नई दिल्ली: मालदीव में पिछले कई महीनों से जारी 'इंडिया आउट' कैंपेन के बीच वहां के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह गुरुवार को ऐसे प्रदर्शनों को राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए एक आदेश जारी कर प्रतिबंधित कर दिया।
'कई नारों से विभिन्न देशों के खिलाफ नफरत को उकसाने वाले अभियान पर रोक,' के शीर्षक से इस विशेष आदेश को जारी किया गया है। इसमें खास तौर पर इंडिया आउट कैंपेन का जिक्र किया गया है और कहा गया है कि ऐसे संगठित अभियान का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों और क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के प्रयास को बाधित करना है।
राष्ट्रपति सोलिह ने सभी संबंधित अधिकारियों को कानून के उपलब्ध प्रावधानों के तहत कदम उठाकर आदेश को लागू करने को कहा है।
राष्ट्रपति की ओर से आदेश को धिवेही भाषा में जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि देश में तैनात राजनयिकों और राजनयिक मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना राष्ट्र का कर्तव्य है। कुछ महीने पहले भारतीय राजनयिकों को धमकियां मिलने और भारत विरोधी अभियान में तेजी के बाद, भारतीय दूतावास ने अतिरिक्त सुरक्षा का अनुरोध किया था, जिसे सोलिह सरकार ने किया था।
सोलिह ने आदेश में कहा है कि इस कैंपेन के परिणामस्वरूप मालदीव अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अलग-थलग पड़ सकता है और इससे अन्य देशों के साथ मालदीव के द्विपक्षीय संबंध प्रभावित हो सकते हैं।
मालदीव में महीनों से चल रहा भारत विरोधी अभियान
मालदीव में भारत विरोधी अभियान का नेतृत्व पहले एक सोशल मीडिया कार्यकर्ता ने किया था, लेकिन पिछले दिसंबर में जेल से रिहा होने के बाद से पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन इसका अहम चेहरा बन गए हैं। बुधवार को राजधानी माले में उनके आवास के बाहर एक बड़ा 'इंडिया आउट' बैनर लटका हुआ भी देखा गया था। पुलिस ने गुरुवार को कोर्ट के आदेश पर इसे हटा लिया। दरअसल साल 2013 से 2018 तक के अपने कार्यकाल के दौरान यामीन ने मालदीव की विदेश नीति को चीन की ओर ज्यादा झुकाया। यामीन अब इंडिया आउट अभियान को फिर से हवा देकर अपने चुनावी अभियान में भी जुटे हैं। मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव सितंबर 2023 तक होने हैं।
गौरतलब है कि मालदीव में सत्तारूढ़ मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी ने पहले 'इंडिया आउट' अभियान पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून लाने पर भी विचार किया था। प्रस्तावित कानून का एक मसौदा भी तैयार किया गया था, लेकिन इसे बाद में रोक दिया गया। पदभार ग्रहण करने के बाद सोलिह सरकार ने कई बार स्पष्ट संकेत भेजे कि उसका इरादा भारत के साथ संबंधों को सुधारने का है, जो यामीन राष्ट्रपति पद के दौरान प्रभावित हुआ था।