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कोविड-19 टीका लगवाने में हिचकने वालों में स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल

By भाषा | Updated: October 4, 2021 13:44 IST

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(हॉली सीले,एसोसिएट प्रोफेसर यूएनएसडब्ल्यू, मार्गी डानचिन, पीडियाट्रीशियन एवं एसोसिएट प्रोफेसर, रॉयल चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल)

मेलबर्न,चार अक्टूबर (द कन्वरसेशन) कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए टीके लगाने की मुहिम दुनिया भर में तेज होने के बीच लोग यह मान सकते हैं कि स्वास्थ्यकर्मियों में टीके की खुराक लेने के प्रति हिचक नहीं होगी लेकिन लोगों को यह जानकर हैरत होगी कि स्वास्थ्यकर्मियों ने टीकों को अनिवार्य बनाए जाने का विरोध किया है।

फ्रांस में कम से कम तीन हजार स्वास्थ्यकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है क्योंकि उन्होंने टीके नहीं लगवाए हैं। इसी प्रकार यूनान में स्वास्थ्यकर्मियों ने टीकाकरण को अनिवार्य बनाए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया है। इनके अलावा कनाडा और न्यूयॉर्क प्रांत में भी इसी प्रकार के मामले सामने आए हैं।

ऑस्ट्रेलिया में स्वास्थ्यकर्मी मेलबर्न और पर्थ में कथित तौर पर विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए। कुछ स्वास्थ्यकर्मियों ने अनिवार्य टीकाकरण को अट्रेलियाई राज्य न्यू साउथ वेल्स (एनएसडब्ल्यू) के न्यायालय में चुनौती भी दी है।

विभिन्न चिंताएं

एनएसडब्ल्यू और विक्टोरिया में 90 प्रतिशत से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लग चुका है। लेकिन अस्पतालों और अन्य केन्द्रों में कार्यरत कुछ प्रतिशत लोगों में टीके को लेकर हिचक है या वे अपने लिए टीका खुद चुनना चाहते हैं।

एनएसडब्ल्यू के स्वास्थ्य आंकडे़ बताते हैं कि वर्तमान में करीब सात प्रतिशत अर्थात 7,350 कर्मचारियों ने टीकाकरण नहीं कराया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्यकर्मियों में टीकाकरण कराने के प्रति हिचक के 4.3 से 72 प्रतिशत मामले हैं। अमेरिका में मई के अंत तक चार में एक अस्पतालकर्मी ने टीके की एक भी खुराक नहीं ली थी। ये वे लोग हैं जो मरीजों के सीधे संपर्क में आते हैं।

इस वर्ष की शुरुआत में किए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि अधिकतर स्वास्थ्यकर्मियों ने टीके लगवाने की इच्छा जताई, 22 प्रतिशत इसे लेकर कोई निर्णय नहीं कर पाए थे या वे टीकाकरण कराने के इच्छुक नहीं थे। इस अध्ययन को इटली में किए गए अध्ययन से मिलने के बाद पाया गया कि कुल 33 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मी इसे लेकर निश्चित नहीं है या वे टीका लगवाने के इच्छुक नहीं हैं।

वे तीन मुख्य कारण टीका सुरक्षा, प्रभावी होना और साइड इफेक्ट हैं जिनकी वजह से स्वास्थ्यकर्मी टीका लगवाने के प्रति हिचक रहे हैं, समाज के अन्य वर्गों की चिंताओं से मिलते हैं।

पूर्व में किए गए अनेक सर्वेक्षण दिखाते हैं कि एक तिहाई से कम स्वास्थ्यकर्मियों को लगता है कि उन्हें कोविड के टीकों के बारे में उचित जानकारी नहीं है। और अन्य लोगों की भांति स्वास्थ्यकर्मी भी गलत सूचनाओं के शिकार हैं और उन्हें इस बात की पूरी समझ नहीं है कि टीके किस प्रकार से बनाए जाते हैं।

खतरे

अस्पतालों में मरीज कोविड फैलने का स्रोत बन सकते हैं इसी प्रकार से ऐसे स्वास्थ्यकर्मी जिन्होंने टीके नहीं लगवाए हैं या अधिक उम्र वाले स्वास्थ्यकर्मी मरीजों और रहवासियों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते है। गैर टीकाकरण वाले स्वास्थ्यकर्मियों में या उनके जैसे अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के बीच कोविड फैलने अथवा उनके परिवारों या मित्रों में इसके फैलने का खतरा है।

कोविड के प्रसार के अलावा ऐसे स्वास्थ्यकर्मी जिनके मन में टीके लगवाने को ले कर हिचक है,उनका असर अन्य लोगों पर भी पड़ता है, क्योंकि लोग स्वास्थ्यकर्मियों पर भरोसा करते हैं।

यूट्यूब और टिकटॉक आदि पर कई ऐसे वीडियो हैं पर जहां किसी स्वास्थ्यकर्मी को कोविड टीकों की सुरक्षा या उनके प्रभावी होने के बारे में गलत जानकारी देते हुए देखा जा सकता है। ऐसे में इन वीडियो का प्रभाव उन वक्ताओं की तुलना में अधिक पड़ सकता है जो स्वास्थ्य सेवाओं में काम नहीं करते हैं।

हम सब कैसे सुरक्षित रह सकते हैं।

हमें स्वास्थ्यकर्मियों और टीकों के संबंध में तीन चीजें याद रखनी चाहिए - आप किसी नतीजे पर नहीं पहुंचें, आपूर्ति और पहुंच सुनिश्चित करें और उसे अपनाएं जो असर करता है।

आने वाले हफ्तों में अधिक संख्या में स्वास्थ्यकर्मी इस्तीफा दे सकते हैं अथवा कोविड के मानदंडों को पूरा नहीं कर पाने के लिए उन्हें निलंबित किया जा सकता है। सोशल मीडिया पर बहुत से लोग इसे ‘सही कदम’ बताएंगे।

लेकिन कुछ स्वास्थ्यकर्मी इस मुद्दे पर मुखर होंगे और टीके पर संदेह पैदा करेंगे। इस बात की जरूरत है कि हम ऐसी स्थितियों के लिए तैयार रहें।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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