हांगकांग के सबसे पुराने विश्वविद्यालय ने गुरुवार को बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर में मारे गए लोगों की याद में बनाई गई प्रतिमा को हटा दिया है। प्रतिमा को नष्ट करने के लिए रात भर का ऑपरेशन चला। चीन के डर या दबाव में की गई इस घटना को हांगकांग की स्वतंत्रता के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है। बता दें यह करीब 8 मीटर यह प्रतिमा विश्वविद्यालय परिसर में 1997 से थी।
बता दें कि 1997 में ही ब्रिटिश उपनिवेश से हांगकांग को चीन को सौंप दिया गया था। विश्वविद्यालय में बनी प्रतिमा को "पिलर ऑफ द शेम" नाम से जाना जाता था। एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने प्रतिमा को कोई देख न सके इसके लिए छत तक की चादरों और प्लास्टिक का इस्तेमाल किया, क्योंकि रात भर ड्रिलिंग और धातु के बजने की आवाजें सुनी जा सकती थीं।
इस प्रतिमा में 50 पीड़ित चेहरे और उनके शरीर को एक-दूसरे के ऊपर ढेर करके बनाया गया था जो 1989 में तियानमेन स्क्वायर में चीनी सैनिकों द्वारा मारे गए लोकतंत्र प्रदर्शनकारियों की याद दिलाती है। हांगकांग में इस प्रतिमा की उपस्थिति चीन की अपेक्षा हांगकांग की स्वतंत्रता का एक ज्वलंत उदाहरण थी। चीन में तियानमेन की घटना से जुड़ी खबर या फिर प्रतीक को बड़ी मात्रा में सेंसर किया जाता है।
दरअसल, बीते दो सालों से चीन हांगकांग में होने वाले चीन के खिलाफ लोकतांत्रिक प्रदर्शनों को लेकर सतर्क हो गया है। इसी कारण बीजिंग हांगकांग को अपने स्वरूप में ढ़ालना चाहता है। चीन की इस नीति के कारण विश्वविद्याल में रखी तियानमेन सक्वायर से जुड़ी ये प्रतिमा अवैध हो चुकी थी। बीते अक्टूबर में, विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों ने कानूनी जोखिमों का हवाला देते हुए इस प्रतिमा को परिसर से हटाने का आदेश दिया था।