विवाहेतर यौन संबंध दंडनीय अपराध, देश के नागरिकों और विदेशियों पर समान रूप से लागू, इंडोनेशिया संसद ने विवादास्पद संशोधन को पारित किया, जानें असर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 6, 2022 04:17 PM2022-12-06T16:17:34+5:302022-12-06T16:21:40+5:30
संसदीय कार्यबल ने नवंबर में विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दिया था और सांसदों ने मंगलवार को इसे सर्वसम्मति से पारित किया। विधि एवं मानवाधिकार मामलों के उप मंत्री एडवर्ड हीराईज़ के अनुसार, संसद से पारित होने के बाद नई दंड संहिता पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर अनिवार्य हैं।
जकार्ताः इंडोनेशिया की संसद ने अपनी दंड संहिता में बहु-प्रतीक्षित एवं विवादास्पद संशोधन को पारित कर दिया है, जिसके तहत विवाहेतर यौन संबंध दंडनीय अपराध है और यह देश के नागरिकों तथा देश की यात्रा करने वाले विदेशियों पर समान रूप से लागू होता है।
एक संसदीय कार्यबल ने नवंबर में विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दिया था और सांसदों ने मंगलवार को इसे सर्वसम्मति से पारित किया। विधि एवं मानवाधिकार मामलों के उप मंत्री एडवर्ड हीराईज़ के अनुसार, संसद से पारित होने के बाद नई दंड संहिता पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर अनिवार्य हैं।
दंड संहिता तत्काल प्रभाव से लागू नहीं होगी और इसमें अधिकतम तीन वर्ष का समय लग सकता है। हीराईज़ ने कहा, ‘‘इसे (नई दंड संहिता) लागू करने की प्रक्रिया लंबी है, जिस पर काम किया जाना है। यह एक साल में नहीं हो सकता, बल्कि अधिकतम तीन साल भी लग सकते हैं।’’
‘द एसोसिएटेड प्रेस’ के पास मौजूद संशोधित दंड संहिता की एक प्रति के अनुसार, विवाहेतर यौन संबंध का दोषी पाए जाने पर एक साल की जेल की सजा का प्रावधान है, लेकिन व्यभिचार का आरोप पति, माता-पिता या बच्चों द्वारा दर्ज की गई पुलिस शिकायत पर आधारित होना चाहिए। उसके अनुसार, गर्भनिरोधक और धार्मिक ईश-निंदा को बढ़ावा देना अवैध है।
वहीं मौजूदा राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति, देश के संस्थानों और राष्ट्रीय विचारधारा का अपमान करने के कृत्यों पर प्रतिबंध को भी बहाल कर दिया गया है। वर्तमान राष्ट्रपति के अपमान की सूचना यदि खुद राष्ट्रपति द्वारा दी जाती है तो इसके लिए तीन साल तक की जेल हो सकती है।
हीराईज़ ने कहा कि सरकार ने ‘‘ अपमान और आलोचना के बीच का अंतर काफी साफ-साफ बताया है।’’ संहिता के अनुसार, गर्भपात एक अपराध है, हालांकि इसमें वे महिलाएं जिन्हें गर्भ कायम रखने से उनकी जान को खतरा हो या जो बलात्कार के बाद गर्भवती हो गई हों उन्हें अपवाद माना गया है, लेकिन गर्भ 12 सप्ताह से कम का हो, जैसा कि 2004 के ‘मेडिकल प्रैक्टिस’ कानून में पहले से ही विनियमित है।
मानवाधिकार समूहों ने कुछ प्रस्तावित संशोधनों की व्यापक स्तर पर निंदा की और आगाह किया कि उन्हें नई दंड संहिता में शामिल करने से सामान्य गतिविधियों को दंडित किया जा सकता है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व गोपनीयता के अधिकारों को खतरा हो सकता है। हालांकि, कुछ ने इसे देश के एलजीबीटीक्यू (समलैंगिक समुदाय) अल्पसंख्यकों की जीत करार दिया है।
सांसद एक गहन विचार-विमर्श के बाद अंतत: इस्लामी समूहों द्वारा प्रस्तावित एक अनुच्छेद को निरस्त करने पर सहमत हुए, जिसमें समलैंगिक यौन संबंधों को अवैध घोषित किया गया था। दंड संहिता में अपराध न्याय प्रणाली के तहत मृत्युदंड को बरकरार रखा गया है, जबकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अन्य समूहों ने इसे निरस्त करने की मांग की थी जैसा कि अन्य कई देशों ने भी किया है।