भारत-विरोधी प्रदर्शन को रोकने के लिए मालदीव बनाएगा कानून, जानिए इस आन्दोलन के पीछे है किसका हाथ और उसका चीन कनेक्शन
By विशाल कुमार | Published: February 1, 2022 10:18 AM2022-02-01T10:18:39+5:302022-02-01T10:30:52+5:30
‘इंडिया आउट’ विरोध की शुरुआत दो साल पहले तब हुई थी जब विपक्षी नेता और चीन समर्थित राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को नजरबंदी से रिहा किया गया था। मालदीव की सत्ताधारी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता लगातार इन विरोध प्रदर्शनों को दबाने की मांग कर रहे हैं।
माले:मालदीव की सत्ताधारी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) देश में हो रहे भारत-विरोधी प्रदर्शनों के मद्देनजर ऐसे सभी प्रदर्शनों पर रोक लगाने वाला कानून बनाने पर विचार कर रही है जो मालदीव के अन्य देशों से सम्बन्धों को प्रभावित कर सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार तीन फरवरी से शुरू हो रहे मालदीव संसद के मजलिस सत्र में इस कानून का विधेयक पेश किया जा सकता है।
'मालदीव द्वारा विदेशी देशों के साथ स्थापित संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले सभी कार्यों को रोकने के लिए विधेयक' शीर्षक वाला मसौदा विशेष रूप से ‘इंडिया आउट’ अभियान को निशाना बनाती हैं।
क्या है ‘इंडिया आउट’ प्रोटेस्ट, क्यों लग रहा मालदीव, भारत को बेचने का आरोप
मालदीव में ये विरोध प्रदर्शन राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह सरकार के भारत के साथ निकटता के कारण हो रहे हैं जिसमें तथाकथित ‘इंडिया आउट’ नारे का इस्तेमाल करते हुए आरोप लगाया जा रहा है कि मालदीव तथा भारत की सरकारों के बीच द्विपक्षीय सहयोग मालदीव की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं संप्रभुता को कमजोर करता है।
‘इंडिया आउट’ विरोध की शुरुआत दो साल पहले तब हुई थी जब विपक्षी नेता और चीन समर्थित राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को नजरबंदी से रिहा किया गया था। एमडीपी के नेता लगातार इन विरोध प्रदर्शनों को दबाने की मांग कर रहे हैं।
क्या है विरोध का नेतृत्व कर रहे यामीन का चीन कनेक्शन
पूर्व राष्ट्रपति यामीन को चीन समर्थक माना जाता है और उनके कार्यकाल के दौरान यह आरोप लगते रहे कि वह मालदीव की विदेश नीति को चीन के पक्ष में झुका रहे हैं।
दिसंबर 2021 में मनी-लॉन्ड्रिंग और गबन के मामलों से बरी होकर रिहा होने के बाद से यामीन सक्रिय रूप से विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे हैं। एक भारत विरोध प्रदर्शन माले स्थित चीनी दूतावास के सामने हुआ था।
मसौदा विधेयक में क्या प्रावधान हैं?
मसौदा विधेयक में मालदीव को किसी अन्य देश के राजनीतिक, आर्थिक या सैन्य नियंत्रण में मानने वालों पर 20,000 मालदीवियन रूफियाह (करीब एक लाख रुपये) का जुर्माना और छह महीने की कैद या एक साल की नजरबंदी का प्रस्ताव है।
87 सदस्यीय संसद में 65 सदस्यों के भारी बहुमत के साथ, यदि मसौदा विधेयक मजलिस में लाया जाता है तो उसके पारित होने की उम्मीद है। मजलिस के स्पीकर ने पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा की संसदीय समिति को पत्र लिखा था कि वह इंडिया आउट विरोध की जांच करे।
एमडीपी के कई नेता ऐसे कानून के पक्ष में नहीं
हालांकि, जहां एमडीपी के कई नेता इस कानून को बेहद जरूरी बता रहे हैं तो वहीं कई नेता लोकतांत्रिक नियमों को ताक पर रखते हुए बेहद सख्त प्रावधानों पर चिंता जाहिर कर रहे हैं और विरोध की आशंका जता रहे हैं।
यामीन और उसकी प्रगतिशील पार्टी की भागीदारी वाले भारत विरोधी अभियान ने पिछले दो महीनों में सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है और दावा किया है कि मालदीव में बड़ी संख्या में भारतीय सैन्यकर्मी मौजूद हैं और सरकार उथुरू थिलाफल्हू एटोल को भारतीय नौसेना सौंपने की योजना बना रही है।