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जलवायु परिवर्तन संबंधी रिपोर्ट पर नेताओं और कार्यकर्ताओं ने किया आगाह

By भाषा | Updated: August 9, 2021 18:47 IST

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जिनेवा, नौ अगस्त (एपी) संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों की समिति ने सोमवार को कहा कि पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है और आशंका है कि करीब एक दशक में ही पेरिस समझौते में तय महत्वकांक्षी सीमा को यह पार कर जाएगा। इससे मौसम और जलवायु संबंधी दीर्घकालिक विकट आपदाओं के आने का खतरा बढ़ जाएगा।

पेरिस समझौते में पृथ्वी के तापमान में वृद्धि को औद्योगिक युग से पहले की तुलना में दो डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित रखने का लक्ष्य है जो आदर्श रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो।

रिपोर्ट पर नेताओं, वैज्ञानिकों और कार्यकर्ताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि रिपोर्ट ‘मानवता के लिए खतरे का संकेत’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘खतरे की घंटी तेज है और इसके सबूत अकाट्य हैं। जीवाश्म ईंधन के जलने और वनों के कटने से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन हमारे ग्रह (पृथ्वी) का दम घोंट रहा है और अरबों लोगों को तत्काल खतरे में डाल रहा है।’’

किशोर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) की नयी रिपोर्ट में कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। इसने बस वही पुष्टि की है जो हम पूर्व के हजारों अध्ययनों और रिपोर्ट से जानते हैं। आपात स्थिति है। यह हम पर है कि इस रिपोर्ट में पेश वैज्ञानिक सबूत के आधार पर कदम उठाते हैं या नहीं। हम अब भी सबसे खराब परिस्थिति को टाल सकते हैं, बशर्ते अगर हम आज जैसा व्यवहार नहीं करें और संकट को संकट की तरह लें।’’

जलवायु पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के विशेष दूत जॉन केरी ने कहा, ‘‘ जलवायु संकट का असर तेज गर्मी से जंगल में आग, भारी बारिश और बाढ़ के तौर दिख रहा है तथा अगर हमने दूसरा रास्ता नहीं चुना तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह स्थिति और भयावह होगी। विश्व को वास्तव में कदम उठाने की जरूरत है। सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को इस अहम दशक में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए आक्रामक तरीके से कदम उठाना चाहिए।’’

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा ‘‘ हमें पता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को सीमित करने के लिए हमें क्या करने की जरूरत है। कोयले के इस्तेमाल को इतिहास बनाएं और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर मुड़ें, प्रकृति की रक्षा करें और अग्रिम मोर्चे पर लड़ रहे देशों को जलवायु वित्त सहायता मुहैया कराएं।’’

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा समय में जलवायु परिवर्तन के खतरे का सबसे अधिक सामना कर रहे 48 देशों के समूह का प्रतिनिधित्व करनेवाले मोहम्मद नशीद ने कहा, ‘‘जलवायु आपातकाल की स्थिति रोजाना विकराल रूप ले रही है। हम जलवायु असुरक्षित मंच- दुनिया में जलवायु परिवर्तन के सबसे अधिक खतरे का सामना करने वाले देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं- अग्रिम मोर्चे पर हैं, हमारे देश तूफान, सूखा और समुद्र के जलस्तर में वृद्धि से नष्ट हो रहे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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