भारत ने दो टूक कहा, वर्तमान में चीन के साथ हमारे रिश्ते सामान्य नहीं, LAC पर भारी संख्या में सैनिक मौजूद
By रुस्तम राणा | Published: March 25, 2022 03:44 PM2022-03-25T15:44:12+5:302022-03-25T15:44:12+5:30
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, 1993-96 के समझौतों का उल्लंघन हुआ है जिसमें एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों की मौजूदगी है। इसको देखते हुए हमारे संबंध (वर्तमान में चीन के साथ) सामान्य नहीं हैं।
नई दिल्ली: भारत-चीन के संबंध को लेकर भारतीय विदेश मंत्री ने शुक्रवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की। इस मीटिंग के बाद पत्रकार के एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वर्तमान में चीन से हमारे रिश्ते सामान्य नहीं है। जब तक सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।
विदेश मंत्री ने कहा, वर्तमान स्थिति को मैं एक 'वर्क इन प्रोग्रेस' कहूंगा। हालांकि यह धीमी गति से हो रहा है... इसे आगे ले जाने की आवश्यकता है क्योंकि डिसइंगेजमेंट के लिए (LAC पर) आवश्यक है। मीडिया को उन्होंने बताया कि 1993-96 के समझौतों का उल्लंघन हुआ है जिसमें एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों की मौजूदगी है। इसको देखते हुए हमारे संबंध (वर्तमान में चीन के साथ) सामान्य नहीं हैं।
वहीं भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह भी बताया कि दोनों देशों बीच क्वाड पर चर्चा नहीं हुई है। जियो पॉलिटिक्स में क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक समूह) को चीन के खिलाफ देखा जाता है। एस जयशंकर ने बताया, यूक्रेन पर हमने अपने-अपने दृष्टिकोणों और परिप्रेक्ष्य पर चर्चा की लेकिन सहमति व्यक्त की कि डिप्लोमसी और बातचीत को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
वहीं चीन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को लेकर विदेश मंत्री ने कहा, मैंने चीन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की दुर्दशा को भी दृढ़ता से रखा, जिन्हें COVID प्रतिबंधों का हवाला देते हुए वापस जाने की अनुमति नहीं है। हमें उम्मीद है कि चीन भेदभाव रहित रुख अपनाएगा क्योंकि इसमें कई युवाओं का भविष्य शामिल है।
उन्होंने कहा, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मुझे आश्वासन दिया कि वापस जाने के बाद इस मामले में संबंधित अधिकारियों से बात करेंगे। उन्होंने इस कठिन परिस्थिति में मेडिकल छात्रों की विशेष चिंताओं को भी समझा है।
OIC सम्मेलन में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बयान पर पूछे गए सवाल पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, हां यह सवाल आया था। मैंने इसका जिक्र किया। मैंने उन्हें समझाया कि हमें वह बयान आपत्तिजनक क्यों लगा। यह एक ऐसा विषय था जिस पर कुछ देर तक चर्चा हुई। एक बड़ा संदर्भ भी था।
मैंने बताया कि हम आशा करते हैं कि चीन भारत के संबंध में एक स्वतंत्र नीति का पालन किया जाएगा और अपनी नीतियों को अन्य देशों और अन्य संबंधों से प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।