खुशखबरी! बन गई कोरोना वायरस की वैक्सीन, इजरायल के रक्षा मंत्री ने किया दावा
By निखिल वर्मा | Published: May 5, 2020 05:09 PM2020-05-05T17:09:39+5:302020-05-05T17:35:29+5:30
दुनिया भर में कोरोना वायरस के 36 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. कोविड-19 महामारी से अब तक 2.5 लाख से ज्यादा लोगों ने जान गंवा दी है. दुनिया भर के वैज्ञानिक/डॉक्टर पिछले पांच महीने से कोरोना वायरस के दवा/वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं.
कोरोना वायरस महामारी के बीच इजरायल ने एक राहत की खबर दी है। इजरायल के रक्षा मंत्री नैफताली बेन्नेट ने दावा किया है कि उनके देश ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली है। बेन्नेट के अनुसार, इजरायल इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च (IIBR) ने कोविड-19 की एंटीबॉडी विकसित करने में सफलता हासिल कर ली है। उन्होंने कहा कि हमारी टीम ने कोरोना वायरस को खत्म करने के टीके के विकास का चरण पूरा कर लिया है। साथ ही पेटेंट और उत्पादन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
रक्षा मंत्री के मुताबिक यह एंटीबॉडी मोनोक्लोनल तरीके से कोरोना वायरस पर हमला करती है और संक्रमित लोगों के शरीर के अंदर ही कोरोना वायरस का खात्मा कर देती है। इजरायल के अलावा कई प्राइवेट दवा कंपनियों ने दावा किया है कि उसने कोविड-19 का सफल इलाज खोज लिया है लेकिन अब तक किसी दावे की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है।
इजरायल इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च देश के रक्षा मंत्रालय के अधीन आता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन करने के लिए दुनिया भर की कंपनियों से बात की जाएगी। उन्होंने कहा, इजरायल इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च की पूरी टीम पर बेहद गर्व है। इजरायल में अब तक कोरोना वायरस के 16000 से ज्यादा मामले मिले हैं और यहां 237 लोगों की मौत हुई है। इजरालय ने 4 लाख से ज्यादा लोगों का कोरोना वायरस टेस्ट किया है।
बता दें कि इससे पहले पिछले महीने तेल अवीव विश्वविद्यालय के एक इजराइली वैज्ञानिक को कोरोना परिवार के वायरसों के लिए टीका डिजाइन का अमेरिकी पेटेंट मिला है। यह पेटेंट ‘यूनाटेड स्टेट्स पेटेंट एडं ट्रेडमार्क ऑफिस’ ने प्रदान किया है। यह टीका विश्वविद्यालय के जॉर्ज एस वाइज फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज में स्कूल ऑफ मॉलिक्यूलर सेल बायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर जोनाथन गेर्शोनी ने प्रस्तावित की है। इसके बाद से ही कोरोना वायरस के टीके की चर्चा शुरू हो गई थी।
इज़राइल के रक्षा मंत्री नैफताली बेन्नेट ने दावा किया है कि उनके देश के मुख्य जीवविज्ञानी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस का एंटीबॉडी विकसित करने में ‘अहम उपलब्धि’ हासिल की है। उनका कहना है कि अनुसंधानकर्ता विकास चरण पूरा करके उस दवा को पेटेंट कराने एवं भविष्य के इलाज के लिए बड़े पैमाने पर उसका उत्पादन करने की दिशा में बढ़ चुके हैं।
रक्षा मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, नैफताली बेन्नेट ने सोमवार को नेस्स जियोना में इज़राइल के इंस्टीट्यूट फॉर बायोलोजिकल रिसर्च (आईआईबीआर) का दौरा किया और उन्हें ‘‘वह एंटीबॉडी दिखाया गया जो वायरस पर हमला करता है और मरीजों के शरीर के अंदर ही उसे निष्प्रभावी बना सकता है।’’ इस बयान में कहा गया है कि एंटीबॉडी विकसित कर लिया गया है और अब संस्थान उसे पेटेंट कराने की प्रक्रिया में है एवं अगले चरण में अनुसंधानकर्ता वाणिज्यिक स्तर पर उस एंटीबॉडी का उत्पादन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से संपर्क करेंगे। बेन्नेट ने कहा, ‘‘ मुझे इस बड़ी उपलब्धि के लिए संस्थान के कर्मियों पर नाज है। उनकी सृजनशीलता और यहूदी मेधा ने यह आश्चर्यजनक उपलब्धि हासिल की।’’
यह संस्थान प्रधानमंत्री कार्यालय की निगरानी में है और उसे कोरोना वायरस का टीका विकसित करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। मार्च में इज़राइल के दैनिक अखबार हरेत्ज ने मेडिकल सूत्रों के हवाले से खबर दी थी कि संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस वायरस की जैविक प्रणाली और विशेषताएं समझने में अहम उपलब्धि हासिल की है जिनमें उसकी बेहतर नैदानिक क्षमता, मरीजों के लिए एंटीबॉडी और टीके का विकास आदि शामिल हैं। तत्काल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या बेन्नेट के सामने पेश की गयी उपलब्धि, मार्च में आयी खबर की अगली कड़ी है ? ज्यादा ब्योरा भी नहीं दिया गया है।
बयान में यह नहीं बताया गया है कि क्या इंसान पर उसका परीक्षण किया गया है या नहीं ? पीटीआई भाषा को पता चला है कि आईआईबीआर ने संभवत: कुछ क्लीनिकल परीक्षण किये हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने उस प्रोटीन की पहचान की है जो मरीज के शरीर में ही इस वायरस को खत्म करने में सक्षम है। संस्थान अपने निष्कर्षों के बारे में शीघ्र ही शोधपत्र प्रकाशित करेगा। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक फरवरी को इस संस्थान को कोविड-19 का टीका विकसित करने के लिए अपने संसाधन लगा देने का आदेश दिया था। हालांकि मार्च में रक्षा मंत्रालय ने किसी भी उपलब्धि से यह कहते हुए इनकार किया था कि ‘‘ जब कुछ ऐसी बात होगी तब उसका खुलासा किया जाएगा।’’