ग्लोबल वार्मिंग के कारण 'असाधारण दर' से पिघल रहे हिमालयी ग्लेशियर: अध्ययन

By भाषा | Updated: December 20, 2021 19:23 IST2021-12-20T19:23:06+5:302021-12-20T19:23:06+5:30

Himalayan glaciers melting at 'extraordinary rate' due to global warming: Study | ग्लोबल वार्मिंग के कारण 'असाधारण दर' से पिघल रहे हिमालयी ग्लेशियर: अध्ययन

ग्लोबल वार्मिंग के कारण 'असाधारण दर' से पिघल रहे हिमालयी ग्लेशियर: अध्ययन

लंदन, 20 दिसंबर हिमालय के ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिंग के कारण ''असाधारण'' दर से पिघल रहे हैं, जिससे एशिया के लाखों लोगों की पानी की आपूर्ति को खतरा पेश आ सकता है। सोमवार को प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात कही गई है।

अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि हिमालय के ग्लेशियरों ने पिछले कुछ दशकों में, 400-700 साल पहले हुए ग्लेशियर विस्तार की तुलना में औसतन दस गुना अधिक तेजी से बर्फ खो दी है। ग्लेशियर विस्तार की उस अवधि को हिमयुग या 'आइस एज' कहा जाता है।

जर्नल ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स' में प्रकाशित अध्ययन से यह भी पता चलता है कि हिमालय के ग्लेशियर दुनिया के अन्य हिस्सों के ग्लेशियरों की तुलना में कहीं अधिक तेजी से पिघल रहे हैं।

ब्रिटेन के लीड्स विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्ताओं के नेतृत्व में एक टीम ने 'लिटिल आइस एज' के दौरान हिमालय के 14,798 ग्लेशियरों के आकार और बर्फ की सतहों का पुनर्निर्माण किया।

उन्होंने गणना की कि ग्लेशियरों ने अपने क्षेत्र का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा खो दिया है। इनका दायरा 28,000 वर्ग किलोमीटर के शिखर से आज लगभग 19,600 वर्ग किमी तक सिकुड़ गया है। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि उस अवधि के दौरान उन्होंने 390 घन किलोमीटर और घन किलोमीटर बर्फ भी खो दी है।

उन्होंने कहा कि बर्फ पिघलने के कारण बहे पानी ने दुनिया भर में समुद्र के स्तर को 0.92 मिलीमीटर और 1.38 मिलीमीटर के बीच बढ़ा दिया है।

लीड्स विश्वविद्यालय से संबंधित शोध लेखक जोनाथन कैरविक ने कहा, ''हमारे निष्कर्ष स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि हिमालयी ग्लेशियरों से बर्फ अब पिछली शताब्दियों की औसत दर की तुलना में कम से कम दस गुना अधिक पिघल रही है।''

उन्होंने कहा, ''बर्फ पिघलने की दर में यह तेजी केवल पिछले कुछ दशकों में उभरी है, और इस कारण मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन हो सकता है।''

हिमालय पर्वत श्रृंखला अंटार्कटिका और आर्कटिक के बाद दुनिया में ग्लेशियर के मामले में तीसरे स्थान पर है और इसे अक्सर 'तीसरा ध्रुव' कहा जाता है।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने की गति का उन करोड़ों लोगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है जो भोजन और ऊर्जा के लिए एशिया की प्रमुख नदी प्रणालियों पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि इन नदियों में ब्रह्मपुत्र, गंगा और सिंधु शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन नदियों में ब्रह्मपुत्र, गंगा और सिंधु शामिल हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Himalayan glaciers melting at 'extraordinary rate' due to global warming: Study

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे