दावोस में WEF के मंच से पीएम मोदी ने गिनाए तीन खतरे और उनका 'पौराणिक' समाधान: बड़ी बातें
By आदित्य द्विवेदी | Published: January 23, 2018 04:08 PM2018-01-23T16:08:19+5:302018-01-23T17:29:02+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व आर्थिक मंच (WEF) की 48वीं बैठक में शिरकत करने के लिए दावोस पहुंचे हैं। अपने संबोधन में उन्होंने दुनिया को संभावित खतरों से आगाह किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच की 48वीं बैठक को संबोधित किया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत 1997 के एचडी देवगौड़ा के दौरे से किया। पीएम मोदी ने दुनिया को सामने मौजूद तीन खतरों का उल्लेख और उनके पौराणिक समाधान भी बताए। इससे पहले दावोस में पीएम मोदी ने स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति एलेन बर्सेट से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने कई वैश्विक कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) संग हुई राउंड टेबल मीटिंग की मेजबानी की।
दावोस में WEF के मंच पर पीएम नरेंद्र मोदी का संबोधनः बड़ी बातें
- वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 48वीं बैठक में शामिल होते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। 20 साल पहले 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा यहां आए थे।
- 1997 में भारत की जीडीपी 2 बिलियन डॉलर था। दो दशकों के बाद यह लगभग छह गुना हो चुकी है। उस वर्ष इस फोरम का विषय था बिल्डिंग द नेटवर्क्ड सोसाइटी। आज 20 साल बाद डिजिटल प्राथमिकताओं को देखें तो 1997 वाला विषय सदियों पुराने युग की चर्चा लगती है। 1997 में यूरो मुद्रा प्रचलित नहीं थी और एशियन फाइनेंसियल क्राइसिस का पता नहीं था। 1997 में बहुत कम लोगों ने ओसामा बिन लादेन के बारे में सुना था। अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं।
- आज डेटा बहुत बड़ी संपदा है। डेटा के पहाड़ बनते जा रहे हैं। उन पर नियंत्रण की दौड़ मची है। माना जा रहा है कि जो डेटा को काबू रखेगा वही दुनिया में अपना वर्चस्व बना सकेगा।
- वसुधैव कुटुंबम की धारणा दूरियों को मिटाने के लिए सार्थक है। लेकिन इस दौर की गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए हमारे बीच सहमति का अभाव है। परिवार में भी एक ओर जहां सौहार्द और सहयोग होता है वहीं कुछ मनमुटाव होते रहते हैं।
#WATCH: PM Narendra Modi met PM of Canada Justin Trudeau in #Davos#WorldEconomicForumpic.twitter.com/WWNfPXSG5q
— ANI (@ANI) January 23, 2018
- दुनिया के सामने पहला खतरा है क्लाइमेट चेंज है। आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है। देश डूब रहे हैं। लेकिन क्या हमने इससे निपटने के लिए ईमानदार कोशिश की है। इशोपनिषद की शुरुआत में ही ऋषियों ने अपने शिष्यों से परिवर्तनशील नियमों की चर्चा की है।
- ढाई हजार साल पहले भगवान बुद्ध ने त्याग की भावना पर बल दिया। महात्मा गांधी ने 'नीड' पर आधारित उपभोग पर जोर दिया, 'ग्रीड' पर आधारित शोषण का विरोध किया था। अपने सुखों के लिए हम प्रकृति के शोषण तक पहुंच गए हैं। हमें खुद पूछना होगा कि क्या ये हमारा विकास हुआ है या पतन हुआ है। प्राचीन भारतीय दर्शन का मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य ही इससे निपटने का अचूक नुस्खा है।
- दुनिया के सामने दूसरी बड़ी चुनौती है आतंकवाद। इस संबंध में भारत की चिंताओं से आप सब भली भांति परिचित हैं। मैं सिर्फ दो आयामों पर आपका ध्यान खींचना चाहता हूं। आतंकवाद जितना खतरनाक है उससे भी खतरनाक 'गुड टेररिस्ट' और 'बैड टेररिस्ट' का बनाया गया भेद है। दूसरा समकालीन पहलू है पढ़े-लिखे युवाओं का आतंकवाद में लिप्त होना।
- तीसरी चुनौती है देश और समाज का आत्मकेंद्रित हो जाना। ग्लोबलाइजेशन अपने नाम के विपरीत सिकुड़ता चला जा रहा है। क्लाइमेट चेंज या आतंकवाद के खतरे से इसे कमतर नहीं आंक सकते। हालांकि हर कोई इंटरकनेक्टेड विश्व की बात करता है लेकिन हमें स्वीकार करना होगा कि इसकी चमक फीकी पड़ती जा रही है।
70 saal ke svatantr Bharat ke itihaas mein pehli baar desh mein ek ekakrit kar vyvastha GST ke roop mein laagu kar li gayi hai. Paardarshita aur jawabdehi badhane ke liye hum technology ka istemaal kar rahe hain: PM Modi at #WorldEconomicForumpic.twitter.com/sMiQCax2EG
— ANI (@ANI) January 23, 2018
- आज का भारत महात्मा गांधी के दर्शन और चिंतन को अपनाते हुए पूरे आत्मविश्वास और निर्भरता के साथ पूरे विश्व से जीवनदायिनी तरंगों का स्वागत कर रहा है। भारत के लिए लोकतंत्र महज एक राजनीतिक व्यवस्था नहीं बल्कि एक जीवन दर्शन और संस्कृति है।
- भारत के 600 करोड़ मतदाताओं ने 2014 में तीस साल बाद पहली बार किसी एक राजनैतिक पार्टी को केंद्र में सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत दिया है। हमने किसी एक वर्ग के सीमित का विकास नहीं बल्कि सबसे विकास का संकल्प किया। मेरी सरकार का मोटो है 'सबका साथ-सबका विकास।'
- हम अपनी आर्थिक और सामाजिक नीतियों में छोटे-मोटे सुधार नहीं कर रहे बल्कि आमूल-चूल परिवर्तन कर रहे हैं। रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म के मंत्र के साथ निवेश के लिए सुगम बना रहे हैं।
- आज भारत में निवेश करना, भारत की यात्रा करना, भारत में काम करना और भारत से अपने प्रोडक्ट और सर्विसेज को दुनिया भर में एक्सपोर्ट करना बहुत आसान हो गया है। हमने 'रेड टेप' (लाल फीताशाही) हटाकर 'रेट कारपेट' बिछा रहे हैं। हमने कई क्षेत्र एफडीआई के लिए खोल दिए हैं। केंद्र एवं राज्य सरकारों ने मिलकर सैकड़ों रिफॉर्म किए हैं। 1400 से ज्यादा ऐसे कानून को बिजनेस में अड़चन डाल रहे थे इन्हें तीन साल के भीतर खत्म कर दिया गया है।
- अब भारत के युवा 2025 में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के योगदान देने के लिए सक्षम हैं। वो जॉब सीकर नहीं जॉब प्रोवाइडर बन रहे हैं।
Change in India's ranking is an indicator that the people in India have warmly welcomed the change in policies as the road to a better future for them: PM Narendra Modi at #WorldEconomicForum#Davospic.twitter.com/9TmvthNzur
— ANI (@ANI) January 23, 2018
- विश्व में तमाम तरह के फैक्टर और तमाम तरह की दरारों को देखते हुए ये आवश्यक है कि विश्व की बड़ी ताकतों के बीच सहयोग के संबंध हो। देशों के प्रतिस्पर्धा एक दीवार बनकर ना खड़ी हो जाए। साझा चुनौतियों का मुकाबला करने करने के लिए एक लार्जर विजन के तहत साथ मिलकर काम करना ही होगा।
- जब हम ऐसे समय से गुजर रहे हैं जब हमारे आस-पास के बदलाव अनिश्चितताओं को चुनौती दे रहे हैं। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन जरूरी है।
- हमें विश्व की आर्थिक प्रगति में और तेजी लानी होगी। इस बारे में विश्व में आर्थिक वृद्धि के लिए हालिया संकेत उत्साहजनक हैं। टेक्नोलॉजी और डिजिटल इवोल्यूनशन नई संभावनाओं के रास्ते खोलते हैं।
- इस प्रकार के प्रयासों में भारत ने हमेशा सहायता का हाथ आगे बढ़ाया है। पुरातन काल से भारत चुनौतियों का मुकाबला करने में सबसे साथ सहयोग का हामी रहा है। इन दिशा में भारत के आदर्शों का कोई सानी नहीं है।
- चाहे नेपाल में भूकंप हो या दूसरे पड़ोसी देशों में कोई प्राकृतिक आपदा। भारत ने राहत पहुंचाने के लिए खड़ा रहा है। यमन में हिंसा का विस्तार हुआ तो हमने अपने संसाधनों से दो हजार नागरिकों को बाहर निकाला। स्वयं विकासशील देश होने के बावजूद भारत आगे बढ़कर सहयोग कर रहा है।
In India democracy, demography and dynamism are giving shape to development and destiny: PM Narendra Modi at #WorldEconomicForum#Davospic.twitter.com/C3OQsCkZux
— ANI (@ANI) January 23, 2018
- भारत ने कोई राजनैतिक या भौगोलिक महात्वाकांक्षा नहीं रखी है। भारत ने ये साबित कर दिया है कि लोकतंत्र विविधता का सम्मान, सौहार्द और समन्वय से सभी दरारों को मिटाया जा सकता है। शांति, स्थिरता और विकास के लिए ये भारत का जांचा परखा हुआ नुस्खा है।
- 'सर्वे भवंतु सुखिना सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद दुख भाग भवेत्।' इस आदर्श को प्राप्त करने के लिए भारत ने रास्ता भी दिखाया है। 'सह नावतु, सह नो भुनक्तु, सह वीर्यम् कुरवावहे।' हम सब मिलकर काम करें। मिलकर चलें। हमारी प्रतिभाएं साथ-साथ मिलें और हमारे बीच कभी द्वेष ना हो।
- गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने ऐसे हैवेन ऑफ फ्रीडम की कल्पना की... 'आइए, हम मिलकर एक ऐसा हैवेन ऑफ फ्रीडम बनाएँं जहां सहयोग और समन्वय हो। आइए, हम सब साथ साथ दुनिया को उसकी दरारों और अनावश्यक दरारों से मुक्ति दिलाएं।'
- विभिन्न देशों में भारतीय मूल के 13 मिलियन लोग रह रहे हैं। मैं आप सबका आवाहन करता हूं कि अगर आप वेल्थ और वेलनेस चाहते हैं तो भारत में आइए। अगर आप हेल्थ के साथ जीवन की होलनेस चाहते हैं तो भारत में आइए। अगर आप प्रोस्पेरिटी के साथ पीस चाहते हैं तो भारत में आइए। भारत में आप सबका स्वागत है।
- वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बोलने का मौका देने के लिए मैं आप सबका शुक्रिया अदा करता हूं।