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इजराइल: नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन, कोरोना संकट के बीच युवाओं के सब्र का बांध टूटा, मांगा इस्तीफा

By भाषा | Updated: August 12, 2020 17:49 IST

बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल हुई सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ एवं 25 वर्षीय शाचर ओरेन ने कहा सिर्फ कोरोना महामारी से निपटने में सरकार की असफलता के खिलाफ नहीं बल्कि यह उन लोगों से भी संबधित है जिनके पास भोजन नहीं है और न ही वो जीवन की जरूरतों का खर्च उठा पा रहे हैं। मैं भी उनमें से एक हूं।

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ठळक मुद्देएक प्रदर्शनकारी ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे लोग मुख्य रूप से मध्य वर्ग के हैं। वे बेरोजगार हो गये हैं।बेंजामिन नेतन्याहू के आधिकारिक आवास के बाहर एक सप्ताह में कई बार प्रदर्शनकारी एकत्र हुए और उनसे इस्तीफे की मांग की।कई युवा प्रदर्शनकारियों की या तो नौकरी चली गई है या वे अपने भविष्य को लेकर सशंकित हैं।

यरूशलम: इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच कोविड-19 संकट से निपटने के तरीकों को लेकर जारी प्रदर्शनों के साथ उनके इस्तीफे की मांग जोर पकड़ रही है। नेतन्याहू के खिलाफ रैलियों में बड़ी संख्या में ऐसे प्रदर्शनकारी शामिल हो रहे हैं, जो युवा हैं, मध्यम वर्ग से हैं और जिनका राजनीति से बहुत कम जुड़ाव रहा है।

उन्हें लगता है कि नेतन्याहू के कथित भ्रष्ट शासन और कोरोना वायरस से निपटने के उनके तरीकों ने इन युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया है। यह एक ऐसा माहौल है जो जिसका देश के नेताओं के लिये गहरे निहितार्थ होंगे। यरूशलम स्थित थिंक टैंक और प्रदर्शन आंदोलनों में विशेषज्ञता रखने वाले ‘इजराइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट’ की शोधार्थी तामर हरमन ने कहा, ‘‘प्रदर्शनकारी मुख्य रूप से मध्य वर्ग के हैं। वे बरोजगार हो गये हैं।’’

नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल हुई सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ एवं 25 वर्षीय शाचर ओरेन ने कहा, ‘‘यह केवल कोविड-19 संकट और सरकार के इससे निपटने के तरीकों से संबद्ध नहीं है। बल्कि यह लोगों से भी संबद्ध है जिनके पास भोजन और जीवन की अन्य आवश्यक जरूरतों का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं। मैं उनमें से एक व्यक्ति हूं। ’’

ओरेन उन हजारों लोगों में एक हैं, जो नेतन्याहू के आधिकारिक आवास के बाहर एक सप्ताह में कई बार एकत्र हुए और उनसे इस्तीफे की मांग की। कई युवा प्रदर्शनकारियों की या तो नौकरी चली गई है या वे अपने भविष्य को लेकर सशंकित हैं। वे प्रधानमंत्री के खिलाफ सड़कों पर उतर गये हैं और नेतन्याहू के खिलाफ नारे लगा रहे हैं।

वहीं, नेतन्याहू ने प्रदर्शनकारियों को ‘‘वामपंथी’’ या ‘‘अराजकतावादी’’ करार देते हुए खारिज करने की कोशिश की है। इस तरह के दावों के बावजूद किसी भी विपक्षी दल द्वारा इन प्रदर्शनों को आयोजित करने का संकेत नहीं दिख रहा है। ज्यादातर प्रदर्शनों में नेताओं की भागीदारी नहीं है।

इजराइल में राजनीतिक प्रदर्शन की लंबी परंपरा रही है, चाहे यह शांति समर्थक कार्यकर्ता हों, या वेस्ट बैंक के बाशिंदे या अति रूढ़िवादी यहूदी। प्रदर्शनों की नयी लहर कहीं अधिक व्यापक, मुख्यधारा की अपील प्रतीत हो रही है। बेरोजगारी बढ़ने पर नेतन्याहू और उनके प्रतिद्वंद्वी बेन्नी गांत्ज ने मई में 34 कैबिनेट मंत्रियों के साथ एक गठबंधन बनाया।

यह देश के इतिहास में सबसे बड़ी सरकार है। तीन चुनावी गतिरोध के बाद एक आपात सरकार के लिये दोनों नेताओं के बीच मई में सहमति बनी थी। इसका लक्ष्य वैश्विक महामारी के दौरान देश की राजनीति स्थिर करना था। लेकिन 100 दिन के अंदर ही उनकी गठबंधन सरकार आर्थिक संकट और प्रदर्शनों की लहर जारी रहने से गिरने के कगार पर पहुंच गई है।

गठबंधन के पास बजट पर समझौता के लिये महज दो हफ्ते रह गये हैं, अन्यथा देश चौथे चुनाव की ओर बढ़ जाएगा। मतभेद इस कदर बढ़ गए हैं कि इस हफ्ते की मंत्रिमंडल की बैठक रद्द करनी पड़ी। अच्छी खासी तनख्वाह के अलावा ये मंत्री वाहन चालक, सुरक्षा गार्ड आदि जैसी सुविधाएं और अन्य भत्ते पा रहे हैं।

विश्वविद्यालय की छात्रा स्ताव पिलत्ज ने बताया कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों में एक समान बात यह महसूस की, ‘‘उन्हें लगता है कि राजनीतिक माहौल में कुछ गड़बड़ी है और नागरिकों की तकलीफ को सुनने वाला कोई नहीं है। ’’ 

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