ईशनिंदा मामलाः कोर्ट ने कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के 86 सदस्यों को 55 वर्ष कैद की सजा सुनाई
By भाषा | Updated: January 17, 2020 20:33 IST2020-01-17T20:33:52+5:302020-01-17T20:33:52+5:30
कट्टरपंथी तहरीक ए लबैक पार्टी के वरिष्ठ नेता पीर एजाज अशरफी ने कहा कि सजा को चुनौती दी जाएगी। जिन लोगों को सजा दी गई है उनमें आमिर हुसैन रिजवी भी शामिल है जो पार्टी के मुखिया खादिम हुसैन रिजवी का भाई है। अशरफी ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा, ‘‘न्याय नहीं हुआ है। हम फैसले को चुनौती देंगे।’’

बीबी को 2009 में ईशनिंदा का दोषी पाया गया था और इस्लाम के अपमान के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी।
पाकिस्तान की एक अदालत ने एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के 86 सदस्यों को 2018 में हिंसक रैलियों में हिस्सा लेने के लिए 55 वर्ष कैद की सजा सुनाई है।
पार्टी के एक पदाधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि ईशनिंदा के एक मामले में एक ईसाई महिला को बरी किए जाने को लेकर ये रैलियां निकाली गईं थीं। रावलपिंडी की एक अदालत ने बृहस्पतिवार की रात को फैसले सुनाया। सुनवाई एक वर्ष से ज्यादा समय तक चली।
कट्टरपंथी तहरीक ए लबैक पार्टी के वरिष्ठ नेता पीर एजाज अशरफी ने कहा कि सजा को चुनौती दी जाएगी। जिन लोगों को सजा दी गई है उनमें आमिर हुसैन रिजवी भी शामिल है जो पार्टी के मुखिया खादिम हुसैन रिजवी का भाई है। अशरफी ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा, ‘‘न्याय नहीं हुआ है। हम फैसले को चुनौती देंगे।’’
86 लोगों पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लोगों को पीटने और उस वर्ष आसिया बीबी की रिहाई के खिलाफ धरना देकर सामान्य जनजीवन बाधित करने के आरोप हैं। बीबी को 2009 में ईशनिंदा का दोषी पाया गया था और इस्लाम के अपमान के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी।
खेतों में काम करने वाले अन्य मजदूरों द्वारा उस बर्तन से पानी पीने से इंकार करने के कारण बीबी की लड़ाई हुई थी जिसमें एक ईसाई मतावलंबी ने पानी पीया था। उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों से हमेशा इन्कार किया।
देश के उच्चतम न्यायालय ने 2018 में उनकी सजा को पलट दिया लेकिन कट्टरपंथी इस्लामियों ने फैसले के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन किया, जिस कारण अधिकारी उन्हें एहतियाती हिरासत में रखा गया और फिर पिछले वर्ष कनाडा जाने दिया ताकि वहां अपने परिवार के साथ रह सकें।