प्रमुख तेल उत्पादक सऊदी अरब ने 2060 तक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन ‘‘शून्य’’ करने का लक्ष्य रखा
By भाषा | Published: October 23, 2021 03:22 PM2021-10-23T15:22:40+5:302021-10-23T15:22:40+5:30
दुबई, 23 अक्टूबर दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक सउदी अरब ने मानव जनित जलवायु परिवर्तन को कम करने की 100 से अधिक देशों की वैश्विक पहल में शामिल होते हुए शनिवार को घोषणा की कि उसने 2060 तक हरित (ग्रीन हाउस) गैसों का उत्सर्जन ‘‘शून्य’’ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने देश के पहले ‘सऊदी ग्रीन इनिशिएटिव फोरम’ की शुरुआत में संक्षिप्त लिखित टिप्पणी में यह घोषणा की, जो ग्लासगो, स्कॉटलैंड में आयोजित होने जा रहे वैश्विक ‘कॉप26’ जलवायु सम्मेलन के आरंभ होने से करीब एक सप्ताह पहले की गई है।
प्रिंस मोहम्मद ने कहा कि सऊदी अरब उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य रखेगा और वह तथाकथित ‘‘कार्बन सर्कुलर इकोनॉमी’’ दृष्टिकोण के माध्यम से ऐसा करेगा। सर्कुलर कार्बन इकोनॉमी एक ऐसी प्रणाली है जहां कार्बन का उत्सर्जन कम किया जाता है, उसे पुन:उपयोग में लाया जाता है, पुनर्चक्रण किया जाता है और उसे यथासंभव हटाया जाता है।
यह दृष्टिकोण वास्तव में जीवाश्म ईंधन पर वैश्विक निर्भरता को कम करने के प्रयासों पर अब तक अविश्वसनीय रहे कार्बन कैप्चर और भंडारण प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित है। कार्बन कैप्चर और भंडारण प्रौद्योगिकी कार्बन डाइऑक्साइड को वायुमंडल में छोड़ने से पहले ही रोक लेने और भूगर्भ में इकट्ठा करने की प्रक्रिया है।
घोषणा सऊदी अरब की अपनी राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर प्रयासों से संबंधित है और यह तेल के क्षेत्र में उसके निरंतर आक्रामक निवेश और एशिया और अन्य क्षेत्रों में जीवाश्म ईंधन के निर्यात को प्रभावित नहीं करती है।
सऊदी ग्रीन इनिशिएटिव फोरम द्वारा जारी बयान के अनुसार, ‘‘शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य पाने के लिए इस तरह से वितरण किया जाएगा जो विशेष रूप से परिपक्वता और उत्सर्जन को प्रबंधित करने और कम करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता पर विचार करते हुए वैश्विक ऊर्जा बाजारों की सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ाने में देश की अग्रणी भूमिका को संरक्षित करता है।’’
राजस्व के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के बावजूद सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था तेल एवं गैस निर्यातों पर टिकी है। 31 अक्टूबर से शुरू होने वाले वैश्विक शिखर सम्मेलन ‘कॉप26’ में ग्लोबल वार्मिंग और इसकी चुनौतियों से निपटने के लिए दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होंगे। ग्लोबल वार्मिंग को खतरनाक स्तर तक पहुंचने से रोकने के लिए इसे ‘‘दुनिया का आखिरी सबसे अच्छा मौका’ बताया जा रहा है।
शिखर सम्मेलन में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकारों और व्यवसायों से नई प्रतिबद्धताओं को पेश करने की उम्मीद है।
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