मुस्लिम देशों ने किया मदद से इनकार तो अब बात-चीत के प्रस्ताव का ढोंग कर रहे इमरान खान!
By संतोष ठाकुर | Updated: February 28, 2019 10:54 IST2019-02-28T09:02:49+5:302019-02-28T10:54:37+5:30
पाकिस्तान ने युद्ध की ओर से बढ़ने की हिम्मत नहीं दिखाई. खुद पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बातचीत की पेशकश की है. जानिए इसके पीछे की उनकी मजबूरी...

इमरान खान (फाइल फोटो)
नई दिल्ली, 27 फरवरीः पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ट्रेनिंग कैंप को तबाह करते हुए करीब 350 आतंकियों को वहीं जमीदोंज करने की भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने युद्ध की धमकी दी. उसने एक दिन बाद कश्मीर में घुसने की भी चेष्टा की. जहां भारतीय सेना ने उसके मंसूबों को धराशाही कर दिया. हालांकि, इसके बाद पाकिस्तान ने युद्ध की ओर से बढ़ने की हिम्मत नहीं दिखाई. खुद पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बातचीत की पेशकश की है.
इसकी एक बड़ी वजह यह है कि न केवल पाकिस्तान के परौकार रहे चीन ने जैश-ए-मोहम्म्द पर कार्रवाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से जारी पत्र पर हस्ताक्षर किए बल्कि पाकिस्तान जिन मुस्लिम देशों के भरोसे था उन्होंने भी उसे शांति बनाए रखने की परंपरागत सलाह के साथ ही यह नसीहत भी दी कि वह आतंक के कैंपोंं को नष्ट करे.
यही नहीं, फ्रांस लगातार उसे आतंकी कैंप नष्ट करने की सलाह दे रहा है तो दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया ने भी कड़े शब्दों में उसे चेतावनी दी है. हाल में भारत दौरे में आए सऊदी अरब के क्र ाउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाक की तुलना (20 बिलियन डॉलर) में बहुत बड़ी राशि, 100 बिलियन डॉलर निवेश का ऐलान किया. जिससे पाक को संकेत मिल गए कि अब सऊदी से उसे युद्ध के हालात में वह मदद हासिल न हो.
इसी तरह से यूएई से भारत लगातार भगौड़े अपराधियों, आतंकियों को स्वदेश लाता रहा है. पाक को एक और बड़ा झटका तब लगा जब मुस्लिम देशों के महासंगठन आर्गेनाइजेशन आफॅ इस्लामिक कॉर्पोरेशन (ओआईसी) ने पहली बार भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया. जिसके बाद पाक को अहसास हो गया कि अगर उसने भारत से युद्ध किया तो मुस्लिम देश भी उसके साथ शायद ही खड़े हों.