फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के एशिया प्रशांत समूह ने पाकिस्तान को काली सूची में डाल दिया है। एफएटीएफ का कहना है कि पाकिस्तान वैश्विक मानकों पर खरा उतरने में विफल साबित हुआ है। एक भारतीय अधिकारी के मुताबिक एफएटीएफ ने पाया कि पाकिस्तान ने धन शोधन और आतंकवाद के वित्त पोषण संबंधी 40 अनुपालन मानकों में से 32 का पालन नहीं किया। ब्लैक लिस्ट होने के बाद अब पाकिस्तान को दुनिया में कर्ज पाना और ज्यादा मुश्किल हो जाएगा।
जून में पेरिस स्थित एफएटीएफ ने कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद के वित्त पोषण पर अपनी कार्य योजना पूरी करने में नाकाम रहा। उसने इस्लामाबाद को अक्टूबर तक अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने या फिर कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी थी। कार्रवाई के तहत उसे काली सूची में डाला जा सकता है।
पाकिस्तान पिछले एक साल से FATF की ग्रे लिस्ट में था और उसने FATF से पिछले साल जून में ऐंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग मेकेनिज्म को मजबूत बनाने के लिए उसके साथ काम करने का वादा किया था।
ब्लैक लिस्ट होने से चरमराएगी पाक इकोनमी
एफएटीएफ की ओर से काली सूची में डालने का मतलब है कि संबंधित देश धनशोधन और आतंक के वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में ‘‘असहयोगात्मक’’ रवैया अपना रहा है।
एफएटीएफ द्वारा पाकिस्तान को काली सूची में डालने के बाद आईएमएफ, विश्व बैंक, यूरोपीय संघ जैसे बहुपक्षीय कर्जदाता उसकी ग्रेडिंग कम कर सकते हैं और मूडीज, एस एंड पी और फिच जैसी एजेंसियां उसकी रेटिंग कम कर सकती हैं।
एफएटीएफ ने जुलाई 2018 में पाकिस्तान को संदेह वाली ग्रे सूची में डाल दिया था। एफएटीएफ में अभी 35 सदस्य और दो क्षेत्रीय संगठन - यूरोपीय आयोग एवं खाड़ी सहयोग परिषद हैं। उत्तर कोरिया और ईरान एफएटीएफ की काली सूची में हैं।
समाचार एजेंसी-पीटीआई भाषा से इनपुट्स लेकर