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विकसित राष्ट्र हर साल 100 अरब अमेरिकी डॉलर का सहयोग देने में विफल रहे : पर्यावरण मंत्री

By भाषा | Updated: November 1, 2021 15:54 IST

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ग्लासगो, एक नवंबर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ग्लासगो में 26वें अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन सीओपी26 में कहा कि विकसित राष्ट्र 2009 से विकासशील देशों को प्रति वर्ष 100 अरब अमेरिकी डॉलर के सहयोग के लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहने के बावजूद अब भी इसे 2025 तक का महत्वाकांक्षी लक्ष्य बता रहे हैं।

भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे यादव ने ब्रिटेन के ग्लासगो में रविवार को शुरू हुए जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के ‘यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज’ (यूएनएफसीसीसी) सीओपी26 के उद्घाटन सत्र में अपने ‘बेसिक’ भाषण के दौरान यह टिप्पणी की। ‘बेसिक’ देश चार बड़े नए औद्योगीकृत देशों ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन का एक समूह है, जिसका गठन नवंबर 2009 में एक समझौते के तहत किया गया था।

मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘सीओपी26 के उद्घाटन सत्र में अपने बयान में रेखांकित किया कि विकसित राष्ट्र 2009 के बाद से विकासशील देशों को सहयोग के लिए प्रति वर्ष 100 अरब अमेरिकी डॉलर देने के लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहने के बावजूद इसे अपना 2025 तक का महत्वाकांक्षी लक्ष्य बता रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे संदर्भ में जहां बेसिक देशों सहित विकासशील देशों ने 2009 के बाद से अपने जलवायु कार्यों को बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाया है, यह अस्वीकार्य है कि जलवायु वित्त सहायता के क्रियान्वयन के संदर्भ में सक्षम साधन होने के बावजूद विकसित देशों ने अब तक कुछ ठोस नहीं किया है।’’

यादव 29 अक्टूबर को सीओपी26 में भाग लेने के लिए ग्लासगो पहुंचे, जिसकी अध्यक्षता ब्रिटेन कर रहा है और इसका समापन 12 नवंबर को होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रविवार शाम को ग्लासगो पहुंचे और वह एक और दो नवंबर को लगभग 200 देशों के विश्व नेताओं को संबोधित करेंगे।

रविवार को पूर्ण अधिवेशन में पर्यावरण मंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भले ही सीओपी26 में एक साल की देरी हुई हो, लेकिन हितधारकों ने पहले ही अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसीएस) को लागू करना शुरू कर दिया है और इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि पेरिस समझौता नियमावली का निष्कर्ष सीओपी26 में निकाला जाए।

यादव ने रेखांकित किया कि विकासशील देशों को कम उत्सर्जन की दिशा में बढ़ने के लिए समय, नीति स्थान और सहयोग दिया जाना चाहिए। मंत्री ने उल्लेख किया कि सीओपी26 का उद्देश्य जलवायु वित्त और अनुकूलन पर उच्च वैश्विक महत्वाकांक्षा के साथ-साथ हितधारकों की अलग-अलग ऐतिहासिक जिम्मेदारियों और विकासशील देशों की विकासात्मक चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए जो कि कोविड-19 महामारी से जटिल हो गया है।

दीर्घकालिक तापमान लक्ष्य के संबंध में उन्होंने पुष्टि की कि नवीनतम उपलब्ध विज्ञान यह स्पष्ट करता है कि सभी पक्षों को तुरंत अपने उचित हिस्से का योगदान करने की आवश्यकता है और इसे प्राप्त करने के लिए विकासशील देशों के सहयोग की खातिर विकसित देशों को अपने उत्सर्जन को तेजी से कम करने और अपने वित्तीय पैमाने को बढ़ाने की आवश्यकता होगी।

उन्होंने कहा कि आवश्यकता है कि सीओपी26 को ऐसे सीओपी के रूप में याद रखा जाए, जहां विकासशील देशों को वित्तीय सहायता के मामले में विकसित देश परिवर्तनकारी कदम शुरू करें।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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