मालदीव में अभूतपूर्व संकट: राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट आमने-सामने, सेना हाई अलर्ट पर
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 5, 2018 08:00 AM2018-02-05T08:00:52+5:302018-02-05T08:59:02+5:30
मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन पर महाभियोग चलाने का आदेश दिया था।
मालदीव अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है। मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चालने का आदेश दिया था। राष्ट्रपति के सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने से इनकार करने के बाद देश की सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है। मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों से मामले में हस्तक्षेप करने की माँग की है।
राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद ने उनके खिलाफ झूठा मुकदमा चलाया है। यामीन उनके खिलाफ फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों को बरखास्त करवाना चाहते हैं।
मालदीव सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ पदस्थ अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी हसन सईद के घर पर छापा मारा गया है और न्यायधीशों को डराने की कोशिश की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राजनीतिक बंदियों को भी रिहा करने का आदेश दिया है। जेल में बंद कैदियों में मालदीव के पहले चुने गये राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद भी शामिल हैं। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार मालदीव स्थित भारतीय दूतावास वहाँ के सुप्रीम कोर्ट से संपर्क में है।
मालदीव का संकट तब और बढ़ गया जब देश के पुलिस प्रमुख और मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स ने कहा है कि वो एटार्नी जनरल मोहम्मद अनील का आदेश मानेंगे न कि सुप्रीम कोर्ट।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए रविवार शाम को कहा वो कानून-व्यवस्था पर अमल कराने के लिए प्रतिबद्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करना पड़ेगा क्योंकि उन सभी को राजनीति से प्रेरति और दोषपूर्ण मुकदमे के तहत जेल भेजा गया।