Israel-Palestine Conflict: "सायरन बजते ही लगता है, मौत आ गई", इजरायल में फंसे भारतीय छात्र की आपबीती
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: October 10, 2023 11:57 IST2023-10-10T11:52:35+5:302023-10-10T11:57:29+5:30
इजरायल-हमास संघर्ष के बीच फंसे कई भारतीय छात्रों ने कहा कि रॉकेट हमला इतना भयावह था कि हमने अपने जीवन में उसकी कल्पना नहीं की थी।

फाइल फोटो
तेल अवीव: फिलिस्तीन समर्थित हमास लड़ाकों ने बीते 7 अक्टूबर (शनिवार) को इजराइल की सारी सुरक्षा बंदोबस्त को धता बताते हुए आश्चर्यजनक रूप से देश के दक्षिणी और मध्य हिस्सों में महज 20 मिनटों में 5000 रॉकेट दागकर पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी।
मामले में खुद इजरायल की बेंजामिन नेतन्याहू सरकार ने इस बात को स्वीकार किया है कि हमास का यह हमला इजरायल के इतिहास में नागरिकों पर सबसे जघन्य और भयानक नरसंहार है। हमास के हमले में न केवल इजरायली नागरिक बल्कि विश्व के कई मुल्कों के लोग मारे गये हैं, जो हमले के वक्त इजायल में थे।
थाईलैंड के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने हमास-इजरायल युद्ध के संबंध में मंगलवार को ताजा बयान जारी करते हुए कहा कि उनके पास हमले के संबंध में मिले नवीनतम आंकड़ों के अनुसार शनिवार को हुए हमले में अब तक कुल 18 थाई नागरिकों की मौत हुई है। इसके अलावा एक जर्मन महिला की भी मौत हुई और उसके मृत शरीर से बर्बरता करते हुए हमास लड़ाकों के वायरल वीडियो ने पूरी मानवता को शर्मसार कर दिया है।
इस बीच खबर मिल रही है कि इजरायल में इस वक्त कई भारतीय छात्र भी फंसे हैं और उन्होंने हमास के हमले का वृतांत सुनाया है, वो रोंगटे खड़े कर देने वाला है। समचार वेबसाइट एनडीटीवी के अनुसार इजरायल में फंसे भारतीय छात्रों ने बताया कि हमले के दौरान ऐसा हुआ, जिसकी भयावहता हमने अपने जीवन में पहले कभी नहीं देखी।
एक भारतीय छात्र ने कहा, "7 अक्टूबर की सुबह में इज़राइल के कई हिस्सों में सायरन बजने लगे। मेरे जैसे कई आप्रवासियों के बीच दहशत का माहौल थाष हम समझ रहे थे कि सायरन का मतलब है कि रॉकेट जल्द ही कहीं आसपास में गिरने वाला है। इजरायल में सुरक्षा व्यवस्था बेहद पुख्ता है लेकिन हमास हमले में सायरन, आयरन डोम और अन्य सारे सुरक्षा इंतजाम फेल हो गये। गाजा पट्टी से अक्सर रॉकेट इजरायली सीमाओं के भीतर गिरता है लेकिन उनसे जनजीवन की कोई हानि नहीं पहुंचती है लेकिन इस बार भयावह था।"
भारतीय छात्र ने आगे कहा, "आपका दुर्भाग्य इस बात पर निर्भर करता है कि आप इज़राइल में कहां रहते हैं, ऐसी स्थितियां साल में कई बार आती हैं। कुल मिलाकर देखें तो आमतौर पर सायरन बजने से ज्यादा हलचल नहीं होती है लेकिन इस बार स्थितियां अलग थीं।"
उसने कहा, "मैं वीज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में काम करता हूं और गाजा सीमा से 50 किलोमीटर से अधिक दूर रेहोवोट शहर में रहता हूं। अगर कभी सायरन बजता है तो आपको सुरक्षित आश्रय तक पहुंचने के लिए पर्याप्त समय मिलता है लेकिन इस बार समय का अंतर काफी कम था और गाजा से आ रहे रॉकेटों से अधिक नुकसान हुआ।"
भारतीय छात्र ने बताया कि शनिवार को उस वक्त हमला हुआ, जब इज़राइल में शब्बत था और तोरा अवकाश का दिन था। हमास के लड़ाकों ने कई नृत्य संगीत समारोहों में हमला किया, जिसकी खून जमा देने वाली तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया में मौजूद हैं।
उसने कहा कि रेहोवोट शहर और उसके आसपास में दर्द और भय का माहौल है। फिलहाल भोजन और अन्य आवश्यकताएं उपलब्ध हैं। लेकिन लोग डरे हुए हैं और जरूरत से ज्यादा सावधान हैं।
भारतीय छात्र ने कहा कि इजरायल में रहने वाले भारतीय छात्र घर वापसी पर विचार कर रहे हैं, हालांकि दोनों देशों के बीच अभी उड़ाने संभव नहीं हैं। इस कारण छात्र हमले के माहौल में फंसे हुए हैं। हालांकि इज़राइल सरकार की ओर से लगातार आश्वासन दिया जा रहा है कि स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी।