कर रहा है। ’’
उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘‘कयाह प्रांत में बड़े पैमाने पर लोगों की भूख और बीमारी से मौत हुई है और करीब एक लाख लोग जुंटा की वजह से जंगलों में भागने को मजबूर हुए हैं, अब जुंटा ने उनके रसद, पेयजल और दवाओं की आपूर्ति भी काट दी है।’’
उल्लेखनीय है कि कयाह राज्य को कारेन्नी राज्य के नाम से भी जाना जाता है। यह पूर्वी म्यांमा में थाईलैंड से लगती सीमा पर स्थित है और यहां की आबादी 3.50 से 4.00 लाख के बीच है।
म्यांमा स्थित संयुक्त राष्ट्र के कर्यालय ने मंगलवार को कहा था कि कयाह के लोगों को तत्काल खाना, पानी, आश्रय, ईंधन और स्वास्थ्य सेवा की जरूरत है और ‘‘ इस संकट से लोग सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार कर सकते हैं। ऐसी स्थिति देश के अन्य हिस्सों में पहले ही देखी जा रही है।’’ दक्षिण कयाह के गांवों के कारेन अल्पसंख्यकों ने म्यांमा सैनिकों के हमले के बाद इस साल मार्च और अप्रैल महीने में थाईलैंड में पलायन किया था।
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