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युवाओं में कोविड वैक्सीन लगवाने की हिचक कैसे कम की जाए

By भाषा | Updated: May 28, 2021 16:28 IST

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ट्रेसी ओ अफीफी, एशले स्टीवर्ट-टुफेस्कु, जेनिक फोर्टियर, सामंथा सैल्मन, एस मिशेल ड्रिजर और तमारा टेलियू, यूनिवर्सिटी ऑफ मैनिटोबा

विन्निपेग (कनाडा), 28 मई (द कन्वरसेशन) कोरोना वायरस महामारी का अंत आंशिक रूप से कोविड-19 वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उपयोग पर निर्भर करता है, जिसका लक्ष्य सामूहिक प्रतिरक्षा (हर्ड इम्युनिटी)तक पहुंचना है।

हाल ही में कनाडा में, नव वयस्कों और किशोरों को वैक्सीनेशन अभियान में शामिल करने के लिए वैक्सीन की पात्रता की आयु कम की जा रही है। हालांकि, इस आयु वर्ग में वैक्सीन लगवाने की इच्छा को समझने के लिए बहुत कम काम किया गया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ मैनिटोबा में चाइल्डहुड एडवर्सिटी एंड रेजिलिएशन (CARe) रिसर्च टीम के हमारे समूह ने हाल ही में बड़े किशोरों और नव वयस्कों के कोविड वैक्सीन लगवाने के इरादों और टीका लगवाने में व्यक्त किसी भी तरह की हिचकिचाहट के कारणों को समझने के उद्देश्य से एक नया अध्ययन प्रकाशित किया।

हमारे प्रतिभागियों में मैनिटोबा के १६ से २१ वर्ष की आयु के ६६४ युवा शामिल थे। हमने यह भी जांचा कि कैसे समाजशास्त्रीय कारक, मौजूदा स्वास्थ्य समस्याएं, कोविड-19 के बारे में कम जानकारी और बचपन की किसी प्रतिकूलता का इतिहास कोविड की वैक्सीन लगवाने के इरादे से संबंधित हो सकता है।

इन जोखिम कारकों को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि हम यह भी जानते हैं कि सामाजिक असमानताएँ कोविड के प्रति संवेदनशीलता से जुड़ी हैं। जिन समुदायों और व्यक्तियों की परिस्थितियां प्रतिकूल हैं और जिन्होंने बाल दुर्व्यवहार या निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति का सामना किया है, उनकी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सीमित हो सकती है और वे कोविड-19 से असमान रूप से प्रभावित हो सकते हैं। इस क्षेत्र में ज्ञान का विस्तार करने से वायरस के संचरण को धीमा करने के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों के महत्वपूर्ण निहितार्थ हो सकते हैं।

वैक्सीन हिचकिचाहट

ऐतिहासिक रूप से, हमेशा कुछ ऐसे लोग रहे हैं जो टीका लगवाने के अनिच्छुक हैं। वैक्सीन हिचकिचाहट, जो वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के सामने मौजूद शीर्ष 10 खतरों में से एक है, एक स्तर पर मौजूद है। इसमें वे लोग शामिल हैं जो टीका लगवाने में देरी करते हैं, केवल कुछ वैक्सीन स्वीकार करते हैं या सभी वैक्सीन के लिए मना कर देते हैं।

यह समझना कि कौन टीका लगवाने से हिचकिचा सकता है और उनकी इस अनिच्छा का कारण क्या है, यह जानकारी वैक्सीनेशन के प्रसार को बढ़ाने का प्रयास कर रही सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि टीकाकरण के माध्यम से हासिल होने वाली सामूहिक प्रतिरक्षा यकीनन कोविड-19 महामारी को समाप्त करने का एकमात्र तरीका है।

कोविड-19 वैक्सीन के इरादे पर सबूत

हमारे बड़े किशोर और नव वयस्क अध्ययन के नमूने में, 65.4 प्रतिशत ने एक वैक्सीन लगवाने की इच्छा का संकेत दिया, 8.5 प्रतिशत ने संकेत दिया कि उन्हें टीका नहीं मिलेगा और 26.1 प्रतिशत अनिश्चित थे। कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के इरादे को लेकर महिला और पुरूष समान थे।

जो लोग वैक्सीन लगवाने के कम इच्छुक थे, उनमें ऐसे व्यक्ति शामिल थे जिन्हें कोविड-19 के बारे में कम जानकारी थी और जिन पर कोविड-19 के कारण वित्तीय बोझ था। कम आय वाले लोग या ऐसे लोग जिन्हें पैसे की कमी हो या जिनकी माता-पिता का शिक्षा का स्तर कम हो, उन्हें भी टीका लगवाने के कम इच्छुक वर्ग से जोड़ा गया था।

बचपन के कई प्रतिकूल अनुभव भी वैक्सीन लगवाने में झिझक से जुड़े थे। इनमें घरेलू मादक द्रव्यों का उपयोग, पिटाई का इतिहास, साथियों द्वारा प्रताड़ित किए जाने का इतिहास और अभिभावकों के संरक्षण और लालन पालन से वंचित रहना भी इसके कारणों में शामिल है।

वैक्सीन लगवाने के बारे में अनिश्चिता या अनिच्छुक होने के शीर्ष 3 कारण थे:

सुरक्षा को लेकर चिंता।

वैक्सीन के बारे में जानकारी का अभाव।

इसके कारगर होने के बारे में चिंता।

बड़े किशोरों और नव वयस्कों के बीच इस बात का प्रसार करने की आवश्यकता है कि कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीन क्यों जरूरी है, यह बीमारी से बचाव के लिए कैसे काम करती है और कोविड 19 के संक्रमण से खुद को और दूसरों को बचाना क्यों महत्वपूर्ण है।

युवाओं को इस संबंध में सोशल मीडिया, साथ ही स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के जरिए जागरूक किया जा सकता है। युवाओं के लिए काम करने वाले कुछ अग्रिम युवा सेवा संगठन भी इसका हिस्सा बन सकते हैं।

इस संदेश के जरिए न केवल टीके की हिचकिचाहट के लिए बताए गए तीन शीर्ष कारणों को संबोधित करना चाहिए, बल्कि उन युवाओं तक पहुंचने का भी प्रयास करना चाहिए, जिनके वैक्सीन लेने के इच्छुक होने की संभावना कम है।

यद्यपि यह शोध मैनिटोबा के एक सामुदायिक नमूने का उपयोग करके किया गया था, यह मानने का कोई कारण नहीं है कि इसके निष्कर्ष अन्य बड़े किशोरों और नव वयस्कों से ज्यादा अलग होंगे। हम अनुशंसा करते हैं कि इन रणनीतियों को पूरे कनाडा और उसके बाहर व्यापक कार्यान्वयन के लिए अपनाया जाए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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